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भोपाल की तीन सीटों पर मुस्लिम वोट से बनेंगे समीकरण, उत्तर-मध्य के साथ नरेला विधानसभा सीट पर असर

भोपाल की तीन सीटों पर मुस्लिम वोट से बनेंगे समीकरण, उत्तर-मध्य के साथ नरेला विधानसभा सीट पर असर

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की तीन सीटों पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा और अन्य प्रत्याशियों के समीकरणों पर मुस्लिम वोटर असर डालने की स्थिति में हैं। भोपाल उत्तर-मध्य के बाद नरेला विधानसभा सीट पर यह वोट सबसे ज्यादा प्रत्याशियों की हार-जीत पर असर डाल सकते हैं क्योंकि इस सीट पर भी करीब एक तिहाई वोटर मुस्लिम हैं। अकेले कांग्रेस में यह वोट नहीं जाने पर सबसे ज्यादा फायदे में भाजपा रहने वाली दिखाई दे रही है। पढ़िये रिपोर्ट।

नवाबों के शासनकाल वाला शहर भोपाल के मध्य प्रदेश गठन के 16 साल बाद राजधानी मुख्यालय बन गया और बाहर से बड़ी संख्या में लोग नौकरी के लिए आए। मगर इसके बाद भी मुस्लिम आबादी आज भी ज्यादा है और इसके बाद अऩुसूचित जाति के लोगों का दबदबा है। जनजातीय समुदाय की रानी कमलापति के शासन के बाद भी यहां आज अनुसूचित जाति की जनसंख्या सीमित रह गई है। मुस्लिम आबादी की वजह से विधानसभा चुनाव में भोपाल उत्तर, मध्य सीटों में इनके मतदाता ज्यादा हैं लेकिन नरेला विधानसभा सीट पर भी 31 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इस बार यह मतदाता जिस तरफ जाएगा, हार-जीत उसकी ही होना है।
भाजपा प्रत्याशी की नजर हिंदू वोट पर केंद्रित
2008 में अस्तित्व में आई नरेला विधानसभा सीट पर अब तक भाजपा का कब्जा है और तीनों बार के विधानसभा चुनाव में विश्वास सारंग ही जीते हैं। उनकी जीत के अंतर को 2018 में कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान ने कम किया था। सारंग ने इन पांच साल में सनातन धर्म का ध्वज लेकर चल रहे बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार को लगाने से लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वालों की शिवपुराण कथा कराने तक के आयोजन करके हिंदू आबादी को साधा है। ये दोनों ही कथावाचक इन दिनों हिंदू धर्मालंबियों के घर-घर तक पहुंच रखते हैं।

धार्मिक यात्राएं कराकर हिंदू वोटर में पैठ बनाने का प्रयास
वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज शुक्ला काफी समय से यहां सक्रिय थे और धार्मिक यात्राओं पर हिंदू धर्म के लोगों को भेज रहे थे। राधे-राधे के नारों के साथ वे इन यात्राओं को करा रहे थे। हालांकि इन यात्राओं में उन्होंने जिन परिवारों को भेजा, उनकी मॉनीटरिंग के लिए व्यवस्था नहीं किए जाने से कांग्रेस प्रत्याशी को उसका फायदा बहुत सीमित मिलने की चर्चा है। मुस्लिम वोटर की तरफ कुछ समय से वे सक्रिय हुए हैं लेकिन चुनाव मैदान में मुस्लिम प्रत्याशियों के उतरने पर उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सारंग के कभी साथ रहे मस्तान-रईसा मैदान में
सारंग के साथ रहने वाले नरेला विधानसभा में अशोका गार्डन क्षेत्र के बाबू मस्तान नगर निगम चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी निर्दलीय मैदान में उतर रहे हैं। बाबू मस्तान को नगर निगम चुनाव में भाजपा ने टिकट देकर काट दिया था तो उनकी पत्नी निर्दलीय पार्षद चुन ली गई थीं और विधानसभा चुनाव में उनके मैदान में उतरने से मुस्लिम वोट उनके साथ जाने की संभावना है। मुस्लिम वोट के लिए आम आदमी पार्टी ने पूर्व पार्षद रईसा मलिक को यहां से प्रत्याशी बनाया है। इस तरह मुस्लिम वोट में वो भी सेंध लगाएंगी। इन दोनों के चुनाव लड़ने के अलावा समाजवादी पार्टी से भी एक मुस्लिम प्रत्याशी के मैदान में उतरने की चर्चा है और इन तीनों के चुनाव मैदान में आने के बाद कांग्रेस जिस मुस्लिम वोट को अपना समझती है, वह बंट जाएगा।

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