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विंध्या हर्बल्स बरखेड़ा पठानी में हर मर्ज की एक दवा- नरेंद्र नागर, निर्माण, फेब्रिकेशन, पुताई से लेकर दवाई का कच्चा माल हर चीज मिलेगा
मध्य प्रदेश के राज्य लघु वनोपज संघ की इकाई विंध्या हर्बल्स बरखेड़ा पठानी में हर चीज की एक दवा नरेंद्र नागर कंस्ट्रक्शन है। चाहे निर्माण का कोई काम हो या फेब्रिकेशन या रंगाई-पुताई या फिर दवाइयों का रॉ मटेरियल का काम, सभी विंध्या हर्बल्स में नरेंद्र नागर कंस्ट्रक्शन से ही कराए जाते हैं जबकि उसक मूल काम केवल कंस्ट्रक्शन है। पढ़िये रिपोर्ट।
राज्य लघु वनोपज संघ की इकाई विंध्या हर्बल्स में लाखों के कार्यों का काम बिना टेंडर के ही दे दिए जाते हैं। विंध्या हर्बल्स बरखेड़ा पठानी में बिना टेंडर के काम देने का यह मामला नरेंद्र नागर कंस्ट्रक्शन को दिए जा रहे कामों से सामने आया है। कहा जाता है कि नरेंद्र नागर कंस्ट्रक्शन के पक्ष में विंध्या हर्बल्स के अधिकारी भी दिखाई देते हैं फिर चाहे वह सीईओ प्रफुल्ल फुलझले हो या कोई मैनेजर। पिछले एक दशक से एमएसपी पार्क बरखेड़ा पठानी में कंस्ट्रक्शन, फेब्रिकेशन, पुताई कार्य से लेकर दवाइयां के रॉ मैटेरियल प्रदाय करने का ठेका तक वर्क आर्डर नरेंद्र नगर को दिया जाता है जबकि उनके मूल काम कंस्ट्रक्शन का है।
बिना टेंडर के कोटेशन से दिए जा रहे कार्य
यह सामने आया है कि नरेंद्र नागर कंस्ट्रक्शन को बिना टेंडर कोटेशनों के आधार पर लाखों रुपए के कार्य दिए जा रहे हैं। वर्तमान में उनके द्वारा मेंटेनेंस का कार्य किया गया है, जो कि लगभग 30 से 35 लाख रुपए का हो चुका है। विंध्या हर्बल्स में दिए जाने वाले कामों को लेकर यह भी आरोप सामने आए हैं कि उसमें कमीशन के बिना कोई काम नहीं दिया जाता है। मगर बिना टेंडर के कोटेशन पर दिए जा रहे कामों में हद तो तब है जब निर्माण से जुड़ी संस्थान को फेब्रिकेशन-पुताई, दवाई के कच्चे माल की सप्लाई का काम भी दे दिया गया।
आर्यन फार्मेसी का एकाधिकार
पिछले एक दशक में एमएसपी पार्क में आर्यन फार्मेसी अथवा सिस्टर कंसर्न का एकाधिकार रहा है। दवाइयां को बनाने के लिए जो भी संबंधित रॉ मटेरियल खरीदे जाते हैं, उसमें 70 से 80% रॉ मैटेरियल आर्यन फार्मेसी के ही होते हैं। हालांकि फेडरेशन के एमडी ठाकुर दावा कर रहे हैं कि वह व्यवस्था को बदलने में जुटे हैं। यानी उनके अनुसार अब भविष्य में गड़बड़ियों की गुंजाइश बहुत कम रहेगी। बावजूद इसके, जांच के नाम पर फेडरेशन के एमडी को सिर्फ खाली गुमराह किया जा रहा है। चर्चा यह भी है कि जांच के दायरे में आने वाले अधिकारियों का दावा करते है कि उच्च अधिकारियों को लिफाफा प्रदान करके आ गए हैं अब आगे कोई कार्यवाही नहीं होगी।
मंत्रालय के अफसरों का वरदहस्त
कहा जाता है कि विंध्या हर्बल्स के अधिकारियों की मंत्रालय के विभाग प्रमुख से नजदीकी भी है। यही वजह है कि लघु वनों पर संघ के एमडी विभाष ठाकुर हो या फिर अपर प्रबंध संचालक मनोज अग्रवाल दोनों ही अधिकारियों के जांच आदेशों पर एक्शन ही नहीं होता है। एमएसपी पार्क के कर्मचारियों की माने तो आला अधिकारियों से नजदीकी के कारण कोई भी जांच शुरू नहीं हो पा रही है। पिछले दिनों अनावश्यक रूप से खरीदे गए रॉ मैटेरियल को उस समय रातों-रात शिफ्ट कर दिया गया, जबकि संघ के प्रबंध संचालक ठाकुर ने गोदाम के भौतिक सत्यापन की जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा समिति भी गठित की थी हालांकि समिति के सदस्य डॉक्टर संजय शर्मा को लेकर सवाल उठ रहे थे।
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