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नेपाल के प्रधानमंत्री व काश्की महाराजा की परपोती किरण राज लक्ष्मी थीं माधवीराजे, जाने कब बदला नाम
ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवीराजे सिंधिया का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वे माधवीराजे के नाम से पहचानी जाती थीं लेकिन उनका एक नाम किरण राज लक्ष्मी भी था। उनका संबंध ग्वालियर राजघराने के अलावा नेपाल के महाराजा परिवार से भी था। पढ़िये रिपोर्ट में माधवीराजे से जुड़ी जानकारियां।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवीराजे का बुधवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वहां उनका दो महीने से इलाज चल रहा था लेकिन पिछले दिनों उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई थी और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना चुनाव प्रचार छोड़कर उनसे मिलने के लिए दिल्ली भी गए थे। उसके बाद से उनकी तबियत नाजुक बनी हुई थी और बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे माधवीराजे सिंधिया ने अंतिम सांस ली। उनके पति और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया का सितंबर 2001 में विमान हादसे में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में निधन होने के बाद से वे पुत्र के साथ ही रह रही थीं।
माधवीराजे की शादी में बारात विशेष ट्रेन से गई
माधवराव सिंधिया की शादी 1966 में नेपाल के मधेश प्रांत के आर्मी जनरल की बेटी और नेपाल के प्रधानमंत्री व काश्की-लमजंग के महाराजा जुद्धा शमशेर जंग बहादुर राणा की परपोती से हुआ था। नेपाल का मधेश प्रांत देश के करीब साढ़े छह प्रतिशत भूभाग वाला सबसे बड़ा हिस्सा है जिसकी आबादी 2021 की जनगणना के मुताबिक 61 लाख से ज्यादा है। माधवराव सिंधिया की शादी के लिए बारात नेपाल गई थी तो ग्वालियर से दिल्ली के लिए विशेष ट्रेन चलाई गई थी और विशेष ट्रेन से बारात दिल्ली तक गई थी।
माधवीराजे सिंधिया का मायके में किरण राज लक्ष्मी नाम था
ग्वालियर राजघराने में ब्याही माधवीराजे साहेब का मायके नेपाल में नाम किरण राज लक्ष्मी था। माधवराव सिंधिया से शादी के बाद उनका नाम माधवीराज सिंधिया रखा गया। नाम परिवर्तन ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की परंपरा के मुताबिक हुआ था। शादी के बाद वे माधवीराज साहेब सिंधिया हो गईं और उनकी चित्रगंदा बेटी व ज्योतिरादित्य बेटे हैं।
माधवीराजे सिंधिया का गुरुवार को अंतिम संस्कार
माधवीराजे साहेब सिंधिया का बुधवार को निधन होने के बाद उनके अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली में पार्थिव देह को रखा गया। गुरुवार को सुबह उनकी पार्थिव देह दिल्ली से विमान द्वारा ग्वालियर लाई जाएगी। यहां दोपहर में अंतिम दर्शन के लिए कुछ समय रखने के बाद अंतिम यात्रा शुरू होगी और फिर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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