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अमित शाह की चेतावनी के बाद एमपी में तीसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत को लेकर दर्जनभर मंत्री टेंशन में

अमित शाह की चेतावनी के बाद एमपी में तीसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत को लेकर दर्जनभर मंत्री टेंशन में

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत बेहद कम होने से भाजपा चिंतित है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सरकार के मंत्रियों को अब कुर्सी का डर दिखाकर इसमें वृद्धि की अंतिम कोशिश जैसी की है। शाह तो चेतावनी देकर चले गए लेकिन दो दिन बाद तीसरे चरण का जहां मतदान हैं वहां से आने वाले मंत्रियों के बीच तनाव स्पष्ट झलकने लगा है। शाह की चेतावनी के घेरे में तीसरे चरण के मतदान वाली सीटों के कौन-कौन से मंत्री आ रहे हैं। हम आपको पिछले लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव में मंत्रियों की विधानसभा सीटों पर हुए मतदान के आधार पर उनकी चुनौती को आपके सामने रख रहे हैं। पढ़िए रिपोर्ट।

लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण में मध्य प्रदेश में 12 सीटों पर चुनाव हो चुका है लेकिन पहले चरण में जहां 67.75 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं दूसरे चरण में यह करीब दस फीसदी से ज्यादा घटकर 58.59 फीसदी पर आकर टिक गया। कम वोटिंग से राजनीतिक दलों में चिंता है और विशेष तौर पर इससे भाजपा में चिंता ज्यादा है क्योंकि पार्टी ने विधानसभा चुनाव से ज्यादा मतदान के लिए हर बूथ पर 370 मत ज्यादा मतदान का कार्यक्रम चलाया था। मगर उस कार्यक्रम का पहले दो चरणों में कोई असर नहीं दिखाई दिया क्योंकि वोटिंग प्रतिशत बहुत कम रहा। अब तीसरे चरण में मध्य प्रदेश की नौ लोकसभा सीटों भोपाल, राजगढ़, विदिशा, गुना, सागर, भिंड, मुरैना, ग्वालियर और बैतूल में मतदान हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के बाद विधानसभा चुनाव 2023 में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है और सरकार में मंत्रियों को अपने विधानसभा चुनाव में मिले मतों के बराबर तो कम से कम वोटिंग कराने की चुनौती है।
विजय शाह को एक लाख 81 हजार वोटिंग का लक्ष्य
मोहन सरकार के वरिष्ठ सदस्यों में शामिल हरसूद के विधायक विजय शाह का विधानसभा क्षेत्र बैतूल लोकसभा सीट में आता है जहां विधानसभा चुनाव में कुल वोटिंग 181384 हुआ था तो लोकसभा चुनाव 2019 में 148307 मतदाताओं ने वोट डाले थे।शाह के सामने विधानसभा चुनाव में डाले गए वोटों की संख्या के लिए मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा मतदान करने घर से बाहर निकालने की चुनौती है।
सारंग के लिए दो लाख 30 हजार वोटिंग की चुनौती
इसी तरह भोपाल लोकसभा क्षेत्र में नरेला का सरकार में प्रतिनिधित्व करने वाले विश्वास सारंग को पिछले लोकसभा चुनाव में डाले गए कुल दो लाख 6 हजार 626 मतों के स्थान पर 2023 विधानसभा चुनाव में उनके यहां जिन दो लाख 30 हजार 457 मतदाताओं ने वोट डाले थे, उन सभी के अलावा जो तब वोट डालने नहीं पहुंचे थे, उन्हें भी वोटिंग के प्रेरित करने की चुनौती है।
कृष्णा गौर ढाई लाख मतदाताओं को निकाल पाएंगी
मोहन सरकार की मंत्री कृष्णा गौर के विधानसभा चुनाव में दो लाख 51 हजार से ज्यादा वोटरों ने मतदान किया था और कम से कम इतने वोटर मतदान केंद्र तक पहुंचे यह उन्हें कोशिश करना होगी। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में उनके विधानसभा क्षेत्र में दो लाख 26517 मतदाताओं ने वोटिंग की थी क्योंकि विधानसभा चुनाव आते-आते बड़ी संख्या में मतदाताओं की संख्या बढ़ी।
करण सिंह को एक लाख 96 हजार मतदाताओं का रहेगा टारगेट
राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री करण सिंह वर्मा की इछावर विधानसभा सीट विदिशा लोकसभा क्षेत्र में आती है जिसमें विधानसभा चुनाव में एक लाख 96233 मतदाताओं ने वोटिंग की थी। अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस लोकसभा क्षेत्र में उनके रिकॉर्ड मतों से जीत की कोशिशों के लिए करण सिंह वर्मा को विधानसभा चुनाव में हुई वोटिंग के अलावा जो मतदाता वोट करने से चूक गए थे, उन्हें भी मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए प्रयास करना होंगे।
एंदल सिंह के सामने भी चुनौती
मुरैना लोकसभा क्षेत्र की सुमावली विधानसभा सीट का मोहन सरकार के एंदल सिंह कंसाना प्रतिनिधित्व करते हैं जिनके विधानसभा चुनाव में एक लाख 86139 मतदाताओं ने वोटिंग की थी और अब एंदल सिंह को इन मतदाताओं को छह महीने बाद फिर मतदान केंद्रों तक लाने की चुनौती है। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में यहां केवल एक लाख 30442 वोटिंग ही हुई थी।
राजपूत के रिकॉर्ड को कायम रख पाएंगे
विधानसभा चुनाव में मोहन सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की सुरखी सीट पर एक लाख 71456 मतदाताओं ने मतदान किया था और अब लोकसभा चुनाव 2024 में इस मतदान प्रतिशत को कायम रख पाने की राजपूत के सामने चुनौती है। पिछले लोकसभा चुनाव में सुरखी विधानसभा सीट पर एक लाख 25603 मतदाताओं ने वोटिंग की थी।
ग्वालियर में दो मंत्रियों पर दबाव
वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार मंत्रियों पर जिस तरह का दबाव बन रहा है, उनमें ग्वालियर के नारायण सिंह कुशवाह और प्रद्युमन सिंह तोमर भी हैं। तोमर पर उनके विधानसभा चुनाव में डाले गए वोट एक लाख 97971 तो कुशवाह पर एक लाख 66628 वोटों की संख्या को कायम रखने का दबाव बताया जा रहा है। वैसे तोमर की विधानसभा सीट लोकसभा चुनाव 2019 में एक लाख 68170 तो कुशवाह के यहां एक लाख 52313 वोट ही डले थे।
राकेश, गौतम व पंवार की कुर्सी भी संकट में
शाह के वोटिंग प्रतिशत कम रहने पर मंत्रियों की कुर्सियों पर संकट के बादल मंडराने की बात सामने आ रही है तो ऐसे तीसरे चरण के मतदान वाली लोकसभा सीटों की विधानसभा सीटों में मेहगांव, सारंगपुर और ब्यावरा भी मानी जा सकती है। मेहगांव से आने वाले राकेश शुक्ला को अपनी विधानसभा सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में करीब 51 हजार ज्यादा मतदान कराना होगा तो सारंगपुर में गौतम टेटवाल 26 हजार और पंवार को ब्यावरा विधानसभा सीट पर लगभग 40 हजार वोट लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में ज्यादा डलवाना होंगे। राकेश शुक्ला के मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 में एक लाख 30694 वोटिंग हुई थी जो विधानसभा चुनाव में एक लाख 81531 तो गौतम टेटवाल के सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछले लोकसभा चुनाव में एक लाख 48953 वोटिंग की तुलना में उनके विधानसभा चुनाव 2023 में एक लाख 74950 मतदाताओं ने वोटिंग की थी। नारायण सिंह पंवार के ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 एक लाख 64289 मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया था और जब उनका विधानसभा चुनाव हुआ तो दो लाख 4564 मतदाताओं ने वोट डाले। यानी लोकसभा चुनाव 2024 में मोहन सरकार के मंत्रियों को अपने चुनाव में हुए मतदान को न केवल कायम रखना है बल्कि उन मतदातओं को घर से निकालकर मतदान केंद्र में वोट डालने के लिए प्रेरित करने की चुनौती भी है।

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