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श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुवृष्टि व अच्छी फसल, पर्यावरण में संतुलन के लिए सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान प्रारंभ

श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुवृष्टि व अच्छी फसल, पर्यावरण में संतुलन के लिए सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान प्रारंभ

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा पूर्व में समय-समय पर उत्तम जलवृष्टि के लिए पर्जन्य अनुष्ठान के आयोजन किये गये हैं। शनिवार से 9 मई 2024 तक जन कल्याण हेतु सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग का आयोजन मंदिर प्रागंण में प्रारंभ हो गया। पढ़िये रिपोर्ट।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व यह सोमयाग श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग व श्री ओमकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग में किया गया हैं। यह सोमयाग क्रमशः लगभग सभी ज्योतिर्लिंगों पर किये जाने की योजना हैं। “वेदाहि यज्ञार्थं अभिप्रवृत्ता:” आने वाले वर्षा ऋतु में सुवितरित सुवृष्टि हेतु अलौकिक वैदिक श्रौत यज्ञ का आयोजन होता है | शनिवार को सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग के प्रथम दिवस प्रात: सवा छह बजे अग्निहोत्री दीक्षित दम्पति केतन शाहने, यज्ञाचार्य श्री चैतन्य नारायण काले व अग्निहोत्री श्री विजय मनेरीकर द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान जी का पूजन -अभिषेक किया गया | उसके पश्यात प्रातः नौ बजे से याग विहार में गणपति पूजन, पुण्यावाचन के बाद अरणी मंथन के माध्यम से अग्नि प्रज्वलित कर, अग्निस्थापना करके अग्निहोत्र होम, संकल्प, प्रायश्चित, यज्ञवेदी प्रवेश करके प्रथम अग्निहोत्री यजमान जी को दिक्षणीय इष्टी से यज्ञ दीक्षा का प्रारंभ से हुवा | सायं पांच बजे से यज्ञतनु बनाने की विधि प्रारंभ होगी | जिसमे मन्त्र दीक्षा, वाक् दीक्षा, दण्ड अजिन मेखला धारण आदि करवाकर इस याग में विधि पूर्वक दीक्षा ग्रहण के पश्यात याग के प्रथम दिवस का समापन होगा |


वृष्टि मूलाःकृषिःसर्वा वृष्टि मूलंच जीवनम् ।
तस्मादादौ प्रयत्नेन वृष्टि ज्ञानं समाचरेत् ।।

ऋषियों के वचनानुसार सम्पूर्ण भारतवर्ष में नौं पर्जन्य नक्षत्रों पर आगामी वर्षाकाल में अतिवृष्टि अनावृष्टि रहित सुवितरित सुवृष्टि होकर सुजलां सुफलां सस्य धान्य वनस्पति ओषधीयों की अभिवृद्धि के लिये तथा भूजल वृद्धि, तालाब, नदियों में जलाभिवृद्धि, जल दौर्भिक्ष्य निरसन के लिये उज्जैन श्री महाकालेश्वर क्षेत्र में “त्रिकाग्निकालाय” कालाग्निरुद्राय स्वरूप तृतीय ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर भगवान जी के सान्निध्य में सोमयज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया है।

यज्ञाचार्य – वाजपेययाजी श्री चैतन्य नारायण काळे जी के आचार्यत्व में तथा सोमयज्ञ के अग्निहोत्री यजमान-आहिताग्नि श्री केतन जी शहाणे गुरुजी (सपत्नीक), रत्नागिरी, महाराष्ट्र के सहयोग से संपन्न हो रहा है। इस दौरान पूज्य स्वामी नृसिंह विजयेन्द्र सरस्वती जी, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत श्री विनितगिरी जी , स्वांमी असंगानंद जी , स्वामी प्रणव पुरी जी, स्वामी श्री शाम दादा जी, अक्षय कृषि परिवार के श्री गजानन डागे आदि सम्मिलित हुए.


सोमयाग में दूसरे , तीसरे व चौथे दिन प्रवर्ग्य नाम की विधि होती है, प्रवर्ग्य विधि में महावीर पात्र नामक मिट्टी के पात्र में शुद्ध देसी गाय का घी उबाल कर उसमें गाय और बकरी का ताजा दूध निकाल कर आहुति दी जाती है। उसमें से एक अत्यंत तेजस्वी अग्नि ज्योत अग्निस्तंभ के रूप में प्रकट होती है | यह एक सनातन वैदिक सोमयज्ञों में धरा को आदित्य से दिव्यता को जोडने की वैज्ञानिक प्रक्रिया मानी जाती है। द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ दिवस प्रतिदिन दो-दो प्रवर्ग्य होगे। सम्पूर्ण याग के दौरान कुल 06 प्रवर्ग किये जायेगे। सोमयाग के द्वितीय दिवस प्रातः बारह बजे से एक बजे के मध्य व सायं पांच से छह बजे के मध्य प्रवर्ग्य विधि संपन्न की जायगी। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति उज्जैन की धर्मप्रिय जनता को सोमयाग के दर्शन हेतु आमंत्रित करती हैं। सोमयाग विहार स्थान पर परिक्रमा पथ का भी निर्माण किया गया है, जिससे श्रद्धालु याग की परिक्रमा कर पुण्य अर्जित के इस पुनीत कार्य में सहभागी हो सकेगे |

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