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ओपन सर्जरी पद्धति से डर गलत, 'BMHRC' डॉक्टरों ने कहा मरीज के लिए ये फायदेमंद

ओपन सर्जरी पद्धति से डर गलत, ‘BMHRC’ डॉक्टरों ने कहा मरीज के लिए ये फायदेमंद

भोपाल स्मारक अस्पताल और अनुसंधान केंद्र यानी बीएमएचआरसी के यूरोलॉजिस्ट कहते हैं कि ओपन सर्जरी पद्धति से इलाज को लेकर लोगों के दिमाग में डर है, वह बिलकुल गलत है। दूरबीन पद्धति से कई बार ऑपरेशन मुश्किल होता है और ओपन सर्जनी से पद्धति मरीज के लिए फायदेमंद होती हैं। इन पद्धतियों से हाल ही में बीएमएचआरसी में प्रोस्टेट और पथरी के दो जटिल ऑपरेशन किए गए हैं जिनके दोनों मरीज बिलकुल स्वस्थ हैं। आइए बताते हैं बीएमएचआरसी में हुए ओपन सर्जरी पद्धति के उन ऑपरेशन के बारे में जिनमें डॉक्टरों ने सफलता से इलाज किया।

बीएमचआरसी के यूरोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ अभिषेक चौबे ने बताया कि 55 वर्षीय गैस पीड़ित मरीज बीते दो सालों से रुक-रुक कर और बार-बार पेशाब आने की शिकायत से परेशान थे। करीब 15 दिन पहले अचानक उनको यूरिन आना बंद हो गया। उन्होंने प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराया, जहां उनकी पेशाब की नली में कैथेटर डाल दिया गया। उन्होंने शहर में कई डॉक्टरों से परामर्श लिया। सभी ने उन्हें ऑपरेशन की सलाह दी, लेकिन ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया क्योंकि उनकी प्रोस्टेट ग्रं​थी का आकार काफी बढ़ गया था। इसका वजन 122 ग्राम था जबकि सामान्य तौर पर प्रोस्टेट ग्रंथि का वजन 40-50 ग्राम होता है।
एक सप्ताह पहले मरीज का इलाज शुरू हुआ
डॉ चौबे ने बताया कि इतने बढ़े और वजनी प्रोस्टेट की सर्जरी करना बहुत रिस्की होता है, क्योंकि प्रोस्टेट को निकालने के दौरान अधिक खून के बह जाने का खतरा होता है। पिछले हफ्ते यह मरीज बीएमएचआरसी आए। कुछ आवश्यक जांच कराने के बाद हमने सर्जरी कर उनकी प्रोस्टेट ग्रंथि निकालने का फैसला किया। प्रोस्टेट का आकार और वजन अधिक होने की वजह से यह ऑपरेशन सिस्टोस्कोपी से करना मुमकिन नहीं था, इसलिए हमने छोटा सा चीरा लगाकर सर्जरी की। मरीज के पेट के नीचे का हिस्सा ही सुन्न किया गया। सिर्फ निचले एक घंटे से भी कम समय में आॅपरेशन पूरा कर लिया गया। मरीज की स्थिति अब एकदम ठीक है और उन्हें चार दिनों के भीतर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है।
ओपन सर्जरी के बारे में लोगों में गलतफहमी
डॉ चौबे ने बताया कि आम लोगों में यह गलतफहमी है कि दूरबीन के जरिए ही ऑपरेशन कराया जाना चाहिए, ओपन प्रक्रिया से नहीं। कई बार ओपन सर्जरी दूरबीन पद्धति से ज्यादा बेहतर होती है। इस मरीज की लैप्रोस्कोपी से सर्जरी करना काफी​ रिस्की था, क्योंकि दूरबीन पद्धति से इतने वजनी प्रोस्टेट को निकालने में काफी वक्त लगता और अधिक समय लगने से मरीज की पेशाब की नली पूरी तरह सिकुड़ सकती थी। ओपन सर्जरी में मरीज के पेट के नीचे छोटा सा चीरा लगाकर सर्जरी की, जिससे यह रिस्क नहीं था।
केसः2
की–होल प्रक्रिया से निकाली खराब किडनी
बीएमएचआरसी के यूरोलॉजी विभाग में डॉक्टरों की एक टीम ने एक गैस पीड़ित महिला की दुर्लभ सर्जरी कर की–होल प्रक्रिया के माध्यम से एक महिला की खराब हो चुकी किडनी को बाहर निकाल ​दिया। किडनी में मौजूद पथरी की वजह से यह किडनी खराब हुई थी। बीएमएचआरसी के यूरोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ अभिषेक चौबे ने बताया कि 44 वर्षीय इस महिला को बीते दो साल से अक्सर पेट दर्द और बार—बार बुखार आने की शिकायत रहती थी। दवा लेने के बाद तकलीफ से आराम मिलता था, लेकिन कुछ दिनों बाद दोबारा लक्षण उभर आते थे। विभिन्न जांच करने पर पता चला कि मरीज की किडनी में स्टोन है, जिसकी वजह से किडनी सिकुड़ गई है। डीटीपीए स्कैन से यह बात सामने आई कि इस किडनी ने काम करना बंद कर दिया है और किडनी को निकालना पड़ेगा। मरीज ने भोपाल मुंबई में भी डॉक्टरों से परामर्श लिया और उन्होंने भी किडनी निकालने का परामर्श दिया। हालांकि मरीज ने बीएमएचआरसी के यूरोलॉजी विभाग पर भरोसा किया और यहां यहां आॅपरेशन कराने का फैसला किया। हमने लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से मरीज का ऑपरेशन किया और खराब किडनी को बाहर निकाल दिया। मरीज की तबियत में सुधार है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
किडनी निकालना इसलिए था जरूरी
डॉ चौबे ने बताया कि इस किडनी को शरीर से निकालना आवश्यक था, क्योंकि ऐसा न करने से शरीर में इन्फेक्शन बढ़ सकता था और इसकी वजह से कई अन्य अंग भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते थे और मरीज की हालत बिगड़ सकती थी। किडनी में पथरी हो तो लापरवाही न करें : डॉ चौबे ने बताया कि अगर मरीज पहले ही पथरी का इलाज करा लेती तो उनकी किडनी खराब नहीं होती। ऐसे में पथरी के मामले में लापरवाही न करें। अगर पथरी का आकार 1 सेमी से अधिक है, लगातार पेट दर्द होता हो या पथरी पेशाब की नली में फंसी हो, तो तुरंत इलाज करवाएं। अन्यथा किडनी खराब हो सकती है।

बीएमएचआरसी में एडवांस यूरोलॉजी सेंटर विकसित करने का प्लान
बीएमएचआरसी को एडवांस यूरोलॉजी सेंटर के तौर पर विकसित करने का प्लान है। दोनों ही ​जटिल सर्जरी उसी दिशा में किए जा रहे प्रयास का हिस्सा है। जल्द ही यूरोलॉजी विभाग में स्पेशल ओपीडी क्लिनिक भी शुरू किए जाएंगे।

  • डॉ मनीषा श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, बीएमएचआरसी

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