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मुंबई की करोड़ों रुपए कीमत की जमीन बेचने के मामले में लोकायुक्त जांच तेज
मुंबई की करोड़ों रुपए कीमत की जमीन बेचने के मामले में सीबीआई की तरफ से दिसम्बर, 2017 में एफआईआर दर्ज करने के बाद लोकायुक्त संगठन ने भी दो साल से लंबित जांच तेज कर दी है। इस संबंध में वित्त विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव को तलब किया गया है। जानकारी के अनुसार युवा कल्याण विभाग के सचिव अनिरूद्ध मुखर्जी को 22 फरवरी तक जवाब देने या फिर उपस्थित होकर पक्ष रखने के लिए कहा गया है। मुखर्जी तत्कालीन वित्त विभाग के प्रमुख सचिव रहे हैं। जमीन घोटाले में उस वक्त वित्त विभाग की जिम्मेदारी मुखर्जी के पास थी। यह जवाब मुंबई के कफ परेड थाना क्षेत्र की 260 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में मांगा जा रहा है। जिसकी शिकायत 2015 में लोकायुक्त पुलिस से कर दी गई थी। अब इस मामले में रफ्तार तेज तब हुई जब मुंबई सीबीआई की एंटी करप्प्शन ब्यूरो यूनिट ने दो एफआईआर दर्ज कर ली। यह एफआईआर दिसम्बर, 2017 के आखिरी सप्ताह में हुई थी। इस मामले में आरोपी अज्ञात बनाए गए हैं।
बिल्डराें को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन को बेचा
आरोप है कि बिल्डराें को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन को बेचा गया था। यह जमीन प्रोवीडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड के आधिपत्य में थी। यह कंपनी मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से कांग्रेस शासनकाल में बनाई गई थी। जिसकी जिम्मेदारी वित्त विभाग के प्रमुख सचिव के पास हुआ करती थी।मुंबई और ठाणे में मप्र सरकार की सैकड़ों एकड़ बेशकीमती जमीन को 2001 में गलत तरीके से नीलकंठ सोसायटी को जमीन देने के मामले के अलावा वर्ष 1924 के आसपास के एक मामले से जुड़े दस्तावेज भी गायब होने का मामला आया है।1924-25 में मुंबई के शख्स मथुरादास जमुनादास की ठाणे में लगभग 300 एकड़ जमीन को तत्कालीन सरकार ने बंधक बनाया था। जमीन को मप्र सरकार की कंपनी प्रोविडेंट इनवेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड को इसे संभालने की जिम्मेदारी दी गई।
जमीन को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में याचिका
कुछ सालों बाद मथुरादास जमुनादास के परिवार के सदस्यों ने जमीन को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि हाईकोर्ट से इस केस में कोई फैसला नहीं हो पाया। इसके बाद उनका परिवार सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा, लेकिन पता चला कि उस केस से जुड़ी फाइलें गायब हो गई हंै। फाइलें गायब होने के बाद कोर्ट के निर्देश पर इस मामले में मुंबई में सीबीआई ने मामला भी दर्ज किया है। सीबीआई को भी इस मामले में दस्तावेज नहीं मिले, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट से कहा है कि संभव हो तो इस केस को फिर खोला जाए। प्रोविडेंट इनवेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा संभाली जा रही जमीन के कुछ हिस्से पर जंगल है, वहीं कुछ हिस्सा सरकारी कामकाज के लिए उपयोग में आ रहा है। पीआईसीएल कंपनी के एमडी और प्रमुख सचिव अनिरुद्ध मुखर्जी ने कहा कि इस मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज कोर्ट में थे, जो गायब हुए हैं। उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिए हैं।
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