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निशा बांगरे ने कहा आंबेडकर ने कांग्रेस को जलता घर सही कहा था, वहां नारी सम्मान भी नहीं, आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर दिया इस्तीफा
मध्य प्रदेश की राज्य प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाली निशा बांगरे ने आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और यह आरोप लगाया कि आंबेडकर जो कांग्रेस को जलता हुआ घर बताया था, वह सही था। वहां नारी सम्मान नहीं है और वादा खिलाफी है। पढ़िये रिपोर्ट।
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी निशा बांगरे ने आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को इस्तीफा लिखकर भेजा जिसे आज आंबेडकर जयंती पर उनकी टीम ने वायरल किया। इस इस्तीफे में उन्होंने बाबा साहब आंबेडकर को संबोधित करते हुए उनके कांग्रेस के लिए कही गई बातों को उल्लेखित किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब चाहते थे कि वंचित वर्ग के लोग संसद में जाकर राजनीतिक हिस्सेदारी अर्जित करते हुए वंचित वर्ग की आवाज बनें। बांगरे ने इस्तीफे में लिखा कि इसी कारण उन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा के सर्वोच्च पद की नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश कर शोषित और वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा था।
कांग्रेस पर वादाखिलाफी का आरोप
बांगरे ने नौकरी छोड़कर राजनीति में आने के बाद कांग्रेस में छह महीने के अपने अनुभव को इस्तीफे में शेयर किया। उन्होंने कहा कि छह महीने में कांग्रेस ने उन्हें विधानसभा का टिकट देने का वादा किया था। पहले उन्होंने बैतूल जिले की आमला सीट को छोड़कर कांग्रेस ने 229 सीटों पर प्रत्याशी का ऐलान किया और आखिरी में उन्हें टिकट नहीं दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने षड़यंत्र कर उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने से रोका और आखिरी समय तक टिकट का ऐलान नहीं कर समाज के वोट बटोरने का प्रयास किया। इसके बाद लोकसभा चुनाव में टिकट देने का वादा किया और इसमें भी वादाखिलाफी की।
कांग्रेस ने आंबेडकर को भी हराने प्रत्याशी खड़े किए
बांगरे ने आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या को लिखे इस्तीफे में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी भी बाबा साहब आंबेडकर को टिकट नहीं दिया बल्कि उन्हें हराने के लिए प्रत्याशी खड़े किए। उन्होंने हराया गया। बांगरे ने कहा कि कांग्रेस ने तब भी न्याय नहीं किया था और आज भी न्याय नहीं कर रही है। बांगरे ने कहा कि वे नौकरी छोड़कर राजनीति में आई थी लेकिन कांग्रेस ने मेरी योग्यता को अयोग्यता बना दिया। वे कांग्रेस के सभी दायित्वों से मुक्त होने के लिए इस्तीफा दे रही हैं।
ऐसा रहा सालभर से कम समय का राजनीतिक केरियर
मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा नौकरी को छोड़ने के लिए निशा बांगरे ने विधानसभा चुनाव 2023 के पहले राज्य शासन को इस्तीफा दिया था जिसमें उन्होंने अपने गृह नगर बैतूल जिले में उनके पारिवारिक कार्यक्रम के लिए अवकाश स्वीकृत नहीं किए जाने को आधार बनाया था। राजनीति के एक साल से भी कम समय के केरियर में निशा बांगरे ने कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष कमलनाथ से कई मुलाकात की और नौकरी से इस्तीफा स्वीकृत नहीं होने पर हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट तक गईं। इसके बाद बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से प्रत्याशी बनाए जाने के लिए काफी प्रयास किया और जब टिकट नहीं मिला तो वे शांत हो गईं। लोकसभा चुनाव में टिकट चाहती थीं लेकिन इसमें भी उन्हें मौका नहीं मिलने पर उन्होंने वापस सरकारी नौकरी में लौटने के लिए मध्य प्रदेश शासन से गुहार लगाई। मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पिछले साल दिए गए नौकरी से इस्तीफे को वापस लेने का आवेदन दिया। इस आवेदन के कुछ दिन बाद आंबेडकर जयंती का मौका बनाते हुए कांग्रेस में उपरोक्त तमाम आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
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