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स्मार्ट पुलिसिंग के लिए मप्र पुलिस को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार

स्मार्ट पुलिसिंग के लिए मप्र पुलिस को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार

मध्य प्रदेश पुलिस को  राष्ट्रीय स्तर के तीन प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं। देश के व्यापार एवं उद्योग जगत की प्रमुख संस्था फिक्की (  फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंम्बर ऑफ कॉमर्श एंड इंडस्ट्रीज) ने स्मार्ट पुलिसिंग अवार्ड्स- 2019 की तीन श्रेणियों में मध्यप्रदेश पुलिस को एवार्ड देने की घोषणा की है । देश की राजधानी नई दिल्ली स्थित फिक्की के ऑडीटोरियम में22 अगस्त को ये पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे।

प्रदेश सरकार द्वारा दिए जा रहे पुलिस आधुनिकीकरण को बढ़ावा और पुलिस महानिदेशक श्री विजय कुमार सिंह के नेतृत्व में स्मार्ट पुलिसिंग के क्षेत्र में मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा टीम वर्क से किए गए सफल नवाचारों के लिए यह उपलब्धि मिली है। मध्यप्रदेश पुलिस को फिक्की ने जिन तीन श्रेणियों में  एवार्ड के लिए चयनित किया है, उनमें  महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराध नियंत्रण में अनुकरणीय कार्य ,  प्रदेश की ‘ चिन्हित अपराध’ योजना  तथा एससीएमआरसी (सेफ सिटी मॉनीटरिंग रिस्पॉन्स सेंटर ) भोपाल में 60 शहरों के सीसीटीवी डेटा पर पुलिस टेलीकॉम द्वारा बनाए गए वाहन डिटेक्शन पोर्टल के लिए मिलने जा रहे सम्मान शामिल हैं।

राष्ट्रीय स्तर के ये अत्यधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार हैं। जिन्हें  व्यापक रूप से उद्योग और पेशेवर हलकों में मान्यता प्राप्त है। पुरस्कारों का निर्णय एक ज्यूरी द्वारा किया जाता है। जिसमें भारत के पूर्व गृह सचिव श्री जी के पिल्लई के नेतृत्व में पेशेवर पुलिस और उद्योग जगत के दिग्गज शामिल होते हैं। मध्यप्रदेश पुलिस को ये प्रतिष्ठित सम्मान दिलाने में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अपराध अनुसंधान  श्री राजीव टंडन,  अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक महिला अपराध श्री अन्वेष मंगलम, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक टेलीकॉम श्री उपेन्द्र जैन व पुलिस महा निरीक्षक अपराध अनुसंधान श्री डी श्रीनिवास वर्मा एवं उनकी टीमों की अहम भूमिका रही है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक महिला  अपराध श्री अन्वेष मंगलम ने बताया फिक्की द्वारा वर्तमान का पहला पुरस्कार महिलाओं और बच्चों से यौन उत्पीड़न करने वाले अपराधियों को  सजा दिलाने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा बनाये गए पुख्ता तंत्र  के लिए दिया गया है। उन्होंने बताया  मई 2018 के बाद से अब तक मध्यप्रदेश में 27 मामलों में न्यायालयों द्वारा मौत की सजा दी गई है , जो देश में एक वर्ष के भीतर किसी भी राज्य में स्वतंत्रता के बाद  दी गईं सर्वाधिक मौत की सजाएं  हैं।  साथ ही200 से अधिक आजीवन कारावास सजाएं भी मध्यप्रदेश पुलिस ने दिलाईं हैं। मौत की सजा के 27 मामलों में से, उच्च न्यायालय द्वारा अपील में लगभग 12 मामलों पर विचार किया गया है। पर मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा रखे गए पुख्ता साक्ष्यों की वजह  से  कोई भी अपराधी बरी नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील में 4-5 मामले लंबित हैं। श्री  मंगलम ने बताया कि मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों को  प्रभावी ढंग से रोकने और आरोपियों का पता लगाकर उन पर मुकदमा चलाने के लिए एक पूर्ण प्रणाली विकसित की जा रही है।

इस वर्ष का दूसरा पुरस्कार चिन्हित अपराध योजना के लिए है। मध्यप्रदेश पुलिस राज्य भर में प्रति वर्ष लगभग 800 से एक हज़ार सनसनीखेज एवं जघन्य अपराधों की पहचान करती है।  इन मामलों में जांच से लेकर अभियोजन और अपील के चरण तक हर स्तर पर मजबूत पैरवी की जाती है। ऐसे मामलों में सजा की दर 70 प्रतिशत से भी अधिक है।

वर्ष का तीसरा पुरस्कार  एससीएमआरसी भोपाल एवं पुलिस दूरसंचार के वाहन जांच पोर्टल के लिए मिल रहा है।  इस पोर्टल पर चोरी के वाहनों का पता लगाने के लिए संपूर्ण डेटा एकत्र कर विश्लेषण किया जाता है।  

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक टेलीकॉम श्री उपेन्द्र जैन ने बताया कि अपराधों में अक्सर वाहनों का दुरुपयोग होता है। वाहन से संबंधित समस्त विवेचना के लिए वाहन डिटेक्शन पोर्टल बनाया गया है।  यह पोर्टल अपराधों में प्रयुक्त वाहनों से संबंधित विवेचना में काफी कारगर सिद्घ हो रहा है। श्री जैन ने बताया कि इस पोर्टल पर सीसीटीएनएस( क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्किंग सिस्टम) ,  मध्यप्रदेश ट्रांसपोर्ट विभाग एवं सीसीटीवी कैमरों से  संबंधित डाटा को एकीकृत किया गया है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहां  पुलिस द्वारा 60 शहरों में सीसीटीवी स्थापित किए गए हैं । इससे बड़े पैमाने पर अपराधों की रोकथाम, अपराध का पता लगाने, आपराधिक पहचान और सार्वजनिक शांति बनाये रखने के लिए उपयोग किया जा रहा है।  उज्जैन सिंहस्थ -2016  एवं अन्य सैकड़ों अवसरों पर इस सुविधा ने सार्वजनिक व्यवस्था और अति विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देकर  सक्षम एवं कारगर पुलिस कार्रवाई में अपनी उपयोगिता साबित की है। सीसीटीवी डेटा की मदद से हजारों मामलों का पता लगाया गया है और आपराधियों की पहचान की गई है। हाल ही में अदालतों द्वारा जिन 5 मामलों में मौत की सज़ा सुनाई है उनमें  डीएनए मिलान के अलावा सीसीटीवी के फुटेज भी महत्वपूर्ण सबूत साबित हुए हैं।

टेलीकॉम पुलिस एवं एडीजी  श्री मंगलम  को पुरस्कारों की हैट्रिक 

तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक टेलीकॉम एवं वर्तमान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक  महिला अपराध श्री अन्वेष मंगलम के लिए व्यक्तिगत रूप से यह तीसरा पुरस्कार मिलने जा रहा  है। इससे पहले उन्हें  एमपी डायल -100 (भारत में पुलिस की पहली और अग्रणी प्रणाली) और  60 शहरों में सीसीटीवी आधारित खुली निगरानी और निगरानी प्रणाली स्थापित करने के लिए पुरस्कार मिल चुके हैं।  ज्ञात हो सार्वजनिक शांति के लिए भोपाल का राज्य स्तरीय डेटा एकत्रीकरण और विश्लेषण केद्र , भारत में अपनी तरह का पहला सेंटर है। इस प्रकार पुलिस टेलीकॉम एवं एडीजी श्री मंगलम को वर्ष 2017, 2018 और 2019 में लगातार पुरस्कार मिलने से पुरस्कारों की हैट्रिक बन गई है।

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