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बनारस घराने की बंदिशों और ओडिसी समूह नृत्य की प्रस्तुतियों ने बाँधा समां

बनारस घराने की बंदिशों और ओडिसी समूह नृत्य की प्रस्तुतियों ने बाँधा समां

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में परम्परा, नवप्रयोगों एवं नवांकुरों के लिए स्थापित श्रृंखला “उत्तराधिकार” में आज “उपशास्त्रीय गायन” और “ओड़िसी समूह नृत्य” की प्रस्तुतियाँ संग्रहालय सभागार में हुई|पहली प्रस्तुति में पद्मभूषण पंडित राजन मिश्र एवं पंडित साजन मिश्र की शिष्या दिव्या शर्मा (भोपाल) ने उपशास्त्रीय गायन की शुरुआत राग मारू विहाग में बड़ा ख़याल “पैंया तोरे लागी” और छोटा ख़याल “सघन बन बोले रे” बंदिश से की| इसके पश्चात राग मधुकौंस में “कल न परे येरी याली” बंदिश और इसी राग में तराना की प्रस्तुति देकर उन्होंने सुधि श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया| इसके पश्चात उन्होंने “साधौ रचना राम बनाई” भजन प्रस्तुत किया और अंत में राजस्थानी लोकगीत माड़ ‘केसरिया बालमा’ से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया|संगतकारों में तबले पर रामेन्द्र सोलंकी ने और हारमोनियम पर जीतेन्द्र शर्मा ने उनका साथ दिया |

दिव्या शर्मा जी ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर घराने के पंडित कुंदनमल शर्मा जी प्राप्त की| प्रारंभिक शिक्षा के उपरांत बनारस घराने के पंडित राजन मिश्र एवं पंडित साजन मिश्र जी से इन्होंने संगीत की शिक्षा प्राप्त की| बनारस घराना अपनी बंदिशों के बोलों की विशिष्टता और ‘भाव पक्ष’ की प्रस्तुति के लिए जाना जाता है| दिव्या शर्मा को  2007-08 में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संगीत के क्षेत्र में युवाओं को दी जाने वाली स्कॉलरशिप भी प्रदान की जा चुकी है|

दूसरी प्रस्तुति में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एवं पद्म पुरस्कार प्राप्त मायाधर राउत जी की पुत्री एवं शिष्या मधुमिता राउत (दिल्ली) ने अपने शिष्य और शिष्याओं के साथ ओड़िसी समूह नृत्य की प्रस्तुति दी| समूह नृत्य की शुरुआत उन्होंने आदि शंकराचार्य के ‘जगन्नाथाष्टकम’ के कुछ पदों पर ‘मंगलाचरण’ प्रस्तुत कर की| मंगलाचरण के पश्चात् ‘बाटू नृत्य’, जो प्राचीन मंदिरों में पाई जानेवाली मूर्तियों से प्रेरित नृत्य है, की प्रस्तुति हुई|उनके द्वारा 13 वीं शताब्दी के कवि जयदेव द्वारा लिखित गीत गोविन्द के पदों पर गुरु मायाधर राउत द्वारा संकलित ‘ललित लवंग लता’ कविता को ‘अभिनय’ नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया गया, इसके पश्चात उनके द्वारा राग वैराग पर आधारित “वैराग पल्लवी” नृत्य रूप और राधा-कृष्ण एवं गोपियों को रूपायित करने वाली ‘उडिया अभिनय नचंती कृष्णा’ की प्रस्तुति दी गई| अंत भगवान कृष्ण को समर्पित शुद्ध ओडिसी नृत्य ‘मोक्ष’ प्रस्तुत कर उन्होंने अपनी प्रस्तुति को विश्राम दिया| मधुमिता राउत के साथ उनकी शिष्याओं और शिष्य प्रियंका वेंकटेश्वरण, नित्या पन्त, वसुंधरा चोपड़ा, सुनीता सिंह, श्रुति प्रसाद, तरिणी सिंह, प्रणति मालू, प्रीती पराशर प्रतिभा नायर और किशन मिनोचा ने नृत्य प्रस्तुति दी|

मधुमिता राउत ने नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता और गुरु मायाधर राउत से प्राप्त की है| भारतीय विद्या भवन स्कूल दिल्ली और इन्द्रप्रस्थ कॉलेज दिल्ली से शिक्षा प्राप्त मधुमिता राउत को ओडिसी नृत्य पर रिसर्च कार्य के लिए संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से फैलोशिप भी प्रदान की गई है| मधुमिता राउत दूरदर्शन की ग्रेड-ए श्रेणी प्राप्त कलाकार हैं| मधुमिता राउत देश विदेश के विविध मंचो पर अपनी नृत्य प्रस्तुति दे चुकी हैं|

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