-
दुनिया
-
अफ्रीकी चीता गामिनी ने छह शावकों को जन्म दिया
-
पं. प्रदीप मिश्रा सीहोरवाले के कुबरेश्वरधाम में महाशिवरात्रि के बाजार सजे, देशभर से आ रहे अनुयायी
-
डॉक्टर ने जर्मनी में पत्नी से देह व्यापार कराने की कोशिश, इंदौर में दर्ज हुआ मामला
-
मध्य प्रदेश में साइबर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के हर साल बढ़ रहे मामले, सोशल मीडिया प्लेटफार्म माध्यम
-
मैनिट भोपाल में स्टार्टअप एक्सपो, युवाओं, निवेशकों-ग्राहकों को मिलेगा मंच
-
चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाया विपक्ष
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष महाभियोग प्रस्ताव लाया है. महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस की अगुवाई में सात प्रमुख विपक्षी टिप्पणी है। इस प्रस्ताव के साथ ने राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर उन्हें ये प्रस्ताव सौंपा। शुक्रवार को विपक्षी पार्टियों की कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की अगुवाई में बैठक हुई। इसके बाद कई विपक्षी दलों के नेता उपराष्ट्रपति को प्रस्ताव सौंपने पहुंचे। मीडिया में सीधा प्रसारण करते हुए पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने पत्रकारों से कहा कि हम लोग ये प्रस्ताव एक हफ्ते पहले ही पेश करना चाहते थे, लेकिन उपराष्ट्रपति जी के पास समय नहीं था. आज हमने राज्यसभा की 7 राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर राज्यसभा चेयरमैन को महाभियोग का प्रस्ताव सौंप दिया है. उन्होंने कहा कि 71 सांसदों के हस्ताक्षरों के साथ ये प्रस्ताव सौंपा है. इनमें 7 रिटायर हो चुके हैं. हालांकि, फिर भी यह जरूरी संख्या से अधिक है. उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव 5 बिंदुओं के आधार पर पेश किया गया है.
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि संविधान के तहत अगर कोई जज दुर्व्यवहार करता है तो संसद का अधिकार है कि उसकी जांच होनी चाहिए. सिब्बल ने कहा कि हम अपनी चिट्ठी में लिखा है काश हमें ये दिन नहीं देखना पड़ता. सिब्बल ने कहा कि जब से दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस बने हैं तभी से कुछ ऐसे फैसले लिए गए हैं जो कि सही नहीं हैं. इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट के ही चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी.सिब्बल ने कहा कि हमारे पास महाभियोग लाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. सिब्बल बोले कि हमें उम्मीद थी कि जजों की जो नाराज़गी है, उन सभी को भी ध्यान में रखा जाएगा. और कुछ बदलाव आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. क्या देश के लोग सबसे बड़े संस्थान को ऐसे स्थिति में ही देखते रहें. जिन मामलों को ध्यान में रखते हुए ये महाभियोग लाया गया है, उनमें पहला प्रसाद ऐजुकेशनल केस है.
सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने महाभियोग प्रक्रिया पर मीडिया में रिपोर्टिंग पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि हम सभी मीडिया में ऐसी खबरें देखकर परेशान है और ये दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि ये चिंता की बात है कि राजनेता किस तरह न्यायपालिका के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में AG के.के. वेणुगोपाल का सहयोग मांगा है. इस मामले पर अब 7 मई को सुनवाई होगी. हालांकि, कोर्ट ने इस तरह के मसले पर रिपोर्टिंग पर बैन करने से इनकार किया है.
महाभियोग के पांच बिंदु
1. मुख्य न्यायाधीश के पद के अनुरुप आचरण ना होना, प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप. इसमें मुख्य न्यायाधीश का नाम आने के बाद सघन जांच की जरूरत.
2. प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट का सामना जब CJI के सामने आया तो उन्होंने CJI ने न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया को किनारे किया.
3. बैक डेटिंग का आरोप.
4. जमीन का अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करना.
5. कई संवेदनशील मामलों को चुनिंदा बेंच को देना.
ये नेता गए थे उपराष्ट्रपति से मिलने
चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर उपराष्ट्रपति से मिलने पहुंचे. विपक्षी नेताओं में गुलाम नबी आजाद, केटीएस तुलसी, अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, एनसीपी की वंदना चौहान, सीपीआई के डी. राजा शामिल थे. हालांकि, आरजेडी और टीएमसी अभी महाभियोग प्रस्ताव की मुहिम से दूरी बनाए हुए हैं.
विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक करने के बाद गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि हम महाभियोग का प्रस्ताव देने के लिए उपराष्ट्रपति के पास जा रहे हैं. हमें सात पार्टियों का समर्थन है, इसमें कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी, बीएसपी, मुस्लिम लीग और समाजवादी पार्टी शामिल हैं.
Leave a Reply