महाकवि तुलसीदास जी द्वारा रचित यह दोहा हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो दान देने में विश्वास तो रखते हैं, लेकिन यह सोचते हैं कि उनके पास से धन या कोई वस्तु कम न हो जाए। दान करने से धन कम होता है, इस विचार को गलत सिद्ध करते हुए कविवर तुलसीदास जी ने हमें यही बताया है कि नदी से पक्षी के पानी पी लेने से कभी-भी नदी का पानी कम नहीं हो जाता। यहाँ तक कि सिर्फ पक्षी ही नहीं, बल्कि अनगिनत जानवर एवं इंसान भी प्रतिदिन नदी से पानी लेते हैं, लेकिन क्या कभी नदी का पानी कम होता है? नहीं न! ठीक इसी प्रकार दान देने से कभी-भी धन नहीं घटता। दान करना हर एक धर्म में सबसे बड़ा धर्म है, जिससे व्यक्ति को ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है। दान को लेकर लेखक अतुल मलिकराम का एक लेख पढ़िये।
-
दुनिया
-
बागेश्वर सरकार की ज़िंदगी पर शोध करने पहुची न्यूजीलैंड के विश्वविद्यालय की टीम
-
Rahul Gandhi ने सीजफायर को BJP-RSS की सरेंडर की परंपरा बताया, कहा Modi करते हैं Trump की जी हुजूरी
-
ऑपरेशन सिंदूर ने बताया आतंकवादियों का छद्म युद्ध, प्रॉक्सी वॉर नहीं चलेगा, गोली चलाई जाएगी तो गोले चलाकर देंगे जवाब
-
मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर कामलीला, नेताजी की महिला शिक्षक मित्र संग आशिकी का वीडियो वायरल
-
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा आंबेडकर संविधान जलाना चाहते थे, मनुस्मृति को तो गंगाधर सहस्त्रबुद्धे ने जलाया
-