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क्या ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के मेहमान फुटपाथ पर चलेंगे…, क्यों खर्च हो रहा है करोड़ों का बजट…

ग्लोबल इवेस्टर्स समिट 24-25 फरवरी को होने जा रही है जिसमें देश ही नहीं विदेशों से भी निवेशक आ रहे हैं। मगर जिस ढंग से बाहरी सजावट से उन्हें आकर्षित करने के लिए करोड़ों की राशि पानी की तरह बहाई जा रही है और ऐसा लग रहा है कि उन्हें भोपाल की सड़कें, दीवारें और फुटपाथ से सरकार लुभा लेगी। आखिर इन पर इतना खर्च क्यों हो रहा है, यह किसी को पता नहीं, मगर यह जरूर है कि इससे कई लोग बन जाएंगे। जानिये कहां कहां हो रही है फिजूल खर्ची।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए राज्य सरकार ने देश ही नहीं विदेशों में निवेशकों से मीटिंग कीं और रोड शो किए। अब आखिरकार वह समय आ ही रहा है जिसके लिए सरकार लंबे समय से उपरोक्त कोशिशें कर रही थी। मगर इस समय के जैसे जैसे दिन करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे भोपाल के बाहरी आवरण को रंग-पोतकर नया रूप देने की कोशिश की जा रही हैं। देश के स्वच्छ शहरों में टॉप दस शहरों में रहते आए भोपाल को इस तरह रंग-पोतकर सुंदर बनाए जाने से स्वच्छता प्रतियोगिता पर भी सवाल खड़े करता है। अगर भोपाल देश के चुनिंदा स्वच्छ शहरों में है तो उसे सुंदर बनाने के नाम पर करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाने की जरूरत क्यों पड़ रही है।
क्या सड़क, फुटपाथ, दीवारों को देखने आ रहे हैं निवेशक
देश के स्वच्छ शहरों की सूची में जगह रखने वाले भोपाल शहर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजन में आ रहे देशी-विदेशी निवेशक क्या यहां उद्योग-धंधे या सेवाओं में पैसा यहां की रंगों से लिपी-पुती फुटपाथ-दीवारों को देखकर निवेश करने वाले हैं। फुटपाथ जिस पर आदमी पैदल चलता है उन्हें रंगों से पोतकर निवेशकों को आकर्षित करना क्या सही है। दीवारों की स्वच्छता को दिखाने के लिए उन्हें पेंटिंग्स से रंगीन करके निवेशकों को रिझाया जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि क्या निवेशकों को यह रंग-रोगन दिखावा महसूस नहीं होगा और क्या इससे उनके मन में प्रदेश सरकार के फिजूल खर्ची की कार्यप्रणाली का छाप नहीं बैठेगी।
होना यह चाहिए जो निवेशक के मन में स्थान बना सके
वास्तव में निवेशकों को अगर मध्य प्रदेश में राशि निवेश करने के लिए आकर्षित करना है तो ऐसा कुछ करना चाहिए जिससे उनके मन में प्रदेश की विशेष सकारात्मक छाप बन सके। इसके लिए प्रदेश सरकार की उन नीतियों को प्रदर्शित करना चाहिए जो गुड गर्वनेंस का संदेश देती हो। जैसे निवेशकों को जमीन की उपलब्धता के लिए तंत्र को विशेष निर्देश दिए जाते कि जहां-जहां रेल-सड़क, पानी, बिजली की सहज उपलब्धता है, उन औद्योगिक क्षेत्रों में उपलब्ध जमीन के खसरे-नक्शे के साथ जिलों के अधिकारी आयोजन स्थल पर कैंप करें। उन्हें औद्योगिक क्षेत्रों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। साथ ही मानव श्रम की उपलब्धता को लेकर भी प्रदेश के मैदानी अधिकारियों को रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाने वाली आबादी व प्रदेश में उपलब्ध ऐसे मानव श्रम की संपूर्ण जानकारी के साथ मौजूद रहने के निदेश दिए जाने के प्रयास किए जाएं। इसी तरह प्रदेश की संस्कृति-भाषा को लेकर निवेशकों को बताने की कोशिश की जाना चाहिए। यहां यह जरूर है कि इस सबसे में करोड़ों की खर्च नहीं होगा और संबंधित विभागों को श्रम ज्यादा करना होगा।
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