मध्य प्रदेश में RS चुनावः प्रत्याशी घोषित करने बचती INC-BJP, सोनिया का नाम आगे कर कमलनाथ का रास्ता रोका

मध्य प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की पांच सीटों पर चुनाव हैं लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया है। कांग्रेस की एकमात्र सीट को लेकर पार्टी में घमासान की स्थिति है और एक अनार सौ बीमार जैसी परिस्थितियां बन रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर सबकी निगाह है और सोनिया गांधी का नाम आगे करके उनके कांग्रेस से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने की स्थिति में कुछ समय से चली आ रही अफवाहें सही साबित भी होने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश में राज्यसभा की पांच सीटों के लिए 15 फरवरी को नामांकन पर्चे भरने की अंतिम तारीख है लेकिन अब तक न तो भाजपा और न ही कांग्रेस ने अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा की है। पांच से ज्यादा प्रत्याशियों के नामांकन पर्चे भरे जाने की स्थिति में चुनाव कशमकश भरा हो सकता है लेकिन क्रास वोटिंग पर सबकी नजरें होंगी। मगर इसके पहले प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे की ओर देख रहे हैं क्योंकि कांग्रेस में एक सीट के लिए तीन दावेदार हैं व सोनिया गांधी को मध्य प्रदेश से राज्यसभा सीट पर जाने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को प्रस्ताव भेजे जाने से घमासान मच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्यसभा सीट के लिए दावेदारी किए हैं और यही वजह मानी जा रही है कि उनका रास्ता रोकने के लिए सोनिया गांधी के एमपी से राज्यसभा चुनाव में उतारे जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
राज्यसभा के लिए कांग्रेस में डिनर पॉलीटिक्स
राज्यसभा चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी के सभी विधायकों और पूर्व विधायकों को 13 फरवरी को डिनर पर आमंत्रित किया है जिसके लिए आमंत्रण पत्र भी भेज दिए गए हैं। कमलनाथ के इस भोज को राज्यसभा चुनाव से पहले की राजनीति की रणनीति माना जा रहा है जिसमें चुनाव के नामांकन पर्चे में प्रस्तावक विधायकों के हस्ताक्षर करा लिए जाने की चर्चा है।
दिग्विजय-सिंधिया के बीच भी बनी थी स्थिति
गौरतलब है कि इसी तरह की स्थितियां 2020 में राज्यसभा चुनाव के समय भी बनी थीं जब ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने से रोकने के लिए तब कमलनाथ-दिग्विजय सिंह ने सिंधिया का नाम दूसरे क्रम पर करने की रणनीति बनाई थी। तब बनी परिस्थितियों से बचते हुए सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया था और भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजकर उनको सहारा दिया था। आज वही परिस्थितियां कमलनाथ के सामने बनती नजर आ रही हैं और तब सिंधिया ने भी अपने भाजपा में जाने की चर्चाओं का कई बार खंडन किया था।

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