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पुलिस की पीएचपीएस में कौन लगा रहा चूना, पीएचक्यू ने पुलिस अस्पताल से क्यों हटाये मानदेय डॉक्टर, जानिए

मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों को बीमारी में इलाज के लिए पीएचपीएस योजना का लाभ दिया जाता है लेकिन इस योजना को कुछ लोग गलत तरीके से चूना लगा रहे हैं। अब तक इसको लेकर शिकायत नहीं होने से कार्रवाई नहीं हो सकी थी लेकिन पुलिस की लगभग सभी इकाई के पुलिसकर्मियों को इस गड़बड़झाले का पता है और कागजों में उलझे नौकरशाही साक्ष्यों की कमी की वजह से ठोस एक्शन नहीं ले पा रही है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों को बीमारी की स्थिति में अस्पतालों के बड़े बिलों के झंझट की वजह से इलाज में होने वाली परेशानियों से बचाने के लिए पीएचपीएस योजना के माध्यम से पुलिसकर्मियों को सुविधा दी गई है। इस योजना में अधिकृत अस्पतालों के अनुमानित खर्च के आधार पर पुलिसकर्मी का इलाज होता है और पुलिसकर्मी के इलाज के पश्चात संबंधित अस्पताल को बिल का भुगतान हो जाता है। रिकॉर्ड में तो अस्पतालों की कागजी खानापूर्ति नियम के मुताबिक होती है मगर अनुमानित खर्च में गड़बड़ी में कई स्तर पर अस्पताल-पुलिस में सांठगांठ के चलते अब तक यह गोरखधंधा चल रहा है।
ऐसे सामने आया मामला
भोपाल के पुलिस मुख्यालय के पास स्थित पुलिस अस्पताल में नियमित डॉक्टरों के अलावा कुछ मानदेय वाले विशेषज्ञों की सेवाएं भी ली जाती हैं। पिछले दिनों भोपाल के जाने-माने अस्पताल के एक डॉक्टर की मानदेय सेवाओं को निरस्त कर दिया गया। डॉक्टर को क्यों हटाया गया, इस बारे में पुलिस अधिकारी दबी जुबान में पूरे रैकेट की बात कहते हैं लेकिन अधिकृत रूप से कोई बोलने को तैयार नहीं है। जिस डॉक्टर को पुलिस अस्पताल से मानदेय से हटाया गया, उसका नाम डॉ. सव्यसाची है। डॉक्टर का महाराणा प्रताप नगर भोपाल में निजी बड़ा अस्पताल भी है। एडीजी पुलिस कल्याण अनिल कुमार ने बताया कि डॉ. सव्यसाची की मानदेय की सेवाएं समाप्त की गई हैं लेकिन कुछ डॉक्टर अभी मानदेय पर काम कर रहे हैं।
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