प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने 71 मंत्रियों के साथ शपथ ली जिनमें मध्य प्रदेश के लोकसभा-राज्यसभा के आधा दर्जन सांसदों को शामिल किया गया। मगर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले इंदौर के नवनिर्वाचित सांसद शंकर लालवानी को एनडीए की सरकार में जगह नहीं मिलने पर सवाल चर्चा में गूंज रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस को 40 साल बाद बिना खाते खोले लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मात दी है और सभी 29 सीटों पर जीत हासिल की है। इस जीत के लिए प्रदेश भाजपा के संगठन को महत्व मिलना चाहिए क्योंकि चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन के बाद चुनाव प्रबंधन से लेकर मतदान केंद्रों पर बूथ मैनेजमेंट तक संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। संगठन के प्रदेश नेतृत्व वीडी शर्मा के जिम्मे था जिनकी कमान में पहले भाजपा ने मध्य प्रदेश में दो तिहाई बहुमतों वाली राज्य सरकार बनाई और फिर लोकसभा चुनाव में पार्टी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए सभी सीटों पर जीत दिलाई। वीडी शर्मा स्वयं अपनी खजुराहो सीट से पांच लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे और लगातार दूसरी बार वे वहां से जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे हैं। यह उम्मीद की जा रही थी कि इस बार कांग्रेस को क्लीनस्वीप का स्वाद चखाने वाले वीडी को एनडीए की मोदी के प्रधानमंत्रित्व वाली सरकार में मंत्री जरूर बनाया जाएगा मगर रविवार को शपथ में उनका नाम नहीं आने से सवाल चर्चा में आने लगे।
सबसे ज्यादा मतों से जीत का प्रतिफल नहीं
वहीं, इंदौर में जिस तरह भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी को सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत मिली थी, उससे एनडीए सरकार में सिंधी समुदाय के प्रतिनिधित्व के साथ बड़ी जीत का प्रतिफल दिए जाने की उम्मीद की जा रही थी। मगर ऐसा नहीं हो सका। लालवानी को करीब 11 लाख मतों के अंतर की जीत मिली है, हालांकि यह जीत कांग्रेस या अन्य प्रमुख विपक्षी दलों के प्रत्याशी के नहीं होने से कमजोर मानी जा रही है। लालवानी के सामने खड़े हुए कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम का नामांकन पर्चा वापस दिलाए जाने को इंदौर की भाजपा की राजनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है और पार्टी में ही कुछ लोग लालवानी को रिकॉर्ड मतों से जीतने की संभावनाओं को देखते हुए उसे कमजोर करने की रणनीति में लगे थे। अगर वे कांग्रेस प्रत्याशी बम के सामने रिकॉर्ड मतों से जीतते तो दूसरे नेताओं के लिए परेशानी का कारण बन सकते थे।
सरकार में शिवराज को स्थान-कुलस्ते की छुट्टी के मायने
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश भाजपा के देशभर में चर्चित चेहरों में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मोदी की नई सरकार में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। चौहान को मंत्रिमंडल में पांचवें क्रम पर शपथ दिलाई गई जबकि वे तीन बार के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनका नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी चला था और मंत्री पद की शपथ दिलाकर उनकी अध्यक्ष बनने की अटकलों को विराम दे दिया गया है। मंत्रिमंडल में डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक को मध्य प्रदेश के सांसदों में दूसरी वरिष्ठता मिली है तो तीसरे नंबर ज्योतिरादित्य सिंधिया को रखा गया है। यही नहीं, इस बार फग्गन सिंह कुलस्ते की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दो नए आदिवासी चेहरों दुर्गादास उइके व सावित्री ठाकुर को आगे लाया गया है। कुलस्ते अपने गृह नगर में ही विधानसभा चुनाव हार चुके थे और लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी उन्हें मंत्री नहीं बनाकर उनसे किनारा करने की कोशिश भाजपा ने की है। राज्यसभा में मध्य प्रदेश से सांसद डॉ. एल मुरुगुन को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है और उनका नाम भी मध्य प्रदेश कोटे से लिया गया है।
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