मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ यानी अजाक्स के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ने अपने पहले ही भाषण में ऐसा बयान दे दिया है जिससे बवाल मच गया है। वर्मा ने आरक्षण की वकालत करते हुए सवर्ण समाज को एक तरह से चेतावनी दे दी है कि आरक्षण की तब तक पात्रता रहेगी जब तक की सवर्ण समाज के साथ बेटी-रोटी का व्यवहार शुरू नहीं हो जाता। पढ़िये रिपोर्ट।
अजाक्स मध्य प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का एक संगठन है जिसका रविवार को सम्मेलन था। सम्मेलन में अध्यक्ष पद पर नई नियुक्ति के रूप में आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को जिम्मेदारी दी गई थी। अब तक इस पद पर अपर मुख्य सचिव जेएन कांसोटिया काम कर रहे थे लेकिन उन्होंने स्वेच्छा से यह पद त्यागते हुए नए व्यक्ति को जिम्मेदारी देने की मंशा जताई थी। संतोष वर्मा को रविवार को जब अध्यक्ष बनाया गया तो उन्होंने अपने पहले ही भाषण में आरक्षण को लेकर ऐसा बयान दे दिया जो अब जमकर वायरल हो रहा है। इससे बवाल मच गया है और सवर्ण समाज के संगठनों ने इसे मुद्दा बनाते हुए अध्यक्ष के खिलाफ सरकार से कार्रवाई करने की मांग उठाना शुरू कर दिया है।
यह बयान है जो बना विवाद की वजह
संतोष वर्मा ने भाषण में कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण को वे तब तक नहीं मानेंगे जब तक कि उनके बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं कर दे या उससे संबंध नहीं बनाए। वर्मा ने कहा कि केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण की अगर बात है तो जब तक बेटी-रोटी का व्यवहार नहीं होता तब तक समाज के पिछड़ेपन और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण आरक्षण की पात्रता मिलती रहेगी। उन्होंने कहा कि जाति और भेदभाव खत्म करना होगा और तब हमें कोई आरक्षण नहीं चाहिए होगा। वर्मा ने सिविल जज में समाज के किसी भी योग्य व्यक्ति के नहीं मिलने पर सीट खाली रह जाने को लेकर कहा कि जब अनुसूचित जाति-जनजाति का व्यक्ति अखिल भारतीय सेवा की परीक्षा में पास होकर आईएएस, आईपीएस बन सकता है, राज्य प्रशासनिक सेवा में आ सकता है, डीएसपी बन सकता तो सिविल जज में वह किसे योग्य नहीं हो सकता। वर्मा ने यह सवाल उठाया।
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