फॉरेस्ट कर्मचारियों को एक नवंबर से वर्दी पहनना अनिवार्य, विरोध से निपटने की भी तैयारी

वन विभाग ने अपने कर्मचारियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए वर्दी से शुरुआत की है और एक नवंबर से कर्मचारियों के लिए वर्दी अनिवार्य की जा रही है। विभाग इसके विरोध के लिए भी तैयार है और उसने रणनीति तैयार कर रखी है जिसमें कर्मचारियों को आदेश की अवहेलना करने पर सख्त कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कह दिया गया है। पढ़िये रिपोर्ट।

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक शशि मलिक ने समन्वय शाखा का प्रभार संभालते ही वन कर्मचारियों पर नकेल कसने की शुरुआत कर दी है। मलिक ने प्रशासनिक अनुशासन बनाए रखने के लिए एक आदेश जारी कर एक नवंबर से सभी वनरक्षक और वाहन चालक से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को गणवेश पहनकर कार्यालय आने के निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भी फरमान जारी किया है।

जारी आदेश में कहा गया है कि प्रायः यह देखा गया है कि वाहन चालक, वन रक्षक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यालय में गणवेश पहनकर उपस्थित नहीं हो रहे हैं जबकि गणवेश प्रतिवर्ष नियमानुसार पहनने के लिए प्रदाय किया जाता है। कर्मचारियों की पहचान एवं गरिमा को बनाए रखने के लिए गणवेश पहनना आवश्यक है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख कार्यालय में पदस्थ सभी शाखाओं के वर्दीधारी कर्मचारी पात्रता अनुसार प्रदाय वर्दी 1 नवम्बर 23 से अनिवार्य रूप से पहनकर प्रतिदिन कार्यालय उपस्थित होंगे। यदि कोई कर्मचारी निर्देश का पालन नहीं करता है, तो नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की जावेगी।
लंबे अरसे से बिना गणवेश के कार्यालय आते हैं कर्मचारी
पीसीसीएफ मुख्यालय हो या फिर सीसीएफ अथवा डीएफओ कार्यालय बिना वर्दी के ही वाहन चालक से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक कार्यालय आते-जाते रहे हैं। यहां तक कि वन कर्मचारी नेता से लेकर ड्राइवर तक बेख़ौफ़ होकर वन बल प्रमुख, पीसीसीएफ, एपीसीसीएफ, सीसीएफ और डीएफओ ने वर्दी पहनने के लिए टोका-टाकी नहीं की है. आदेश जारी करने वाले अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक शशि मलिक का कहना है कि उनके आदेश का विरोध होगा किंतु इसके लिए सभी वरिष्ठ अधिकाकारियों को तैयार रहना चाहिए. अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए शक्ति जरूरी है. फील्ड मैं पदस्थ अधिकारियों ने इस आदेश की सराहना की है. एक रिटायर्ड वन बल प्रमुख ने भी मलिक के फरमान की सराहना करते हुए कहा है कि यह बहुत जरूरी था. विभाग में वनरक्षक से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सिविल ड्रेस में आने से उनकी पहचान नहीं हो पाती है।

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