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कांग्रेस में हाईकमान का युवा नेतृत्व का फार्मूला संकट में, सामंजस्य की कमी-मुद्दों पर टकराव

मध्य प्रदेश में कांग्रेस हाईकमान का युवा नेतृत्व के हाथों में संगठन-विपक्ष नेता की कमान सौंपने का फार्मूला संकट में दिखाई दे रहा है। मुद्दों पर टकराव के साथ ही सरकार की घेराबंदी में भी विचार के बीच तालमेल नहीं होने से हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं। कई तरह की सही-गलत खबरें राजनीतिक गलियारों में चर्चा में आने लगी हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद हाईकमान ने प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव किया था। हार के बाद बुजुर्ग कांग्रेस नेताओं से संगठन की कमान लेने के साथ ही विधानसभा के भीतर नेता प्रतिपक्ष की कमान भी बुजुर्ग नेताओं की जगह युवा नेताओं को सौंपने का फार्मूला तैयार किया था। इस फार्मूले के तहत राहुल गांधी के मध्य प्रदेश के दो पसंदीदा नेता जीतू पटवारी और उमंग सिंगार को चुना गया जिसमें पटवारी के विधानसभा चुनाव हार जाने की वजह से उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संगठन की जिम्मेदारी दी गई थी तो सिंगार को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया था।
सात महीने में सामंजस्य बिगड़ता गया
कांग्रेस हाईकमान के युवा नेताओं को आगे लाकर जिम्मेदारी सौंपने के फार्मूले में चुने गए जीतू पटवारी-उमंग सिंगार के बीच बीते सात महीने में लगातार सामंजस्य की कमी आती गई और अब तो हर तरफ दोनों नेताओं के बीच दूरियों की चर्चा आम हो गई है। लोकसभा चुनाव से इन नेताओं के बीच दूरी तेजी से हुई जिसकी वजह लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण का मामला है। सिंगार के कार्यक्षेत्र धार जिले के टिकट को लेकर यह टकराव तेज हुआ।
हाईकमान तक शिकवा-शिकायतों का सिलसिला
युवा नेतृत्व को आगे लाने के फार्मूले में चुने गए नेताओं के बीच महत्वाकांक्षा आड़े आने लगी है और यही वजह है कि इन नेताओं की शिकवा-शिकायतें हाईकमान तक पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो गया है। यहां तक कहा जा रहा है कि दो ऑडियो रिकार्डिंग के साथ एक युवा की शिकायत की गई है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि शिकायत के बाद नेताजी के बचाव में भाजपा द्वारा उनकी खुफियागिरी कराए जाने के आरोप लगाते हुए पुलिस में पार्टी पहुंची। कांग्रेस का युवा नेतृत्व प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरने के लिए मुद्दों के बजाय मंत्री को टारगेट करने में लगे हैं जिससे मुद्दे अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं।
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