Madhya Pradesh BJP के नवनिर्वाचित अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के पहले भाषण से ऐसे नेताओं को होने वाली है दिक्कत….

मध्य प्रदेश भाजपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अपने पहले भाषण में ऐसा कुछ कह दिया जिससे कई नेता दिक्कत में आ सकते हैं। आखिर वे कैसे व्यक्ति हैं जिन्हें खंडेलवाल ने चिन्हित करके अपना टारगेट तय कर रखा है और किन नेताओं के दिन अब फिरने वाले हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

नवनिर्वाचित मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की राजनीतिक विरासत का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि उनके दादाजी गोवर्धनदास खंडेलवाल भी 1967 में जनसंघ के झंडे पर विधायक चुने गए थे और संविद सरकार में मंत्री भी रहे। उनके पिता विजय खंडेलवाल तो सांसद रहे और उनके निधन के बाद हेमंत खंडेलवाल लोकसभा चुनाव में जीतकर सांसद बने। इसके बाद अभी वे दूसरी बार विधायक बने हैं। खंडेलवाल भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष भी रहे हैं।
क्या खंडेलवाल का टारगेट तय…
मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव में बैतूल जिले के जनसंघ-भाजपा से कई पीढ़ियों से नाता रखने वाले खंडेलवाल परिवार के विधायक हेमंत खंडेलवाल ने बुधवार को दोपहर में कमान संभाल ली है। खंडेलवाल के पहले भाषण में उन्होंने बातों ही बातों में पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को अपने टारगेट की ओर संकेत दिए जिसमें कई नेताओं के लिए चेतावनी भी थी तो कई के लिए खुशखबरी वाले क्षण रहे।
पुराने टिक रहे कार्यकर्ताओं की कदर
हेमंत खंडेलवाल ने यह लग रहा है कि अपने पहले भाषण में दो लाइनों में अपने टारगेट को समेट दिया है। उन्होंने जब यह कहा कि जो समर्पित कार्यकर्ता हैं, उन्हें उनके क्षमताओं के मुताबिक अच्छी जिम्मेदारी दी जाएगी। मगर इसके आगे उन्होंने जो कहा वह कई नेताओं के लिए परेशानी का कारण बनकर सामने आ सकता है। उन्होंने यह कहा कि जो दाएं-बाएं होते रहे हैं, उन्हें दिक्कत आएगी। इसका आश्य कांग्रेस से आने वाले नेताओं की भीड़ को चेतावनी हो सकती है या फिर वे पुराने नेता भी हो सकते हैं जो पार्टी छोड़कर वापस लौटे हों। खंडेलवाल के भाषण से ऐसे दोनों ही प्रकार के नेताओं के चेहरों पर तनाव की लकीरें दिखाई देने लगी हैं।
साफ-सुथरी छवि पर जोर
पिछले कुछ समय में पार्टी की छवि पर कुछ नेताओं की अमर्यादित गतिविधियों के कारण विपरीत असर पड़ा है जिसकी ओर खंडेलवाल ने बातों ही बातों में इशारा किया है। उन्होंने कहा कि लोगों की भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा रहती है और उन्हें उसके अनुकूल ही काम करना चाहिए। ऐसे में जिन लोगों की वजह से पिछले कुछ सालों में पार्टी की छवि पर दाग लगे हैं, उनसे पार्टी किनारा कर सकती है। आने वाले समय में खंडेलवाल की कार्यशैली से यह साफ हो जाएगा कि फायदे-नुकसान को देखकर पार्टियों में इधर-उधर होने वाले व अमर्यादित गतिविधियों वाले नेताओं के साथ क्या होता है।

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