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मध्य प्रदेश कांग्रेस के यूपी-बिहार जैसी स्थिति में बढ़ने की आहट, रोज घटता कुनबा

मध्य प्रदेश कांग्रेस के 2003 से सरकार में नहीं होने की वजह से धीरे-धीरे कुनबा घट रहा है जो विधानसभा चुनाव 2023 में मिली करारी हार के बाद तेजी से घटा है। सुरेश पचौरी के अपने समर्थकों के साथ जाने के बाद अब कमलनाथ खुद जाते-जाते रुक गए मगर उनके समर्थक भाजपा का दामन थाम रहे हैं और उनके गृह नगर की उनकी टीम के बड़े-बड़े नाम साथ छोड़ चुके हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह जिले में भी कमोबेश यही स्थिति है। हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।
कांग्रेस की मध्य प्रदेश में स्थिति कमजोर जैसी होती जा रही है जिसका अंदाज पार्टी के बड़े-बड़े नेता व उनके समर्थक तेजी से दलबदल कर रहे हैं। यह स्थिति उत्तर प्रदेश कांग्रेस और बिहार कांग्रेस जैसी बनती नजर आ रही है जहां करीब तीन दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस खुद की सरकार बनाना तो दूर जमानत बचाने के लिए भी जूझने की स्थिति में पहुंच चुकी है। यूपी-बिहार में गठबंधन से चुनाव लड़ने की मजबूर स्थिति में पहुंच गई है। मध्य प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए ठोस प्रयासों के बाद भी सफलता की उम्मीदें चुनाव दर चुनाव कम होती जा रही हैं। विधानसभा चुनाव 2023 के परिणामों से पार्टी के बड़े नेता ही विचारों से समझौता कर दल छोड़ रहे हैं।
कमलनाथ के गृह जिले में कांग्रेस कमजोर
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को टारगेट बनाकर भाजपा योजनाबद्ध ढंग से उनकी टीम को तोड़ रही है। भाजपा में जाने वाले नेता भी कमलनाथ के प्रति साफ्ट कॉर्नर रखते हुए कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं जिसको लेकर अब पार्टी में कमलनाथ को लेकर एकबार फिर कयास शुरू हो गए हैं। उनके करीबी सैयद जाफर के बाद दीपक सक्सेना के पार्टी से त्याग पत्र को भाजपा में जाने के संकेत कहे जा रहे हैं। दीपक सक्सेना के पुत्र अजय सक्सेना तो भाजपा में गुरुवार को ज्वाइन भी कर चुके हैं। पूर्व मंत्री तेजीलाल सरयाम की पुत्रवधु सुहागवती भी भाजपा में शामिल हो गईं।
सिद्धार्थ कुशवाह को हराने पार्टी छोड़ी
छिंदवाड़ा में कमलनाथ को कमजोर करने के बाद सतना में भी भाजपा कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाह को हराने नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। कुशवाह के काछी वोट पर सौदेबाजी के आरोप लगाकर सुधीर सिंह तोमर, पुष्कर सिंह तोमर ने गुरुवार को भाजपा का हाथ थाम लिया तो नारायण त्रिपाठी बसपा में पहुंचकर ब्राह्मण वोट से नुकसान देकर कांग्रेस को हराने में जुट गए हैं।
प्रदेश अध्यक्ष के गृह नगर से भाग रहे नेता
प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह नगर इंदौर से भी कांग्रेस नेता लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार, संजय शुक्ला व विशाल पटेल तथा पंकज संघवी जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद गुरुवार को भी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने अपनी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल कराया।
अभी भी भाजपा में गए नेताओं के समर्थक कांग्रेस में
भाजपा में जाने वाले नेताओं का एक समय कांग्रेस में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी का अपना गुट था और उनके समर्थकों की संख्या अच्छी खासी थी जिनमें से कई उनके साथ बीजेपी में चले गए हैं। कई समर्थक आज भी पार्टी में मौजूद हैं जिनकी आस्था को लेकर नेताओं को अभी शंका-कुशंका बनी हुई है।
आज जिन नेताओं ने थाम भाजपा का दामन
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गुरुवार को जो नेता गए, उनमें सबसे बड़ा नाम जिला पंचायत सदस्य देवदत्त सोनी व संजय सिंह, पूर्व सांसद देवराज सिंह, पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह, पूर्व महापौर पुष्कर सिंह व रेणु शाह, पूर्व नगर निगम अध्यक्ष सुधीर सिंह तोमर, पूर्व आईपीएस अधिकारी राजेश पटारिया व रामलाल प्रजापति सहित शहडोल, रीवा, सतना, अनूपपुर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, इंदौर के कई नेता व कार्यकर्ता।
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