राजनीति में माननीयों का सिमटता शब्दकोष, नाम न्याय सत्याग्रह RSS पर भद्दी टिप्पणी

राजनेताओं के पास अपनी बात को अपनी जनता, कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने के लिए शब्दकोष इतना सिमटता जा रहा है कि मंच से सामने बैठे लोगों को अपना संदेश पहुंचाने के लिए उचित शब्द का चयन भी नहीं कर पाते हैं। कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ हुई एफआईआर के खिलाफ न्याय सत्याग्रह आयोजित किया था जिसमें कार्यकर्ताओं-नेताओं के साथ माननीयों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया मगर यहां मध्य प्रदेश के बड़े शहर ग्वालियर का प्रतिनिधित्व करने वाले एक माननीय का संबोधन ऐसा रहा कि आंदोलन का जो न्याय सत्याग्रह नाम दिया गया था, वह निरर्थक साबित हो गया। थर्ड जेंडर को जिस अंदाज में अपमानजनक ढंग से संबोधित किया गया, वह न्याय सत्याग्रह की भाषा तो कतई नहीं मानी जा सकती है। पढ़िये रिपोर्ट।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ पिछले दिनों एक एफआईआर दर्ज की गई थी जिसे पार्टी ने सरकार की विपक्ष की आवाज को दबाने वाला कदम बताते हुए आठ जुलाई को अशोक नगर में न्याय सत्याग्रह का आव्हान किया था। न्याय सत्याग्रह में कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रदेशभर से नेताओं को आंदोलन में शामिल होने का टारगेट दिया था। विपक्षी दल के आव्हान पर कांग्रेसजनों ने अशोक नगर पहुंचाने की कोशिश भी की और पुलिस ने भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं की भीड़ को नियंत्रित करने के नाम पर अशोक नगर व उसके आसपास के जिलों में वाहन चैकिंग के नाम पर सभी प्रकार की गाड़ियों को रोककर अघोषित अभियान जैसा चलाया। कई जगह माननीयों की पुलिस अधिकारियों से बहस भी हुई जिसमें विधायक महेश परमार, पंकज उपाध्याय के काफिलों को रोका गया तो कांग्रेस विधायकों ने पुलिस को भाजपा का एजेंट बताकर सही ढंग से काम करने की चेतावनी तक दी थी। मगर इस सबके बीच न्याय सत्याग्रह को एक माननीय के मंच से दिए गए भाषण से धक्का भी लगा।
आरएसएस में जाने वालों को ऐसा कह दिया….
न्याय की लड़ाई के नाम पर अशोक नगर में कांग्रेस नेता-कार्यकर्ता जमा हुए मगर यहां ग्वालियर जैसे प्रदेश के चौथे बड़े शहर का प्रतिनिधित्व करने वाले साहिब सिंह गुर्जर ने आरएसएस पर ऐसी टिप्पणी कर दी कि न्याय सत्याग्रह पर ही सवाल खड़े हो गए। साहिब सिंह गुर्जर ने थर्ड जेंडर यानी किन्नरों के लिए चालू भाषा के शब्द हिजड़ा इस्तेमाल किया। यह शब्द सत्तासीन भाजपा की मुख्य विचारधारा वाला आरएसएस में काम करने वाले लोगों के लिए उपयोग किया गया। साहिब सिंह ने संघ में जाने वालों को हिजड़ा कहते हुए अपने जैसे नेता-कार्यकर्ताओं को मर्द की संज्ञा दी। उनके भाषण के इस वाक्य के पांच-छह सेकंड के वीडियो को सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया जा रहा है और यह ट्रेंड में चला। साहिब सिंह गुर्जर के कमजोर शब्दकोष से कांग्रेस का न्याय सत्याग्रह आंदोलन अपने मूल उद्देश्य को नहीं पा सका है क्योंकि गुर्जर की वायरल वीडियो की वजह से आंदोलन नकारात्मक रूप से प्रचारित हो गया है।

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