कांग्रेस में शक्ति प्रदर्शनः युवा नेताओं की क्षमताओं पर खड़े होते सवालों के बीच राजनीति के धुरी रहे नेताओं की सक्रियता

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने जीतू पटवारी, उमंग सिंगार, हेमंत कटारे को कमान सौंपी थी, वह बंद मुट्ठी खुल चुकी है। अब कांग्रेस में कभी राजनीति की धुरी रहे नेताओं के एकबार फिर सक्रिय होने से युवा नेतृत्व को चुनौतियां मिलती दिखाई दे रही हैं। कमलनाथ की सक्रियता बढ़ी है तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल का जन्मदिन शक्ति प्रदर्शन से कम नजर नहीं आया है। पढ़िये हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।

कांग्रेस हाईकमान ने विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद जिस तरह कमलनाथ को हटाकर पीसीसी की कमान हारे विधानसभा प्रत्याशी जीतू पटवारी को सौंपी थी और विधानसभा में दिग्गज निर्वाचित विधायकों अजय सिंह, राजेंद्र सिंह, रामनिवास रावत, सज्जन सिंह वर्मा को नजरअंदाज करते हुए उमंग सिंगार और दूसरी बार के विधायक हेमंत कटारे को नेता प्रतिपक्ष-उप नेता की जिम्मेदारी दी थी, वह फैसला अब गलत साबित होता नजर आ रहा है।
पटवारी की दिग्गजों को किनारे करने की कोशिशें
पीसीसी की कमान संभालने के बाद जीतू पटवारी ने पूर्व नेताओं को किनारे करने की कोशिशें कीं। एक उदाहरण मीडिया प्रभारी की नियुक्ति का बताया जा रहा है जिस पर पूर्व मंत्री मुकेश नायक की नियुक्ति की गई है। नायक, दिग्विजय सिंह के विरोधी रहे हैं और पटवारी ने दिग्विजय सिंह के निकट होने के बाद भी नायक की नियुक्ति कर हाईकमान की नजर में अपने नंबर बढ़ाने की कोशिश की। इसी तरह पिछले दिनों लोकसभा चुनाव नतीजों के दिन पीसीसी में जीतू पटवारी के साथ कमलनाथ व अन्य नेताओं की जो तस्वीरें वायरल हुईं, वे भारतीय संस्कृति के विपरीत मानी जाती है। करीब दस महीने बीत जाने के बाद भी पटवारी अपनी टीम बनाने में नाकाम रहे हैं और हर बार वे मीडिया को नई तारीख बताते हैं। हाईकमान को अपनी कार्यकारिणी सौंपे जाने की बातें कहीं लेकिन उसके बाद हाईकमान द्वारा अपने प्रभारी सचिवों को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भेजकर पार्टी की स्थिति की रिपोर्ट मांगकर उनके कार्यकारिणी के मुद्दे को नजरअंदाज करने का संकेत दे दिया है।
सदन में ठोस रणनीति के बिना विपक्ष का विरोध
हाईकमान ने युवा नेताओं को विधानसभा के भीतर की जिम्मेदारी देने का दूसरा फैसला किया था जिसमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार को बनाया तो उनके साथ उप नेता की भूमिका दूसरी बार के विधायक हेमंत कटारे को सौंपी। उमंग सिंगार और हेमंत कटारे की जोड़ी सदन के भीतर अब तक ठोस रणनीति के बिना ही उतरी है। कटारे को मुद्दे पर बात नहीं करने के लिए न केवल आसंदी से कई बार टोका गया बल्कि भाजपा विधायकों ने उनके वक्तव्यों के बीच कटाक्ष किए। सिंगार-कटारे की जोड़ी को कांग्रेस विधायक दल में से अल्प संख्यक विधायकों के अलावा इक्का-दुक्का अन्य विधायकों का साथ ही मिल पाया है। उमंग सिंगार हो या कटारे, जनता से जुड़ने के लिए उपलब्ध साधनों के होते हुए दूर नजर आने लगे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स गजेट होते हुए भी वे अपने आसपास के लोगों पर ज्यादा आश्रित हो गए हैं जिससे मुद्दों के बारे में सीधे उन्हें जानकारियां नहीं मिल पा रही हैं।
युवा नेताओं को मिलने लगी चुनौतियां
युवा नेताओं जीतू पटवारी, उमंग सिंगार-हेमंत कटारे को लीडरशिप का मौका मिलने के बाद दस महीने में उनकी क्षमताओं का रिजल्ट सामने आने लगा है जिससे अब राजनीति के धुरी रहे नेताओं कमलनाथ-अजय सिंह जैसे नेताओं की सक्रियता फिर बढ़ी है। कमलनाथ ने जहां प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद एक बार फिर प्रदेश के नेताओं से संपर्क करने तेज कर दिया है तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह व पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव की सक्रियता भी बढ़ी है। अरुण यादव की सक्रियता जीतू पटवारी के पीसीसी चीफ बनने के बाद से ही बढ़ गई थी तो अजय सिंह विधानसभा चुनाव में जीत के बाद मुख्य धारा में तेजी से आए थे। नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने के बाद भी वे शांत भाव से पार्टी के लिए काम करते रहे और अपने विरोधी पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के लिए लोकसभा चुनाव में काम किया तो उनके प्रति विंध्य में पक्ष में माहौल बना। सोमवार को उनके जन्मदिवस के मौके पर भोपाल जिस तरह उनके सी 19 शिवाजी नगर में कांग्रेस जनों का हुजूम उमड़ा, उसने उनके शक्ति प्रदर्शन का रूप ले लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today