मध्य प्रदेश के आयकर-लोकायुक्त के छापों से कारोबार जगत जहां हिला है वहीं राजनेता व प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आयकर के छापे में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के करीबी राजेश शर्मा से लेकर लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई में फंसे परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा, उसके साथियों की वजह से उनके माध्यम से जो परिवहन अधिकारी व अखिल भारतीय सेवा के अफसर अपनी काली कमाई को ठिकाने लगाते, सभी डरे सहमे हैं। इन लोगों की डायरियां जांच एजेंसियों के हाथ लगी हैं जिनमें ऐसे लोगों के नाम बताए जा रहे हैं। वहीं, सौरभ की डायरी में तो एक साल में 100 करोड़ रुपए की कमाई का पर्दाफाश हुआ और राशि किन लोगों की रही, यह अब जांच का विषय है। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया द्वारा हमारे लिए लिखी गई रिपोर्ट।
काली कमाई करने वाले मध्य प्रदेश के नेता-अफसरों के दलालों के रूप में जो लोग काम कर रहे थे, आयकर और लोकायुक्त ने उनके ठिकानों पर छापे मारकर बड़े नेताओं व बड़़े अधिकारियों की रातों की नींद उड़ा दी है। राजेश शर्मा के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से जिस तरह के करीबी संबंध रहे थे, उसका खुलासा कांग्रेस के विधानसभा में दल के उप नेता हेमंत कटारे ने भोपाल के सूरजनगर में सेंट्रल प्रोजेक्ट के दस्तावेजों को मीडिया को उपलब्ध कराकर कर दिया है। राजेश शर्मा ने इस प्रोजेक्ट के लिए सूरज नगर में जो जमीन ली थी, 2021 में उसकी कीमत करीब पांच करोड़ 13 लाख से ज्यादा थी और इसी प्रोजेक्ट में इकबाल सिंह बैंस ने अपने व पत्नी के नाम से जमीन ली थी। इस जमीन की पंजीकृत दस्तावेजों में 18 लाख कीमत दर्शाई गई है।
प्रोजेक्ट बड़ी झील के कैचमेंट एरिया में
कटारे ने इकबाल सिंह बैंस और राजेश शर्मा के बीच संबंधों को उजागर करते हुए सूरज नगर के प्रोजेक्ट को अनुमति दिए जाने के पीछे की कहानी भी बताई है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए भोपाल के मास्टर प्लान के साथ छेड़छाड़ की गई। बैंस के मुख्य सचिव कार्यकाल में अनुमति मिलने के पूर्व प्रोजेक्ट को अधिकारियों ने अनुमति देने से इनकार भी किया था। कटारे कहते हैं कि मगर बैंस के मुख्य सचिव बनने के बाद मास्टर प्लान के साथ छेड़छाड़ की गई और अनुमति का रास्ता साफ कर दिया गया।
राजेश शर्मा का सहयोगी साउथ अफ्रीका पहुंचा
राजेश शर्मा के यहां आयकर छापा डलने के बाद कारोबार में उनका एक सहयोगी छत्तीसगढ़ के महेंद्र गोयनका के साउथ अफ्रीका चले जाने की बात भी सामने आई है। खनन कारोबारी गोयनका निसर्ग इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर है और कहा जा रहा है कि जबलपुर और कटनी में माइनिंग का कारोबार में राजेश शर्मा का सहयोगी गोयनका रहा है। उसका नाम भोपाल के सहारा एस्टेट में 300 करोड़ की जमीन खरीदी के मामले में सुर्खियों में आने के बाद वह पत्नी वीनू के साथ विदेश चला गया। जानकार बताते हैं कि राजेश शर्मा के यहां आयकर कार्रवाई होते ही महेंद्र गोयनका दक्षिण अफ्रीका के महाद्वीप सोमाली लैंड पहुंच गया। उसका खदानों का कारोबार सोमाली लैंड में भी फैला है।
छह कंपनियों से जुड़ा गोयनका
गोयनका वर्तमान में 6 कंपनियों से जुड़ा बताया जा रहा हैं जिसमें तिरुपति जेम्स प्राइवेट लिमिटेड, जेडपी ओर्स प्राइवेट लिमिटेड, रेनेसां माइनिंग एंड मिनरल प्राइवेट लिमिटेड, निसर्ग इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, निसर्ग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। महेंद्र गोयनका इससे पहले 18 कंपनियों से जुड़ा था जिसमें मां सम्लेश्वरी स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड, अतीशा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, आरबीएम फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड, जियोमिन इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, सीव मिनरल्स लिमिटेड, टेंडेम माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, यूरो प्रतीक इस्पात प्राइवेट लिमिटेड, रोशनी स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड, सिना स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड, एमआरए ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, गीतांजलि इस्पात एंड पॉवर्स प्राइवेट लिमिटेड, स्वास्तिक बिल्डमैट (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, यूरो प्रतीक इस्पात (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, निरनिधि मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, रायपुर हैंडलिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, एल्को बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंफ्रासिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, ऑरोप्लस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड शामिल है।
सौरभ शर्मा ने एक साल में कमाए 100 करोड़
लोकायुक्त जांच के घेरे में आए परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के पास एक डायरी मिलने की बात भी सामने आई है। इस डायरी में जहां नेता व अफसरों के नाम हैं तो वहीं यह भी जानकारी इसमें छिपी बताई गई है जो उसके सालभर की कमाई को बताता है। सौरभ की एक साल में करीब 100 करोड़ रुपए की कमाई की जानकारी डायरी में होने की बात मीडिया में प्रचारित हो रही है। यह 100 करोड़ रुपए की कमाई अकेले सौरभ शर्मा की नहीं बताई जा रही है बल्कि इसमें से अधिकांश हिस्सा परिवहन विभाग के आरटीओ व नेता-अफसरों हैं जो निवेशकों की तरह उसे रूपए उपलब्ध कराते थे।
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