परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके नजदीकियों चेतन सिंह, शरद जायसवाल मामले में एकबार फिर लोकायुक्त पुलिस की जांच में खामियां सामने आई हैं। अदालत से चालान पेश नहीं होने पर जमानत दे दी है लेकिन अभी भी उन्हें जेल से मुक्ति नहीं मिल पाई है। जानिये लोकायुक्त पुलिस की किस खामी ने जमानत दिलाई और क्यों अभी भी उन्हें जेल में ही रहना होगा।
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा, उसके नजदीकी साथियों चेतन सिंह व शरद जायसवाल के मामले में लोकायुक्त पुलिस की विवेचना पर शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे थे। शुरुआत में ही उसकी छापे के दौरान 52 किलोग्राम सोने से भरी कार के छापे वाले स्थान से निकल जाने और उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के छापे में करोड़ों की चल-अचल संपत्ति की बरामदगी से लोकायुक्त पुलिस को इस मामले में आलोचना का शिकार होना पड़ा है। अब इस मामले में लोकायुक्त पुलिस की जांच पर फिर सवाल खड़े हुए हैं और अदालत में 60 दिन बाद भी चालान पेश नहीं होने पर आरोपियों सौरभ, चेतन व शरद को जमानत में लाभ मिल गया है। अदालत ने लोकायुक्त के इस मामले में तीनों आरोपियों को जमानत दे दी है।
ईडी के मामले की वजह से जेल में रहेंगे तीनों
लोकायुक्त के मामले में अदालत से भले ही सौरभ शर्मा, चेतन सिंह व शरद जायसवाल को जमानत मिल गई है लेकेिन ईडी के केस में अभी भी उन्हें राहत नहीं मिली है। ऐसे में अदालत से लोकायुक्त के केस में जमानत पाने के बाद भी सौरभ, चेतन और शरद को जेल में ही रहना होगा। कुल मिलाकर लोकायुक्त पुलिस की सौरभ शर्मा कांड में छवि पर जो दाग लगे हैं, वह अब साफ करने में उसे नए सिरे से कामकाज की समीक्षा करना चाहिए क्योंकि सरकार ने इसके चलते लोकायुक्त पुलिस के मुखिया जयदीप प्रसाद को इस पद से कुछ दिन पहले ही हटाया है। अब नए मुखिया योगेश देशमुख को लोकायुक्त पुलिस को इस मामले में मॉनीटरिंग में जो खामियां अब तक हुई हैं, उन्हें दूर करते हुए आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की दिशा में काम करना होगा।
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