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संत सियाराम बाबा का प्रभु मिलन, मोक्षदा एकादशी-गीता जयंती के महायोग में संयोग

सियाराम बाबा का प्रभु मिलन मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती के महायोग में हुआ,यह संयोग बताता है. मध्य प्रदेश के खरगोन में संत सियाराम बाबा (95 वर्ष) ने बुधवार सवा छह सुबह अपनी देह त्याग दी. वे पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे. इलाज के दौरान भी वे लगातार रामायण का पाठ कर रहे थे.
बाबा करीब एक सप्ताह से ज्यादा समय से बीमार चल रहा थे. बाबा को निमोनिया की शिकायत पर सनावद के निजी अस्पताल में भर्ती किया था. इसके बाद बाबा की इच्छानुसार उनका आश्रम में ही जिला चिकित्सालय और कसरावद के डॉक्टर इलाज कर रहे थे.
17 साल में आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फ़ैसला
बाबा का जन्म 1933 में गुजरात के भावनगर में हुआ था. 17 साल की उम्र में आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फ़ैसला किया था. उन्होंने कई सालों तक गुरु के साथ शिक्षा और तीर्थ भ्रमण किया. उन्होंने एक पेड़ के नीचे मौन रहकर कठोर तपस्या की. जब उनकी साधना पूरी हुई तो उन्होंने ‘सियाराम’ का उच्चारण शुरू किया और तब से ही वे सियाराम बाबा के नाम से जाने जाते हैं। बाबा प्रत्येक श्रद्धालु से मात्र 10 रुपये दान स्वरूप लेते थे। जानकारी के मुताबिक बाबा ने अपने आश्रम के प्रभावित डूब क्षेत्र हिस्से के मिले मुआवजे के 2.58 करोड़ रुपये क्षेत्र के नागलवाड़ी मंदिर में दान किए थे। वही 20 लाख रुपये व चांदी का छत्र जाम घाट के पार्वती माता मंदिर में दान किया।
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