मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नवगठित कार्यकारिणी में उपाध्यक्षों, महासचिवों, सचिवों-सह सचिवों को शुक्रवार की शाम जिला प्रभारी-सह प्रभारी बना दिए जाने के बाद अब संगठन प्रभारी को लेकर चर्चा जोरों पर है। प्रमुख दावेदार माने जा रहे तीन नेताओं रवि जोशी, महेंद्र जोशी और शैलेंद्र पटेल को जिलों का प्रभार दे दिए जाने के बाद अब मौजूदा संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष राजीव सिंह की कुर्सी बरकरार रहेगी या फिर कुर्सी पर कोई दूसरा नेता आएगा, यह चर्चा तेज हो गई है। पढ़िये इस पर हमारी एक विशेष रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन प्रभारी को लेकर जीतू पटवारी के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से कई नामों को लेकर चर्चाएं चलीं और अब नवगठित कार्यकारिणी में से जिन नामों की चर्चाएं चरम पर थीं, उन्हें जिला प्रभारी बना दिए जाने के बाद एकबार फिर मौजूदा संगठन प्रभारी राजीव सिंह या कोई और, यह चर्चा शुरू हो गई है। राजीव सिंह पूर्व पीसीसी चीफ और अभी भाजपा में पहुंच चुके सुरेश पचौरी के कार्यकाल में संगठन प्रभारी रहे थे और इसके बाद कमलनाथ ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी जो पटवारी के अब तक के कार्यकाल में उनके पास है।
संगठन प्रभारी की दौड़ में जिनके नाम थे वे बने जिला प्रभारी
नवगठित कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष रवि जोशी व महेंद्र जोशी और महासचिव शैलेंद्र पटेल को पटवारी का संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष बनाए जाने की कुछ दिनों से जोरों से चर्चाएं चल रही थीं लेकिन शुक्रवार को कार्यकारिणी की पहली बैठक के बाद शाम को जिला प्रभारियों व सह प्रभारियों की सूचियां आने के बाद यह नाम चर्चा से बाहर हो गए। रवि जोशी को इंदौर शहर, महेंद्र जोशी को ग्वालियर शहर और शैलेंद्र पटेल को रायसेन का जिला प्रभारी बना दिया गया है जिससे अब उनके संगठन प्रभारी बनने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं।
अब दौड़ में रघुवंशी, मृणाल पंत, प्रियव्रत के नाम
मध्य प्रदेश में पीसीसी के संगठन प्रभारी की कुर्सी को लेकर कुछ नए नाम चर्चा में आए हैं जिनमें उपाध्यक्ष प्रियव्रत सिंह, महामंत्री गौरव रघुवंशी व मृणाल पंत शामिल हैं। प्रियव्रत सिंह युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और उन्हें संगठन चलाने का अनुभव होने से उनका नाम चर्चा में आया है तो गौरव व मृणाल के नाम पटवारी के विश्वस्त होने की वजह से चर्चा में है। मगर एक चर्चा यह भी है कि मौजूदा संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष राजीव सिंह का कार्यकाल पटवारी लगातार कर सकते हैं जिसकी वजह पचौरी के भाजपा में जाने के बाद उनके निकटस्थ होने के बावजूद वे कांग्रेस में ही रहे।
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