मध्य प्रदेश में कई ऐतिहासिक बिल्डिंग और स्मारक हैं जिनकी देखरेख नहीं होने से उनकी हालत खराब हो रही है मगर केंद्रीय डाक विभाग ने अपनी ऐसी विरासत के भवनों व स्मारकों को संवारने की योजना बनाई है। डाक विभाग मध्य प्रदेश की अपनी विरासत को पेशेवर सलाहकारों के जरिये सुरक्षित रखने की दिशा में काम शुरू करने जा रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में डाक विभाग की कई बिल्डिंग ऐसी हैं जिनका अगर जीर्णोद्धार किया जाता तो वे ऐेतिहासिक विरासत के रूप में संरक्षित की जा सकती थीं। मगर ऐसा तब नहीं हो पाया जो अब होने जा रहा है। मध्य प्रदेश परिमंडल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल ने डाक विभाग के ऐसे भवनों व स्मारकों को संरक्षित करते हुए उनके जीर्णोद्धार करने का फैसला किया है। इसके लिए पेशेवर विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं जो ऐसे भवनों को उनके मूल स्वरूप को सुरक्षित रखते हुए भवन-स्मारक का जीर्णोद्धा करेंगे। इसके लिए इसी महीने पंजीकृत भारतीय सलाहकारों, वास्तुकारों, इंजीनियरिंग फर्मों या व्यक्तिगत विशेषज्ञों से ईओआई यानी रुचि पत्र आमंत्रित किए गए हैं। इस चयन प्रक्रिया में चयनित व्यक्ति या फर्म या संस्था को मध्य प्रदेश में डाक विभाग के डाक घर के भवन या स्मारकों को संरक्षित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
ग्वालियर का प्रधान डाकघर
मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में महाराज बाड़ा में स्थित है प्रधान डाकघर जिसका निर्माण करीब 140 साल पहले जयाजी राव सिंधिया ने कराया था। इसका निर्माण कई सालों में पूरा हुआ था और इस भवन का स्वरूप ऐतिहासिक भवन जैसा है। यह बिल्डिंग तो अभी तक सुरक्षित है मगर इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।
1862 का जुमेराती डाकघर
वहीं, भोपाल में पुराने शहर में एक ऐतिहासिक डाकघर था जिसके भवन की देखरेख नहीं होने से यह गिर चुका है। बताया जाता है कि भोपाल के पुराने शहर के जुमेराती में स्थित डाक घर 1862 में बना था। इस ऐतिहासिक डाक घर के भवन की कई सालों तक जर्जर हालत रही और इसे संरक्षित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
नरसिंहपुर का ब्रह्मांड डाकघर
इसी तरह मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी के बरमान घाट पर भी दुनिया का एक ऐसा डाक घर है जिसका नाम ही ब्रह्मांड डाक घर है। इसकी स्थापना 1966 में हुई थी। यह अभी उप डाक घर है।
Leave a Reply