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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की 42 सीटों पर दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना, देखिए एक नजर में
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में नामांकन पर्चा दाखिल होने के बाद आज नाम वापसी का अंतिम दिन है जिसमें अभी तक 59 ने नाम वापस ले लिए हैं। मौजूदा परिस्थितियों में हमने 42 ऐसी सीटें पाई हैं जहां भाजपा-कांग्रेस के टिकट वितरण की वजह से मुकाबले दिलचस्प हो गए हैं। इनके अलावा भी कुछ ऐसी सीटें हैं जहां दोनों दलों के असंतुष्टों की वजह से अधिकृत प्रत्याशियों को मुश्किलें आ रही हैं लेकिन 42 सीटें वे हैं जहां पार्टियों को बेहद परेशानियां झेलना पड़ सकती हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
मुरैनाः
जिले की जौरा विधानसभा सीट पर भाजपा ने सूबेदार सिंह रजौधा और कांग्रेस ने पंकज उपाध्याय को मैदान में उतारा है लेकिन इनके अलावा दो पूर्व विधायक समाजवादी पार्टी से सोनेराम कुशवाह और बहुजन समाज पार्टी से मनीराम धाकड़ भी उतरे हैं जिससे यहां दिलचस्प चुनावी टक्कर होने वाली है।
सुमावली विधानसभा सीट को कांग्रेस ने प्रत्याशी बदलकर चुनावी मुकाबले को नया मोड़ ला दिया है। यहां कांग्रेस ने पहले कुलदीप सिकरवार को टिकट दिया था जो विधायक अजबसिंह सिकरवार को ऐनवक्त पर प्रत्याशी बनाए जाने से खफा होकर बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतर गए हैं। भाजपा ने 2020 में सरकार बनाने में साथ देने वाले तत्कालीन विधायक एंदलसिंह कंसाना को टिकट दिया है।
जिला मुख्यालय की मुरैना सीट पर भाजपा से नाराज होकर बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी और शिवराज सरकार में मंत्री रहे रुस्तम सिंह ने अपने बेटे राकेश को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां कांग्रेस से भाजपा में गए रघुराज सिंह कंसाना और कांग्रेस के दिनेश गुर्जर मैदान में हैं। गुर्जर एक बार तीसरे नंबर पर आए थे।
जिले की दिमनी सीट केंद्रीय मंत्री और सीएम के चेहरे के रूप में चर्चित रहने वाले नरेंद्र सिंह तोमर की वजह से सुर्खियों में है। यहां कांग्रेस ने 2020 के उपचुनाव में भाजपा से सीट छीनी थी और विधायक रवींद्र सिंह तोमर को टिकट दिया है लेकिन पूर्व विधायक बलवीर सिंह डंडौतिया समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। इससे चुनाव का यहां का दंगल रोमांचकारी हो गया है।
भिंडः
जिले की अटेर विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया भाजपा से संगठन से नाराज होकर समाजवादी पार्टी से टिकट ले आए हैं। भाजपा से यहां अरविंद भदौरिया और कांग्रेस से सत्यदेव कटारे के पुत्र पूर्व विधायक हेमंत कटारे भी मैदान में हैं। मुन्ना सिंह भदौरिया के मैदान में आ जाने से अटेर का चुनाव और दिलचस्प हो जाएगा।
भिंड जिला मुख्यालय की भिंड सीट भी कुछ समय पहले भाजपा में शामिल होने वाले विधायक संजीव सिंह कुशवाह को टिकट नहीं दिया गया तो वे वापस बहुजन समाज पार्टी में चले गए हैं। उनके बसपा से फिर चुनाव मैदान में उतर जाने के कारण यह सीट भी बेहद दिलचस्प मुकाबले वाली होने वाली है। यहां भाजपा ने नरेंद्र सिंह कुशवाह को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने काफी समय से वनवास काट रहे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को प्रत्याशी बनाया है।
जिले की लहार विधानसभा सीट पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं तो भाजपा ने अंबरीश शर्मा को उतारा है। मगर यह सीट बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रसाल सिंह के चुनाव मैदान में होने से मुकाबले की टक्कर वाली बन गई है। यहां मुकाबला कांटे का होने की संभावना दिखाई दे रही है।
ग्वालियरः
जिले की डबरा विधानसभा सीट पर समधी-समधन सुरेश राजे व इमरती देवी के अलावा समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी सत्यप्रकाश परसेडिया चुनाव मैदान में हैं। समधी ने पिछले उपचुनाव में समधन को हराया था लेकिन कुछ समय पहले सुरेश राजे का एक वीडियो वायरल होने से उनकी साख को ठेस पहुंची है। इसलिए यहां मुकाबला दिलचस्प होगा।
दतियाः
जिले की सेवढ़ा विधानसभा सीट पर मुकाबला कुछ दिलचस्प होने की संभावना है क्योंकि यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के रिश्तेदार घनश्याम सिंह कांग्रेस प्रत्याशी हैं और उनका खुलकर विरोध करने वाले पूर्व कांग्रेस नेता दामोदर यादव आजाद समाज पार्टी- कांशीराम से टिकट लेकर मैदान में उतर गए हैं। भाजपा के प्रदीप अग्रवाल प्रत्याशी हैं।
गुनाः
जिले की बमोरी विधानसभा सीट पर भाजपा ने मंत्री व ज्योतरादित्य सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसौदिया को पुनः टिकट दिया है तो कांग्रेस ने रिषी अग्रवाल को उतारा है। मगर इन दोनों के अलावा शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री कन्हैया लाल अग्रवाल भी इस बार निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। इससे इस सीट पर मुकाबला टक्कर का दिखाई देगा।
जिला मुख्यालय की गुना विधानसभा सीट को नामांकन पत्र दाखिल होने के कुछ दिन पहले तक होल्ड किए जाने के बाद यहां भाजपा को मुश्किलें आ सकती हैं क्योंकि अधिकृत प्रत्याशी पन्नालाल शाक्य को गोपीलाल जाटव और कुछ अन्य असंतुष्टों के कारण परेशानी आ सकती है। कांग्रेस ने यहां से पंकज कनेरिया को उतारा है।
जिले की चांचौड़ा सीट पर भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ी हैं क्योंकि यहां पूर्व विधायक ममता मीणा आम आदमी पार्टी से उतर गई हैं। भाजपा ने यहां प्रियंका पैंची को टिकट दिया है जो मौजूदा प्रत्याशियों की तुलना में राजनीति में नई हैं। कांग्रेस ने यहां दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और पूर्व सांसद-विधायक लक्ष्मण सिंह को पुनः टिकट दिया है।
सागरः
जिला मुख्यालय की सागर विधानसभा सीट पर जेठ और बहू भाजपा-कांग्रेस की प्रत्याशी हैं जिससे मुकाबला वैसे ही दिलचस्प होगा। मगर यहां भाजपा के लिए मुश्किलें मुकेश जैन ढाना के आम आदमी पार्टी से चुनाव मैदान में उतर जाने से बढ़ी हैं।
जिले की बंडा विधानसभा सीट पर भी भाजपा के लिए पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव की नाराजगी से परेशानियां पैदा हो गई हैं। यादव के बेटे सुधीर यादव आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने यहां वीरेंद्र सिंह लोधी और कांग्रेस ने विधायक तरबर सिंह लोधी को टिकट दिया है।
टीकमगढ़ः
जिला मुख्यालय की टीकमगढ़ विधानसभा सीट पर भी भाजपा के लिए विधायक केके श्रीवास्तव ने परेशानियां बढ़ाई हैं क्योंकि वे निर्दलीय यहां मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने यहां से विधायक राकेश गिरि और कांग्रेस ने पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
जिले की आरक्षित सीट जतारा पर कांग्रेस के लिए मुसीबतें ज्यादा हैं क्योंकि यहां लोकसभा चुनाव में जबरदस्त ढंग से हारी किरण अहिरवार को प्रत्याशी बनाया गया है जिनका क्षेत्र में पहले से ही पार्टी कार्यकर्ताओं में विरोध था। कांग्रेस से टिकट मांग रहे पूर्व पुलिस अधिकारी आरआर बंसल समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। भाजपा के विधायक हरिशंकर खटीक भी पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी से वाकिफ हैं और पिछले दिनों उन्होंने गंगा नदी में कसम तक खिलाकर उनके समर्थन को पाने की कोशिश कर ली थी।
निवाड़ीः
जिला मुख्यालय की निवाड़ी सीट पर कांग्रेस के मुसीबत है क्योंकि यहां के टिकट को लेकर आरोप लगाए जा चुके हैं कि बिका है। कांग्रेस ने यहां से अमित राय को प्रत्याशी बनाया है। यहां रोशनी यादव और कुछ अन्य दावेदार थे जिन्होंने टिकट वितरण के बाद उग्र प्रदर्शन भी किए थे। भाजपा ने यहां विधायक अनिल जैन को टिकट दिया है। मगर समाजवादी पार्टी की मीरा यादव के भी मैदान में उतरने से मुकाबला अच्छा होने की संभावना बनी है।
छतरपुरः
जिले की महाराजपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विधायक नीरज दीक्षित को परेशानियां आएंंगी क्योंकि उनका पार्टी में विरोध ज्यादा है। विरोध करने वालों में से एक अजय दौलत तिवारी तो समाजवादी पार्टी से टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। भाजपा ने यहां से कामाख्या प्रताप सिंह को टिकट दिया है।
जिले की चंदला विधानसभा सीट पर भाजपा ने विधायक राजेश प्रजापति को टिकट काटकर दिलीप अहिरवार को प्रत्याशी बनाया है। राजेश प्रजापति ने टिकट कटने के बाद रोते हुए प्रदेश भाजपा अध्य़क्ष वीडी शर्मा पर टिकट बेचने के आरोप लगाए थे। इसके बाद उनके पिता शिवराज सरकार में पूर्व मंत्री रहे आरडी प्रजापति ने तो नामांकन पर्चा भी भर दिया था जो बाद में वापस ले लिया है। कांग्रेस ने यहां से हरप्रसाद अनुरागी को प्रत्याशी बनाया है।
जिला मुख्यालय की छतरपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आलोक चतुर्वेदी के पक्ष में वैसा माहौल नहीं है जो 2018 में था। तब उनके लिए काम करने वाले डीलमणि बाबू राजा इस बार उनके खिलाफ बहुजन समाज पार्टी से टिकट ले आए हैं तो संगठन में हाल ही किए गए बदलाव से हटाए गए कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी चुनाव में उन्हें नुकसान पहुंचाएगी। भाजपा ने पूर्व मंत्री ललिता यादव को फिर टिकट दिया है।
जिले की बिजावर सीट पर कांग्रेस की मुश्किलें ज्यादा हैं क्योंकि इस सीट के प्रत्याशी को लेकर भी आरोप लगाए जाते रहे हैं कि सौदेबाजी हुई है। यहां यूपी से आने वाले चरण सिंह यादव को पार्टी ने टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने पूर्व कांग्रेस नेता और विधायक राजेश शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। सीट पर समाजवादी पार्टी ने रेखा यादव तो अशोक वीर विक्रम सिंह के बेटे भुवन ने भी निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। भुवन की मां आशारानी भी यहां से विधायक रह चुकी हैं।
पन्नाः
जिले की पवई विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने मुकेश नायक को टिकट दिया है जबकि यहां से कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादास्पद टिप्पणी करने पर कई महीने तक जेल में बंद रहने वाले पूर्व मंत्री राजा पटेरिया अपनी दावेदारी कर रहे थे। भाजपा ने यहां से प्रहलाद लोधी को ही टिकट दिया है। इस सीट से विधायक रहे अशोक वीर विक्रम सिंह के बेटे भुवन व विक्रमादित्य भी निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
सतनाः
जिले की नागौद विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने डॉ. रश्मि सिंह को प्रत्याशी बनाया है और टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह बहुजन समाज पार्टी में जाकर चुनाव लड़ रहे हैं। यादवेंद्र सिंह ने पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ को सबक सिखाने तक की चेतावनी दी है। भाजपा ने यहां से बुजुर्ग नेता नागेंद्र सिंह को फिर मैदान में उतारा है।
जिले की मैहर विधानसभा सीट पर भाजपा नारायण त्रिपाठी का टिकट काटकर श्रीकांत चतुर्वेदी को प्रत्याशी बनाया है जिसका त्रिपाठी को पहले से पता था तो वे कांग्रेस के संपर्क में थे। कांग्रेस में जाने के लिए वे मैहर से भोपाल आए मगर ऐनमौके पर उनके पार्टी में शामिल होने का कार्यक्रम रद्द हो गया व मैहर लौटकर शक्ति प्रदर्शन करते हुए विंध्य जनता पार्टी बनाकर मैदान में उतर गए। यहां कांग्रेस ने धर्मेंद्र घई को टिकट दिया है।
रीवाः
जिले की सिरमौर विधानसभा सीट पर भी समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी को उतारकर मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। कांग्रेस ने यहां रामगरीब वनवासी और भाजपा ने दिव्यराज सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
जिले की सेमरिया सीट पर कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस में आने-जाने वाले अभय मिश्रा इस बार कांग्रेस प्रत्याशी बन गए हैंं तो मंत्री राजेंद्र शुक्ला के करीबी भाजपा प्रत्याशी केपी त्रिपाठी हैं। मगर यहां नागेंद्र सिंह करचुली भी चुनाव लड़ने के लिए समाजवादी पार्टी व फारर्वड ब्लाक से फार्म भरे हैं।
सीधीः
जिला मुख्यालय की सीधी विधानसभा सीट पर भाजपा पेशाब कांड के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए जिन विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काटी थी, वही उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। केदारनाथ शुक्ला भाजपा प्रत्याशी सांसद रीति पाठक के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने उतर गए हैं। कांग्रेस ने यहां ज्ञानप्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
कटनीः
जिले की बड़वारा विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं। यहां अधिकृत प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह धीरू के सामने कांग्रेस के विजय राघवेंद्र सिंह ही नहीं उनकी पार्टी की ही सरकार में मंत्री रहे मोती कश्यप भी खड़े हो गए हैं।
जबलपुरः
जिले की पनागर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लिए पूर्व विधायक कौशल्या गोटिया परेशानी बढ़ा रही हैं क्योंकि उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यहां भाजपा के सुशील कुमार तिवारी और कांग्रेस के राजेश पटेल भी मैदान में हैं।
मंडलाः
जिला मुख्यालय की मंडला विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी पूर्व सांसद संपतिया उइके के लिए डॉ. शिवराज शाह परेशानी बनते नजर आ रहे हैं। वे निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं। यहां से कांग्रेस ने विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले को प्रत्याशी बनाया है।
नरसिंहपुरः
जिले की गोटेगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने टिकट बदलकर अपने सिर पर मुसीबत ले ली है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदाप्रसाद प्रजापति का टिकट काटकर शेखर चौधरी को प्रत्याशी बनाया लेकिन दबाव में बदल दिए जाने पर चौधरी निर्दलीय उतर गए हैं। यहां भाजपा ने महेंद्र नागेश को प्रत्याशी बनाया है।
होशंगाबादः
जिले की सिवनी मालवा विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए अजय सिंह के टिकट को लेकर भी कुछ गैर राजनीतिक लोगों पर लेन देन के आरोप लगाए जा रहे हैं। यहां से दावेदारी कर पूर्व मंत्री हजारीलाल रघुवंशी के पुत्र पूर्व विधायक ओमप्रकाश रघुवंशी ने समर्थकों की भीड़ के साथ निर्दलीय चुनाव लड़ने की शुरुआत कर दी है। भाजपा ने यहां से विधायक प्रेमशंकर वर्मा को ही टिकट दिया है।
भोपालः
भोपाल शहर की उत्तर विधानसभा सीट कांग्रेस के लिए गले की हड़्डी बन गई है। यहां पूर्व मंत्री मौजूदा विधायक आरिफ अकील के बेटे आतिफ को टिकट देने का भारी विरोध हो रहा है और अब निर्दलीय के रूप में नासिर इस्लाम, आमिर अकील व अब्दुल शफीक जैसे नेता उतर गए हैं। भाजपा ने यहां से पूर्व महापौर आलोक शर्मा को उतारा है।
हुजूरः
जिले की हुजूर विधानसभा पर भी कांग्रेस को टिकट वितरण में पक्षपात के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। नरेश ज्ञानचंदानी को टिकट दिए जाने से पूर्व विधायक जितेंद्र डागा से लेकर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मखमल सिंह मीणा तक नाराज हैं। यहां से भाजपा ने विधायक रामेश्वर शर्मा को ही टिकट दिया है।
सीहोरः
जिले की बुदनी विधानसभा सीट पर भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उतारा है जिनके खिलाफ कांग्रेस ने टीवी में हनुमान की भूमिका निभाने वाले विक्रम मस्ताल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। विक्रम कुछ पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्हें सीएम के सामने चुनाव मैदान में उतारे जाने पर कांग्रेस से लगातार जुड़े रहे मिर्ची बाबा नाराज होकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। अब वे बुदनी से सपा के टिकट पर प्रत्याशी हैं।
खरगोनः
जिले की बुरहानपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए मुसीबतें हैं क्योंकि यहां भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन चौहान निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने यहां पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस तो कांग्रेस ने 2018 के बागी रहे विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को टिकट दिया है।
झाबुआः
जिला मुख्यालय की झाबुआ सीट पर कांग्रेस के लिए एकबार फिर जेवियर मेड़ा परेशानी का कारण बने हैं। यहां कांग्रेस ने विधायक व पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत तो भाजपा ने भानू भूरिया को प्रत्याशी बनाया है।
धारः
जिले की मनावर सीट पर भाजपा के लिए उनकी पूर्व मंत्री रंजना बघेल परेशानी का कारण बनी हैं जो निर्दलीय प्रत्याशी बन रही हैंं। भाजपा ने यहां से परमेश्वर कन्नौज और कांग्रेस ने विधायक डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट दिया है।
जिला मुख्यालय की धार सीट पर कांग्रेस के लिए कुलदीप बुंदेला मुसीबत बन रहे हैं जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने यहां से बालमुकुंद गौतम की पत्नी प्रभा और भाजपा ने विधायक नीना वर्मा को टिकट दिया है।
इंदौरः
जिले की महू विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए परेशानियां पैदा हो रही हैं क्योंकि यहां अंतर सिंह दरबार निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भाजपा ने यहां मंत्री उषा ठाकुर तो कांग्रेस ने रामकिशोर शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है।
उज्जैनः
जिले की बड़नगर सीट पर कांग्रेस ने टिकट को बदलकर अपनी परेशानियां बुलाई हैं। विधायक मुरली मोरवाल का टिकट काटने के बाद फिर उन्हें टिकट दिए जाने पर राजेंद्र सिंह सोलंकी नाराज हो गए हैं। सोलंकी पहले प्रत्याशी बनाए गए थे लेकिन अब टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यहां भाजपा ने जीतेंद्र पंड्या को टिकट दिया है।
रतलामः
जिले की आलोट विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लिए पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू मुश्किल बन गए हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। यहां कांग्रेस ने विधायक मनोज चावला व भाजपा ने सांसद चिंतामणि मालवीय को टिकट दिया है।
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