मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के बीच दूरियां हैं जो विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन आयोजित घेराव के ऐलान की पत्रकार वार्ता के आमंत्रण में भी झलकी। पहले पीसीसी चीफ ही इसे संबोधित करने वाले थे लेकिन विधानसभा का मामला होने और नेता प्रतिपक्ष का नाम नहीं होने का फैसला एक घंटे बाद ही बदला गया। पढ़िये कांग्रेस में चल रहे नेताओं के बीच के शीतयुद्ध व विधानसभा घेराव के ऐलान में पटवारी और उमंग के सुर में झलकते पर्दे के पीछे का शह मात के खेल की रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में काफी समय से नेताओं के बीच आपसी टकराव की स्थितियां नजर आ रही हैं जो कार्यकारिणी के गठन के बाद और तेजी से उभरी हैं। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को हाईकमान से की ओर से मिले संरक्षण की वजह से वरिष्ठ नेताओं का विरोध खुलकर सामने नहीं आ पा रहा है लेकिन पटवारी के समकक्ष कद के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार और कुछ अन्य नेताओं से संबंध अच्छे दिखाई नहीं दे रहे हैं। विधानसभा का मामला होता है कि उसमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार को नजरअंदाज किए जाने के पार्टी की राज्य इकाई की कोशिशें होती हैं लेकिन उमंग सिंगार नहले पर देहला मार देते हैं।
विधानसभा का घेराव का ऐलान, नेता प्रतिपक्ष को भूल गई पीसीसी
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार को शीतकालीन सत्र में मोहन सरकार को घेरने के लिए पहले दिन 16 दिसंबर को विधानसभा घेराव का प्रोग्राम बनाया जिसका सोमवार को पत्रकार में ऐलान किया जाना था। रविवार को विधानसभा घेराव के ऐलान के लिए बुलाई गई पत्रकार वार्ता के लिए रात साढ़े आठ बजे व्हाट्सअप मैसेज भेजे गए कि पीसीसी चीफ पटवारी प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे। मगर रात को ही साढ़े नौ बजे दूसरा मैसेज जारी किया जाता है कि पत्रकार वार्ता को पीसीसी चीफी पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार और प्रदेश के सह प्रभारी संजय दत्त संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे।
पटवारी ने लाड़ली बहना तो उमंग ने वल्लभ भवन के करप्शन को उठाया
पत्रकार वार्ता में विधानसभा के घेराव के ऐलान के मुद्दों में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के मुद्दे भी कुछ अलग नजर आए। पटवारी ने लाड़ली बहना योजना को उठाया और कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3000 का वादा किया था जो अब तक पूरा नहीं हुआहै तो अब मोहन यादव 5000 का वादा कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे को उन्होंने दूसरे नंबर पर रखा। मगर इससे आगे जाकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को घेरा। उन्होंने मुख्यमंत्री वल्लभ भवन के जिस फ्लोर पर बैठते हैं, उस मंजिल पर करप्शन के आरोप लगाए। उन्होंने आईएएस अधिकारी भरत यादव को उनका दलाल करार दिया।
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