कांग्रेस नेताओं के बीच पटरी नहीं बैठ रही, दिल्ली में बुलावे के बाद लौटे जीतू, कार्यकारिणी नहीं मिली फटकार

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में विधानसभा चुनाव में हार के बाद हुए बदलाव में आए युवा नेतृत्व में अब पटरी नहीं बैठ रही है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा प्रभारी महासचिव के रूप में भेजे गए नेता भंवर जितेंद्र सिंह भी अतिरिक्त प्रभार को अतिरिक्त समझकर विजिटर्स की तरह आते-जाते हैं। प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह से लेकर जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के बीच तालमेल की कमी पटरी नहीं बैठने के संकेत देती है। हाईकमान ने बुधवार को पटवारी को अचानक बुलाया और खाली हाथ वापस भेज दिया है। पढ़िये कांग्रेस की मध्य प्रदेश की राजनीति में चल रही ऊहापोहा की स्थिति पर रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने भारी बदलाव किए थे और दूसरी लाइन के युवा नेताओं को बड़ी उम्मीद के साथ कमान सौंपी थी। मगर विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में जबरदस्त हार मिली और फिर अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी का प्रत्याशी हार गया। इससे युवा नेतृत्व से हाईकमान की आशा पर पानी फिर गया है। साथ ही युवा नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के बीच शुरुआत में जिस तरह से तालमेल देखा गया, वह धीरे-धीरे कम होता गया है। जीतू पटवारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी रहे हैं जिससे उमंग सिंगार उनसे दूरी बनाने लगे हैं। उमंग सिंगार के दिग्विजय सिंह से कड़वाहट भरे संबंध रहे हैं और जीतू पटवारी पर दिग्विजय सिंह की छाप अभी पूरी तरह से धूली नहीं है।
कार्यकारिणी में देरी तालमेल की कमी वजह
मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के बीच तालमेल की कमी की वजह से यह कहा जा रहा है कि जीतू पटवारी अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पा रहे हैं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जीतू की कार्यकारिणी में प्रदेश के दिग्गज नेताओं के समर्थकों के नाम नहीं शामिल जाने से प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह से लेकर हाईकमान भी अपनी नाराजगी जता चुका है।
अचानक दिल्ली से बुलावा, खाली हाथ वापसी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को बुधवार को हाईकमान ने अचानक दिल्ली बुलाया था और उनके अभिन्न साथी कुणाल चौधरी भी उनके साथ गए थे। दिल्ली में बुलावे के बाद माना जा रहा था कि वे अपनी कार्यकारिणी लेकर लौटेंगे लेकिन उनकी हाईकमान से मुलाकात तो हुई मगर वे खाली हाथ ही वापस लौटे। सूत्र बताते हैं कि छतरपुर की घटना को लेकर हाईकमान की फटकार भी उन्हें झेलना पड़ी और यही वजह रही कि कटनी में दलित के साथ हुई घटना को लेकर वे दिल्ली से तुरंत वहां पहुंच गए।

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