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मध्य प्रदेश कांग्रेस जिला अध्यक्षों-प्रभारियों की बैठक में नेता जिलों में संगठन नहीं था, इसलिए हारे चुनाव

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन को लेकर अब खुलकर नेता बोलने लगे हैं। जिला अध्य़क्षों-जिला प्रभारियों की बैठक में नेताओं ने कहा कि जिलों में संगठन नहीं था, इसलिए चुनाव हारे हैं। वहीं, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कमलनाथ करीब छह साल के कार्यकाल में संगठन बनाने के नाम पर बड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं को व्यस्तताएं बताते रहते थे और अब नेताओं के आरोपों से धरातल की हकीकत सामने आ रही है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मंडलम-सेक्टर इकाइयों के गठन की प्रक्रिया एआईसीसी के महासचिव दीपक बाबरिया के प्रदेश प्रभारी के दौरान शुरू हुई थी लेकिन कमलनाथ के कार्यभार लेने के कुछ समय बाद लोकसभा चुनाव में हार की वजह से उन्होंने राहुल गांधी के इस्तीफे समय पद त्यागने की पेश करते हुए मप्र से वापस होने की इच्छा जता दी थी। इसके बाद कमलनाथ संगठन को मजबूत करने के नाम पर खुद ही व्यस्तताएं बताते रहे और अन्य नेताओं को पार्टी के कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभालने के निर्देश देते रहे। पीसीसी में भी उन्होंने विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले नियमित रूप से आना शुरू किया था और उसके पहले वे संगठन को खड़ा करने के लिए बंगले से ही काम काज करते रहे। उन्होंने अपने चुनिंदा लोगों की टीम की कोर कमेटी बनाई थी जिसमें कोरोना के समय विधायक-संगठन के प्रमुख पदाधिकारी थी और बाद में उसमें कुछ नेता हटा दिए गए व कुछ नाम जुड़े। इस कोर कमेटी की बैठक नियमित कमलनाथ के बंगले पर होती थी जिसमें चर्चाएं होती थीं और सभी को अलग-अलग काम सौंपे जाते थे। संगठन के नाम पर समाज, धर्म, जाति व कुछ संगठन के नाम पर करीब 50 प्रकोष्ठों का गठन हुआ जिनकी पीसीसी के सभागार तो कभी मैदान में पंडाल लगाकर बैठकें हुईं। भीड़ भी खूब आई लेकिन मॉनिटरिंग नहीं होने से प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों का चुनाव में असर नजर नहीं आया।
बैठक में नेताओं ने संगठन पर उठाए सवाल
बैठक में नेताओं ने खुलकर आरोप लगाए गए कि विधानसभा चुनाव में हार की मुख्य वजह प्रदेश में संगठन कहीं नजर नहीं आना रहा है। जो भी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे वे अपने हिसाब से जिलों में नेताओं को संगठन में जिम्मेदारी दिलाने में लगे थे और जब टिकट दूसरे को मिल गया तो संगठन के वे जिम्मेदार नेता दूसरे प्रत्याशी के लिए वैसा काम करते नहीं दिखाई दिए। मंडलम-सेक्टर में नियुक्तियां नहीं होने के आरोप लगाए गए तो कहा गया कि जो संगठन जिलों में था भी तो उसने कई जगह अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ काम किया। इससे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
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