MP विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी चयन सर्वे किनारे, पट्ठावाद-रिश्तेदारों को टिकट मिले, 144 की सूची जारी

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नवरात्र के पहले दिन नौ बजकर नौ मिनिट पर 144 (1+4+4=144) प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की। सूची देखकर कोई भी कह सकता है कि पार्टी ने जिस तरह प्रत्याशी चयन के लिए कई महीनों पहले से जो कराए थे, वे किनारे रखकर अपने वालों मतलब पट्टों व अपने रिश्तेदारों को छांट-छांटकर टिकट बांट दिए। इससे नेता शोक में डूब गए और कुछ नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। पढ़िये रिपोर्ट।

विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में प्रत्याशी तलाशने के लिए कई महीनों से सर्वे कराए जा रहे थे। पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सर्वे कराए, फिर एआईसीसी ने सर्वे की टीम भेजी और कुछ महीने पहले एआईसीसी प्रेसिडेंट ने एक सर्वे कराया। इस तरह करीब चार सर्वे कराए गए थे और चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों को यह कहा जाता रहा कि सर्वे के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे। कांग्रेस दावेदार नेता सर्वे के लिए अपने क्षेत्र में पार्टी के कार्यक्रमों को लेकर जोर लगाते रहे और आज जब सूची सामने आई तो कई नेता शोक में डूब गए। 15वीं विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष नर्मदाप्रसाद प्रजापति को टिकट नहीं दिया गया है जबकि वे कोरोना महामारी के दौरान कमलनाथ की कोर कमेटी के अहम हिस्सा थे। इसी तरह वरिष्ठ विधानसभा सदस्य टामलाल सहारे का टिकट भी कट गया है और उनकी टिकट भाजपा से आए पूर्व सांसद बोध सिंह भगत को टिकट दिए जाने की वजह से कटी।

रिश्तेदारों को टिकट दिलाने में आगे नेता
144 प्रत्याशियों की सूची में करीब दस फीसदी ऐसे हैं जो बड़े नेताओं या संगठन में असरदार नेताओं के रिश्तेदार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़, भाई लक्ष्मण सिंह चांचौड़ा के अलावा रिश्तेदार प्रियव्रत सिंह खिलचीपुर व घनश्याम सिंह सेवढ़ा को कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया है। प्रियव्रत सिंह की स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह से भी रिश्तेदारी है। हालांकि चारों रिश्तेदार राजनीति में काफी समय से सक्रिय हैं और सांसद, विधायक व मंत्री भी रह चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की समधन चंदासिंह गौर खरगापुर और भांजे राहुल सिंह भदौरिया मेहगांव को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। स्क्रीनिंग कमेटी के भंवर जितेंद्र सिंह के रिश्तेदार यादवेंद्र सिंह भी टीकमगढ़ से चुनाव लड़ेंगे। सुभाष यादव की राजनीतिक विरासत संभाल रहे अरुण यादव-सचिन यादव में से विधानसभा के लिए सचिन को कसरावद से तीसरी बार टिकट मिल गया है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया को झाबुआ से टिकट दिला दिया है। इसी तरह जमुनादेवी की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे दिग्विजय सिंह से सीधी टक्कर ले रहे उमंग सिंगार को भी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू की बेटी रीना को भी सांवेर से टिकट मिल गया है, मगर कुछ समय पहले तक प्रेमचंद गुड्डू इस सीट से खुद दावेदारी कर रहे थे और इस कारण परिवार में विवाद की स्थिति भी बन गई थी।

अपनों को भी टिकट दिलाने में आगे रहे नेता
विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची में ऐसे नेता भी हैं जिन्हें उनके अपने नेताजी ने टिकट में नाम बढ़ाया। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने अपनी टीम के प्रमुख हिस्सा पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा सोनकच्छ, बाला बच्चन राजपुर, हुकुम सिंह कराड़ा शाजापुर, लखन घनघोरिया जबलपुर पूर्व, तरुण भनोत जबलपुर पश्चिम, विनय सक्सेना जबलपुर उत्तर, सुखदेव पांसे मुलताई, कमलेश्वर पटेल सिंहावल, सिद्धार्थ कुशवाह सतना को टिकट दिलाया तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएम कार्यकाल में अपनी टीम का हिस्सा रहे आईएएस अधिकारी आरएन बैरवा की बेटी किरण अहिरवार को टीकमगढ़ की जतारा से तो ग्वालियर ग्रामीण से साहब सिंह गुर्जर प्रत्याशी बनाने में अहम भूमिका निभाई। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह खुद टिकट पाने के साथ अपने करीबी नीलांशु चतुर्वेदी चित्रकूट व सुखेंद्र सिंह बना मऊगंज को टिकट दिलाने में सफल रहे। नाथ समर्थक सज्जन सिंह वर्मा अपना टिकट पाने के साथ अटेर से हेमंत कटारे व हाटपीपल्या से राजवीर सिंह बघेल को प्रत्याशी बनाने में कामयाब रहे हैं।

पार्टी ज्वाइन करने का फायदा मिला
दलबदल का कांग्रेस में कुछ लोगों को फायदा मिला तो कुछ लोग मायूस ही रह गए। जिन्हें फायदा मिला उनमें पूर्व सांसद कंकर मुंजारे की पत्नी अनुभा मुंजारे हैं जिन्हें बालाघाट से प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा से आए पूर्व सांसद बोध सिंह भगत को कंटगी से टिकट दे दिया गया है। सागर जिले की सुरखी में नीरज शर्मा को कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है जो भाजपा से आए हैं और इसी तरह समाजवादी पार्टी से आए चरण सिंह यादव को छतरपुर के बिजावर से प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस ने उतारा है। वहीं, भाजपा से आए कुछ बड़े नामों दीपक जोशी, भंवरसिंह शेखावत और वीरसिंह रघुवंशी को पहली सूची में टिकट नहीं मिल सका है। दीपक जोशी की हाट पीपल्या सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित भी कर दिया है।

पार्टी में बगावत की शुरुआत बुंदेलखंड से
पार्टी प्रत्याशी की पहली सूची में नाम काटे जाने से दुखी नेताओं की बगावत की शुरूआत बंदुलेखंड से हो गई है। खरगापुर से टिकट मांग रहे पीसीसी के प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने प्रवक्ता ही नहीं खरगापुर के ब्लाक से भी इस्तीफा दे दिया है। वहीं, ग्वालियर ग्रामीण से टिकट मांग रहे पीसीसी के कोषाध्यक्ष अशोक सिंह अपनी नाराजगी खुलकर नहीं व्यक्त कर रहे हैं। हालांकि इस सीट पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी साहब सिंह गुर्जर के विरोध में केदार कंसाना ने इस्तीफा भी दे दिया है। छतरपुर में कांग्रेस सेवादल के जिला मुख्य संगठक राजेश शर्मा ने भी इस्तीफा दे दिया है। इसी तरह टिकट मिलने की प्रत्याशा में विधानसभा क्षेत्रों में कई महीनों से सक्रिय होकर पार्टी के प्रोग्रामों को आयोजित करने वाले कुछ नेता बड़ा मलहरा के डॉ. सुमित उपाध्याय, भोपाल के डॉ. महेंद्र सिंह चौहान, टीकमगढ़ के दिनेश अहिरवार जैसे नेता टिकट नहीं मिलने से दुखी हैं लेकिन उसे व्यक्त करने से बच रहे हैं।

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