मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद में निजी वाहन को टैक्सी बताकर उससे लाखों रुपए का भुगतान लिए जाने का मामला सामने आया है। हालांकि यह मामला चार साल पहले का बताया जा रहा है मगर इसकी शिकायत हाल ही में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में हुई जिसकी जांच शुरू हो गई है। यह मामला पू्र्व कार्यपालक निदेशक धीरेंद्र पांडेय से जुड़ा बताया जा रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
जन अभियान परिषद में जनवरी-फरवरी 2021 में एक कार एमपी 04 सीटी 9366 का एक बिल लेखा शाखा में पहुंचा था जिसमें दो महीने की राशि करीब 93 हजार रुपए थी। यह कार तत्कालीन कार्यपालक निदेशक धीरेंद्र पांडेय से संबद्ध थी और जनवरी के महीने में यह कार एक हजार किलोमीटर के अलावा 369 किलोमीटर अतिरिक्त चली थी। इस कार के बिल का भुगतान नोटशीट से स्टोर सहायक के पास पहुंची थी। इस कार का बिल जवाहर चौक के एक ट्रैवल्स कंपनी के माध्यम से परिषद में सबमिट हुए थे।
चार साल बाद उठा मामला
चार साल बाद अब यह मामला उठा है जबकि धीरेंद्र पांडेय जन अभियान परिषद के कार्यपालक निदेशक नहीं रहे हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में यह मामला पहुंचा है जिसमें परिवहन विभाग का एक पत्र भी दिया गया है। कार एमपी 04 सीटी 9366 की जानकारी सूचना के अधिकार के माध्यम से ली गई है और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को परिवहन विभाग से मिले कार के रिकॉर्ड संबंधी पत्र को दिया गया है। इसमें परिवहन विभाग ने साफतौर पर इनकार किया गया है कि उपरोक्त कार का कोई भी टैक्सी परमिट जारी नहीं किया गया है।
ईओडब्ल्यू का पीएस को पत्र
जन अभियान परिषद के कार्यपालक निदेशक से संबंधित मामले को लेकर ईओडब्ल्यू ने प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को पत्र लिखकर उससे जुड़े रिकॉर्ड के आधार पर अनुशंसा की अपेक्षा की गई है। अब देखना यह है कि चार साल बाद सामने आए जन अभियान परिषद के इस मामले में क्या कार्रवाई होती है।
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