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मैहर की सीमेंट फेक्टरी के 70 एकड़ वन भूमि पर कब्जे को लेकर 22 साल बाद निलंबन, एक्शन पर सवाल खड़े

मैहर की सीमेंट फेक्टरी के 70 एकड़ वन भूमि पर कब्जे को लेकर 22 साल बाद निलंबन, एक्शन पर सवाल खड़े

सतना जिले में मैहर की सीमेंट फेक्टरी की वन भूमि के 22 साल पुराने अतिक्रमण को लेकर अब राज्य शासन ने एक्शन लिया है लेकिन जिन दो अधिकारियों एसडीओ व रेंजर पर निलंबन की कार्यवाही की गई है उसको लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। 22 साल पहले के अतिक्रमण के मामले में मौजूदा अफसरों पर एक्शन को लेकर वन विभाग में अधिकारी-कर्मचारी दो भागों में बंट गए हैं और 22 साल पहले के अतिक्रमण में अब तक के रहे पूर्ववर्ती अधिकारियों-कर्मचारियों को दोषमुक्त माने जाने से यह स्थिति बनी है। पढ़िये रिपोर्ट।

मैहर के एक सीमेंट औद्यौगिक संस्था द्वारा 70 एकड़ जमीन कब्जा किए जाने के मामले में 22 साल बाद वन विभाग जागा है। विभाग ने शुक्रवार को एक आदेश जारी मौजूदा एसडीओ यशपाल मेहरा और रेंजर सतीश चंद्र मिश्रा को निलंबित कर दिया है। इस मामले में 2002 के इस मामले में अब तक 22 साल में वहां पदस्थ रहे डीएफओ-एसडीओ और रेंजर को बेदाग मान लिया गया है जिसको लेकर वन विभाग का अमला नाराज है और निलंबन आदेश पर विभाग के मुखिया से लेकर आईएफएस एसोसिएशन तक की चुप्पी विभाग के अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों की नाराजगी को और बढ़ा रही है।
निलंबन आदेश में उल्लेख है कि मैहर के एक सीमेंट औद्यौगिक संस्था को 193.1867 हेक्टेयर वन भूमि वर्ष 1975 में 99 वर्ष की अवधि के लिये मप्र शासन द्वारा स्वीकृत की गई थी। संस्था द्वारा स्वीकृत भूखण्ड सीमा से बाहर वनभूमि के वन कक्ष पी-555 में रकबा 27.9 हेक्टेयर अर्थात् लगभग 70 एकड़ में संस्था द्वारा कॉलोनी, कॉलेज, आवासीय कॉलोनी, हॉस्पीटल, बाजार आदि का निर्माण कर लिया गया है जिसमें वन भूमि का अतिक्रमण भी शामिल है।
2024 में वन अपराध दर्ज
वन भूमि पर कब्जे के इस प्रकरण में 24 फरवरी 2024 को वन अपराध पंजीबद्ध किया गया जबकि अतिक्रमित वन भूमिक पर अवैध निर्माण वर्ष 2002 से किया गया। यह तथ्य एक प्रतिवेदन में दिया गया है। अतिक्रमण के संबंध में जिले में पदस्थ अधिकारियों द्वारा तत्समय किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है। निलंबन आदेश में यह भी कहा गया है कि अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण एवं वन अपराधों की रोकथाम के संबंध में त्वरित कार्यवाही नहीं कर शासन निर्देशों की अवहेलना की गई। शासन ने माना कि अफसरों ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करना, मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम-3 में निहित नियमों का उल्लंघन है। वहीं, डीएफओ-एसडीओ सतना ने सीमेंट औद्यौगिक संस्था के खिलाफ अतिक्रमण का अपराध दर्ज कर शासन से कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। तीन महीने तक राज्य शासन ने पत्र पर कोई एक्शन नहीं लिया और अब एसडीओ रेंजर के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की।
कर्मचारी कांग्रेस ने आदेश का विरोध
मप्र कर्मचारी कांग्रेस के प्रांताध्यक्ष मुनेंद्र सिंह परिहार ने शासन के आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि राज्य शासन वन विभाग द्वारा फैक्ट्री कल्चर एवं आईएएस लॉबी के दवाब में उप वनमण्डल अधिकारी एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी मैहर को अनाधिकृत रूप से निलंबित किया है। जबकि वनमण्डल अधिकारी सतना द्वारा स्वयं अपने पत्र क्रमांक 3029 दिनाँक 8 अप्रैल 2024 के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई है कि अतिक्रमण वर्ष 2002 का है और गूगल इमेजिंग में भी चिन्हित है। परिहार ने कहा है कि पूर्व के अतिक्रमण में वर्तमान वनपरिक्षेत्र अधिकारी मैहर द्वारा अवैध अतिक्रमण पाए जाने पर भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 33 के अंतर्गत वन अपराध प्रकरण दर्ज किया गया।

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