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मध्य प्रदेश लोकायुक्त की नियुक्ति मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, नेता प्रतिपक्ष ने नियुक्ति को अवैध बताया
मध्य प्रदेश लोकायुक्त जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की नियुक्ति को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने सुप्रीम कोर्ट में अवैध बताते हुए चुनौती दी जिसकी अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से दो महीने में जवाब मांगा है। नियुक्ति के दस्तावेजों के साथ जवाब पेश करने का समय सुप्रीमकोर्ट ने दिया है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश के नवनियुक्त लोकायुक्त जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की नियुक्ति को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने पिछले दिनों अवैध बताया था और इस नियुक्ति को चुनौती देने के लिए सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह का समय देते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया व नियुक्ति से संबंधित दस्तावेजों के साथ जवाब पेश करने का आदेश किया है।
जस्टिस गुप्ता की जगह बनाए गए लोकायुक्त सत्येंद्र
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता को अक्टूबर 2023 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार ने पद पर बनाए रखा था लेकिन नई सरकार के बाद बदली परिस्थितियों में जस्टिस गुप्ता को हटाने का फैसला हुआ। सरकार ने उनकी जगह जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह को मध्यप्रदेश का नया लोकायुक्त बनाने का फैसला किया। लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए नेता प्रतिपक्ष की सहमति लेने की प्रक्रिया है लेकिन कथित रूप से नेता प्रतिपक्ष की सहमति नहीं ली गई जिससे नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने नियुक्ति को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में उसे चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तनखा और कपिल सिब्बल ने उमंग सिंगार की याचिका पर अदालत में पैरवी की और नियुक्ति को गलत बताया। इस पर अदालत ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में नियुक्ति संबंधी सभी दस्तावेजों के साथ जवाब देने का समय देते हुए टिप्पणी कि वे इसमें पूरे देश के संदर्भ को सामने रखते हुए अपना फैसला देंगे क्योंकि देश के अन्य राज्यों में भी लोकायुक्तों की नियुक्ति होना है।
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