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मध्य प्रदेश में शराब घोटाला, नियमों के विरुद्ध जाकर शराब ठेकेदारों को लायसेंस जारी

घोटालों के इस दौर में रेत, खनिज के साथ शराब लायसेंस भ्रष्टाचारियों के टारगेट पर रहते हैं। छत्तीसगढ़-दिल्ली के बाद मध्य प्रदेश में शराब घोटाला हुआ जिसमें ठेकेदारों को लायसेंस देने में नियमों को ताक पर रख दिया गया। यह मामला एक वकील साहब ने उठाया तो आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ यानी ईओडब्ल्यू ने जांच करने पर इसमें गड़बड़ी के साक्ष्य होने का संदेह हुआ और एफआईआर दर्ज कर ली है। जानिये कैसे शराब ठेकेदारों को किन सरकारी अधिकारियों ने लाभ पहुंचाने के लिए क्या किया।
शराब ठेकों की नीलामी में शराब ठेकेदारों से आबकारी अधिकारियों द्वारा बैंकों की गारंटी ली जाती है। यह बैंक गारंटी शराब ठेकों की नीलामी के नियमों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसूचित व्यवसायिक बैंक या निजी क्षेत्र के अनुसूचित बैंकों या फिर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से ही जारी की जा सकती हैं। मगर सिंगरौली के जिला सहकारी बैंक ने 14 बैंक गारंटी जारी कीं जो करीब15 करोड़ 32 लाख 23 हजार 440 रुपए की थीं। इन बैंक गारंटी में से नौ शराब ठेकेदारों की ही थीं जिनका उपयोग शराब ठेकेदारों ने रीवा, सिंगरौली, उमरिया, सतना जिलों के शराब ठेकों के लायसेंस हासिल करने में किया था।
सहकारी बैंक आरबीआई के अनुसूचित बैंक नहीं
यहां उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की अनुसूचित बैंकों की सूची में सहकारी बैंक नहीं होते हैं। इसके बाद भी सिंगरौली के जिला सहकारी बैंक के तत्कालीन प्रबंधक नागेंद्र सिंह द्वारा जारी बैंक गारंटी को शराब ठेकेदारों ने शराब ठेकों के लायसेंस पाने में इस्तेमाल किया जो आबकारी विभाग के शराब ठेकों की नीलाम नियमों के विपरीत है। जिला प्रबंधक नागेंद्र सिंह को बैंक गारंटी जारी करने का अधिकार भी नहीं था क्योंकि यह अधिकार बैंक के संचालक मंडल या उप समिति स्टाफ के पास ही होता है।
जांच में फर्जी बैंक गारंटी पाई गई
ईओडब्ल्यू ने शिकायत की प्राथमिक जांच के दौरान उपरोक्त तथ्यों के साथ यह भी पाया कि जिला सहकारी बैंक सिंगरौली के प्रबंधक ने जहां बैंक के नियमों के विपरीत जाकर बैंक गारंटी जारी की बल्कि आबकारी विभाग के शराब ठेकों की नीलामी में सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के अनुसूचित बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के बजाय सहकारी बैंक की गारंटी स्वीकार करने वाले जिला आबकारी अधिकारियों ने भी गड़बड़ी की। इस तरह ईओडब्ल्यू ने जिला सहकारी बैंक सिंगरौली के तत्कालीन मोरबा शाखा प्रबंधक नागेंद्र सिंह व रीवा जिले के तत्कालीन आबकारी अधिकारी अनिल जैन सहित शराब ठेकेदारों वैकुंठपुर, हनुमना नईगढ़ी देवतालाब के मां लक्ष्मी इंटरप्राइजेज समूह के नृपेंद्र सिंह, आशा एंटरप्राइजेज इटौरा के अजीत सिंह, मउगंज शराब समूह उपेंद्र सिंह बघेल, रायपुर कर्चुलियान शराब ठेका समूह के आदित्य प्रताप सिंह व आर्याग्रुप समान नाका शराब सहूम के विजय बहादुर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
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