‘लीडरशिप के वो गुण, जो महेंद्र सिंह धोनी से हमें सीखना चाहिए’

अपने क्षेत्र विशेष में किसी न किसी व्यक्ति के ऊपर लीडरशिप का जिम्मा होता ही है, मायने यह रखता है कि वह उसे निभाता किस तरह से है। एक लीडर का सबसे बड़ा गुण होता है, सबको साथ में लेकर चलना। यदि यही गुण किसी लीडर में अनुपस्थित है, तो फिर उसकी लीडरशिप किसी काम की नहीं। यह बता रहे हैं पीआर कंसलटेंट अतुल मलिकराम, जो सफल क्रिकेटर कप्तान माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी को लीडरशिप का श्रेष्ठ उदाहरण बता रहे हैं। पढ़िये लेखक की रिपोर्ट।

जब भी एक अच्छे लीडर की बात होती है, मेरे विचार में सबसे पहला नाम यदि किसी का आता है, तो वह है महेंद्र सिंह धोनी का। लीडरशिप से परे महेंद्र सिंह धोनी का शानदार करियर भी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। क्रिकेट के दिग्गज और प्रसिद्ध लीडर, धोनी ने खेल पर एक अमिट छाप छोड़ी है और हमें लीडरशिप के वो गुण सिखाए हैं, जो खेल की सीमाओं से परे हर मैदान फतेह करने के हुनर से परिपूर्ण हैं। शायद यही कारण है कि उन्हें ‘कैप्टन कूल’ के नाम की उपाधि दी गई है।
धोनी अपने क्रिकेट की यात्रा से हमें दस प्रमुख लीडरशिप के गुण सिखाते हैं, जो इस प्रकार हैं:

  1. उदाहरण द्वारा लीड करेंः उदाहरण के तौर पर नेतृत्व करना धोनी की लीडरशिप की सबसे महत्वपूर्ण खूबियों में से एक है। धोनी के भीतर हमेशा ही अटूट समर्पण, अविश्वसनीय कार्य नीति और अत्यधिक शांत रहकर अच्छा काम करने की कला भरपूर है। निरंतर सुधार के लिए उनकी प्रतिबद्धता और लगातार शानदार परफॉर्मेंस देने की उनकी क्षमता हमेशा ही उनके साथियों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करती है। धोनी का काम उनके शब्दों से अधिक तेज बोलता है, उनकी यही बात उन्हें महत्वाकांक्षी लीडर्स के लिए एक रोल मॉडल के रूप में स्थापित करती हैं।
  2. दृढ़ विश्वास के साथ निर्णय लेंः सामान्य स्थिति से परे, विशेष रूप से दबाव में धोनी की निर्णय लेने की क्षमता तारीफ के काबिल है। चाहे वह एक साहसिक टीम का चयन हो, बैटिंग के ऑर्डर का एडजस्टमेंट हो या फिर एक खेल की दिशा बदलकर रख देने वाला कदम, धोनी ने हमेशा अपनी प्रवृत्ति का समर्थन किया और दृढ़ विश्वास के साथ निर्णय लिया। इस अटूट आत्म-विश्वास ने न सिर्फ उन्हें सम्मान दिलाया, बल्कि उनकी टीम में आत्मविश्वास भी जगाया। एक कुशल लीडर को चाहिए कि वह उनसे अपने फैसले पर भरोसा करना और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जब आवश्यक हो, साहसिक निर्णय लेना सीखे।
  3. विपत्ति में संयम बनाए रखेंः जब दबाव की अधिकता हो, ऐसी स्थिति में धोनी का शांत और संयम वाला व्यवहार सबसे अलग निखरकर आता है। उन्होंने कभी-भी स्थिति की गंभीरता को खुद पर हावी नहीं होने दिया, बल्कि हमेशा ही अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए तर्कसंगत निर्णय लिया और अपनी क्षमता से
    सभी को रूबरू कराया। इस गुण ने न सिर्फ उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ देने में मदद की, बल्कि उनकी टीम पर एक शांत और सकारात्मक प्रभाव भी छोड़ा। धोनी का धैर्य हमें चुनौतीपूर्ण समय के दौरान समभाव बनाए रखने के महत्व के बारे में सिखाता है, जिससे हमें स्पष्टता और शिष्टता के साथ तमाम बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है।
  4. विनम्रता से काम लेंः अपनी अविश्वसनीय उपलब्धियों के बावजूद धोनी हमेशा ही जमीन से जुड़े और विनम्र बने रहते हैं। वे कभी-भी अपनी सफलता का श्रेय स्वयं को नहीं देते हैं, बल्कि अपनी टीम के सामूहिक प्रयासों को देते हैं, और तो और हर अवसर पर उनके योगदान को स्वीकार करते हैं। धोनी की विनम्रता ने एक सकारात्मक टीम संस्कृति बनाई, और साथ ही एकता और सहयोग को बढ़ावा दिया। लीडर के रूप में, हमें चाहिए कि हम विनम्रता से काम लें, अपनी टीम के सदस्यों की ताकत और उपलब्धियों को स्वीकार करें और उनकी सफलताओं का जश्न अपनी सफलता के रूप में मनाएँ।
  5. अनुकूलनशीलता और नवीनताः बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने की धोनी की क्षमता और उसके अनुसार नई रणनीतियों के प्रति उनका झुकाव उन्हें अन्य सभी लीडर्स की भीड़ से अलग करता है। स्थिति को देखते हुए हमेशा नए तरीकों की तलाश में रहने वाले धोनी, नई रणनीति और तकनीकों के साथ प्रयोग
    करने से कभी नहीं डरते हैं। धोनी की अनुकूलता ने उन्हें अप्रत्याशित चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देने और अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाया। हमारी तेजी से विकसित हो रही दुनिया में, लीडर्स में भी बदलाव को अपनाने का गुण होना चाहिए, नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना आना चाहिए और अपनी टीमों को लीक से हटकर सोचने के लिए प्रोत्साहित करना आना चाहिए।
  6. प्रभावी कम्युनिकेशनः धोनी के लीडरशिप के गुण में कम्युनिकेशन की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके पास अपने विचारों को स्पष्ट रूप से और संक्षेप में यह सुनिश्चित करने की उल्लेखनीय क्षमता है कि टीम का प्रत्येक सदस्य अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समझे। धोनी के प्रभावी और पारदर्शी कम्युनिकेशन ने टीम में उनके विश्वास को काफी बढ़ावा दिया और अस्पष्टता को पूरी तरह समाप्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप टीम को-ऑर्डिनेशन में इजाफा हुआ और योजनाओं को निर्बाध रूप से गति मिली। लीडर्स को चाहिए कि वे प्रभावी कम्युनिकेशन स्किल्स विकसित करने का प्रयास करें, जिससे एक ऐसा वातावरण तैयार हो सके, जहाँ विचारों का स्वतंत्र रूप से प्रवाह हो और सहयोग को बढ़ावा मिल सके।
  7. सुनने की क्षमताः धोनी के लीडरशिप के सबसे खास गुणों में से एक है शांति से टीम के सदस्यों की बात सुनने की क्षमता। वे हमेशा ही अपनी टीम के सदस्यों की राय को महत्व देते हैं, उनसे मिलने वाली प्रतिक्रिया को स्वीकार करते हैं और विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करते हुए निर्णय लेते हैं। सक्रिय रूप से सुनने की उनकी इस क्षमता ने न सिर्फ उनके साथियों को अपनी ओर बखूबी आकर्षित कर लिया, बल्कि उन्हें सूचित निर्णय लेने के काबिल भी बनाया। एक कुशल लीडर को चाहिए कि वह अपने भीतर सक्रिय रूप से सुनने की कला को विकसित करे और एक ऐसा वातावरण स्थापित करे, जो सबके अनुकूल हो, विविध दृष्टिकोणों को प्रोत्साहित करता हो और सामूहिक विकास को बढ़ावा देता हो।
  8. दूसरों को प्रेरित करेंः धोनी के पास अपनी टीम के सदस्यों को प्रेरित करने की अनूठी क्षमता है। वे टीम को अपनी क्षमताओं में विश्वास पैदा कराने का बखूबी हुनर रखते हैं। वे सार्थक उदाहरणों के माध्यम से अपनी टीम को चुनौतियों से पार पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, और हमेशा अपनी प्रतिभा को निखारने की भरसक कोशिश करते हैं। धोनी की सकारात्मकता और अटूट समर्थन एक ऐसा वातावरण तैयार करते हैं, जहाँ व्यक्ति फल-फूल सकें और उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें। लीडर्स के रूप में, हमें चाहिए कि हम अपनी टीम को हमेशा प्रेरित करने का प्रयास करें, और साथ ही उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान करते रहें, ताकि वे सतत रूप से आगे बढ़ते रहें।
  9. सहयोगी टीम वर्कः धोनी हमेशा ही टीम वर्क की शक्ति में दृढ़ विश्वास करते हैं। वे यह मानते हैं कि व्यक्तिगत उपलब्धियों की तुलना में सामूहिक सफलता कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, यही कारण है कि वे टीम के प्रत्येक सदस्य के योगदान को काफी महत्व देते हैं। धोनी ने भरोसे, सशक्तिकरण और साझा जिम्मेदारी का ही परिणाम है कि उनकी टीम के सदस्यों को अपनी अनूठी ताकत को सामने लाने का मौका मिल सका। प्रतिस्पर्धा पर सहयोग को प्राथमिकता देकर, लीडर्स अपनी टीमों की सामूहिक क्षमता का उपयोग कर सकते हैं, और साथ ही एक ऐसा वातावरण बना सकते हैं, जो नवाचार और विकास को बढ़ावा दे।
  10. रोल मॉडल बनेंः धोनी की लीडरशिप की विशेषता उनके रोल-मॉडल बनने संबंधित व्यवहार से है। वे अनुशासन और समर्पण के लिए उच्च मानक स्थापित करते हुए, अपनी टीम के सदस्यों के कँधे से कँधा मिलाकर खड़े रहने की ताकत रखते हैं। आत्म-सुधार के लिए धोनी की अटूट प्रतिबद्धता और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने की उनकी क्षमता, उनके साथियों और प्रशंसकों को समान रूप से उनके करीब लाने का काम करती है। लीडर्स के रूप में, हमें यह पहचानना चाहिए कि हमारे कार्यों का दूसरों पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता है और उदाहरण देकर और अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करते हुए खुद का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बनने का प्रयास करना चाहिए। एक कुशल लीडर के रूप में महेंद्र सिंह धोनी की यात्रा हमें प्रभावी लीडरशिप की कला में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करने से लेकर विनम्रता व परिवर्तन को अपनाने और दूसरों को प्रेरित करने तक, धोनी की लीडरशिप के सिद्धांत खेल के दायरे से परे हैं और इंडस्ट्री में लीडर्स के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं। तो चलिए, हम भी इन सीखों को अपनाएँ और उन्हें अपने लीडरशिप के सफर में शामिल करें।

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