बागी हो गए नेताओं अब हो रहे इस्तीफे, कुछ मामलों में पार्टी कर रही निष्कासन, गुड्डू ने फिर छोड़ी कांग्रेस

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नाम वापसी के कुछ मिनिट पहले तक पार्टियों ने बागियों को मनाने के प्रयास किये जिनमें से ज्यादातर मान भी गए। मगर जो बागी सबक सिखाना चाहते हैं, वे अभी भी डटे हैं और पार्टियों पर आरोप लगाकर इस्तीफे दे रहे हैं। ऐसे कुछ नेताओं को पार्टियां निष्कासन का रास्ता दिखाने लगी हैं। हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश में इस समय नाम वापसी के बाद भी भाजपा और कांग्रेस के कई बागी चुनाव मैदान में डटे हैं। गुरुवार को नाम वापसी के अंतिम दिन दोपहर तीन बजे के कुछ मिनिट पहले तक पार्टियों के दिग्गज नेताओं के साथ अधिकृत प्रत्याशियों द्वारा बागियों से मान मनोव्वल का सिलसिला चला था। इसमें कई बागी तो रूठने के बाद भी मान गए और पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन में नाम वापस करने को तैयार हो गए है, मगर कई अभी भी चुनाव में दूसरी पार्टियों या निर्दलीय मैदान में डटे हैं। करीब 400 नामांकन पत्रों की वापसी हो चुकी है जिसमें कई बड़े नाम पूर्व मंत्री रंजना बघेल, पूर्व विधायक जितेंद्र डागा नाम शामिल हैं। वहीं, अब चुनाव मैदान में करीब 3345 प्रत्याशी शेष बचे हैं।

प्रेमचंद गुड्डू ने फिर छोड़ी कांग्रेस
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने एकबार फिर पार्टी के टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी गुड्डू टिकट वितरण से नाराज होकर पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए थे और इसके बाद कुछ साल पहले ही वापसी हुई है। इस बार उनकी बेटी रीना बौरासी को इंदौर की सांवेर सीट से कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है लेकिन वे भी रतलाम की आलोट विधानसभा से टिकट चाह रहे थे। अब वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं।

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र भी निर्दलीय मैदान में
खरगोन से सांसद रहे और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे स्व. नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान भी पार्टी के टिकट वितरण से नाराज हैं। वे लोकसभा उपचुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद विधानसभा में भी उपेक्षित किए जाने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए बुरहानपुर में डटे हैं। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और नाराजी में तमाम बातें लिखी हैं।
पूर्व मंत्री-पूर्व विधायक निर्दलीय लड़ रहे चुनाव
विधानसभा चुनाव में कई विधानसभा सीटों पर बागी पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक ही नहीं सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले नेताओं के चुनाव मैदान में बागी होकर दूसरी पार्टियों या निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों को पसीने छूट रहे हैं। शिवराज सरकार के मंत्री रहे मोती कश्यप बड़वारा से निर्दलीय मैदान में डटे हैं तो महू से पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार, सिवनी मालवा से ओमप्रकाश रघुवंशी, सीधी से केदारनाथ शुक्ला, लहार में रसाल सिंह और टीकमगढ़ में भाजपा से इस्तीफा देकर केके श्रीवास्तव जैसे पूर्व विधायकों ने भाजपा व कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों की नींद उड़ा रखी है।
दूसरी पार्टियों को पकड़कर चुनाव मैदान में उतरे ये पूर्व विधायक
वहीं दूसरी पार्टियों का दामन थामने वाले बागियों में दिमनी में कांग्रेस में शामिल होने के बाद टिकट नहीं मिलने पर बसपा से टिकिट लेकर उतरे पूर्व विधायक बलवीर सिंह डंडौतिया अटेर में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व विधायक मुन्ना भदौरिया ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान संभाल लिया है। इसी तरह भाजपा से पूर्व विधायक रहीं ममता मीणा आम आदमी पार्टी से टिकट लेकर चांचौड़ा में चुनाव मैदान में भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए आफत खड़ी कर दी है। बसपा से विधायक रहते भाजपा में शामिल हुए भिंड के संजीव सिंह कुशवाह टिकट नहीं मिलने पर वापस बसपा में पहुंच गए हैं और उसी पार्टी से फिर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। सतना से टिकट नहीं मिलने पर नाराज कांग्रेस के पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने कमलनाथ को सबक सिखाने की घोषणा करते हुए बसपा ज्वाइन की और अब उससे चुनाव मैदान में उतर गए हैं।
अन्य असरदारों की बगावत
कुछ ऐसे भी नेता हैं जिनका सामाजिक समीकरण उनके पक्ष में होने से वे मजबूत दावेदारी कर रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिला तो दूसरी पार्टी में चले गए। इनमें शिवराज सरकार में मंत्री रहे रुस्तम सिंह ने पहले पार्टी छोड़ी फिर बसपा ज्वाइन की। रुस्तम सिंह ने मुरैना सीट से अपने बेटे राकेश सिंह को बसपा से चुनाव मैदान में उतारा है। इसी तरह मुरैना की सुमावली सीट से कांग्रेस ने प्रत्याशी बदला तो पूर्व घोषित प्रत्याशी कुलदीप सिकरवार बसपा में पहुंच गए और वहां से टिकिट लेकर चुनाव मैदान में अब कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी कर रहे हैं। इसी तरह बड़नगर में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मुरली मोरवाल का पहले टिकट काटकर राजेंद्र सिंह सोलंकी को दिया लेकिन बाद में फिर मोरवाल को प्रत्याशी बना दिया तो अब सोलंकी निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं। कांग्रेस ने दतिया में घनश्याम सिंह को प्रत्याशी बनाया जिससे नाराज होकर दामोदर यादव ने पीसीसी में तोड़फोड़ की थी और दिग्विजय सिंह के खिलाफ नारेबाजी की थी। इसके बाद जब वे आजाद समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतर गए तो पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निकालने के आदेश जारी कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today