लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में सेंध लगाने भाजपा मध्य प्रदेश के महाकौशल और विशेष रूप से कमलनाथ के गढ़ माने जाने वाले छिंदवाड़ा को टारगेट किए हैं। नाथ के विश्वसनीय पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना के परिवार के बाद जिले के अमरवाड़ा विधायक कमलेश प्रताप शाह से विधायकी छुड़वाकर भाजपा में प्रवेश दिला दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के पास पार्टी में मची भगदड़ को रोकने के लिए कोई रणनीति नजर नहीं आ रही है और संगठन की बागडोर जिनके हाथों में उन्होंने सौंप रखी वे भी इस दिशा में किसी एक्शन मोड में नहीं दिखाई दे रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद उससे उबर नहीं पाई है और भाजपा उसे लगातार झटके पर झटके दिए जा रही है। कांग्रेस ने युवा हाथों में पार्टी की कमान सौंप दी है लेकिन युवा प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अब तक कुशल संगठक तो दूर खुद को संगठन चलाने वाले सामान्य नेता भी साबित नहीं कर पाए हैं। उन्हें लोकसभा चुनाव घोषित होने के पहले अपने संगठन की टीम को बनाने का पूरा मौका मिला था लेकिन वे अपने विश्वस्त साथी माने जाने वाले पूर्व विधायक कुनाल चौधरी से लेकर मंडलम-सेक्टर के लिए पूर्व प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के साथ काम करने वाले गौरव रघुवंशी, मीनाक्षी नटराजन के सहयोगी रहे मृणाल पंत को जिम्मेदारियां देने में भी तत्काल फैसले नहीं ले सके। अब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और रोजाना पार्टी छोड़कर जाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से विधायक ने छोड़ी विधायकी
भाजपा में जाने के लिए कांग्रेस नेताओं की भीड़ उमड़ सी रही है और दिनभर यह चर्चा रहती है कि आज कौन-कौन भाजपा में गए। शुक्रवार को कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश प्रताप शाह ने विधायकी ही छोड़ दी। विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने बताया कि कमलेश प्रताप शाह का इस्तीफा मिल गया है और विधानसभा अध्य़क्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने उसे स्वीकार भी कर लिया है। इस तरह मध्यप्रदेश विधानसभा की एक सीट रिक्त हो गई है। कमलेश प्रताप शाह ने सुबह विधायकी छोड़ने के बाद दोपहर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता भी ले ली। गौरतलब है कि छिंदवाड़ा में कमलनाथ के सबसे विश्वस्त साथी पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना कांग्रेस के चुनाव प्रचार से अब तक दूर हैं और उनके एक पुत्र भाजपा में जा चुके हैं। सक्सेना से मुख्यमंत्री यादव ने उनके घर पर मुलाकात भी की थी। कमलनाथ के छिंदवाड़ा में काम देखने वाले प्रवक्ता सैयद जाफर पहले ही भाजपा में जा चुके हैं तो आधा दर्जन से ज्यादा विधायक भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। गुरुवार को छतरपुर के भी पूर्व विधायक शंकरप्रताप सिंह मुन्ना राजा अपने कई समर्थकों के साथ भाजपा में चले गए थे।
पार्टी छोड़ने वाले इंतजार करते-करते थक कर फैसले ले रहे
बताया जाता है कि कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में से नाराजगी जानने के बाद भी उनसे चर्चा के लिए किसी स्तर पर कोशिशें नहीं होने से दुखी होकर फैसले ले रहे हैं। पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने तो खुलकर कहा कि वे विधानसभा चुनाव के बाद 29 दिन तक इंतजार करते रहे कि कोई उनकी नाराजगी के बारे में चर्चा करे लेकिन जब किसी स्तर पर उन्हें उम्मीद नहीं दिखाई दी तो भाजपा में गए। सूत्र बताते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने भी सम्मान नहीं मिलने का दुखड़ा एक वरिष्ठ नेता के सामने रखा था लेकिन कोई सही जवाब नहीं मिला तो उन्होंने भाजपा में जाने का फैसला किया। यही स्थिति अभी मौजूद कुछ पूर्व मंत्रियों व अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बन रही है जिनसे भाजपा के वरिष्ठ नेता संपर्क साधे हुए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को और छोटे-बड़े झटके मिलते रहने की आशंका बनी हुई है।
Leave a Reply