भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस में पैनल में कैलाश, पीसी-जीपी, फिर भी दौड़ में और कई नाम

मध्य प्रदेश में लोकसभा की भोपाल सीट पर भाजपा के प्रत्याशी पूर्व महापौर आलोक शर्मा के सामने कांग्रेस अब तक कोई नाम तय नहीं कर पाई है लेकिन सूत्र बताते हैं कि पैनल में पीसी शर्मा, जीपी माली और कैलाश मिश्रा के नाम हैं। मगर प्रत्याशी का ऐलान नहीं होने की वजह से कई नेता हाईकमान तक अपने दावेदारी पहुंचाने के लिए कई तरह की जुगत लगा रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

भोपाल लोकसभा सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में से कांग्रेस को केवल पांच बार जीत मिली है और आखिरी बार कांग्रेस के केएन प्रधान ने 1984 में यहां से लोकसभा चुनाव जीता था। इसके बाद से आज तक भाजपा का कब्जा है। यहां अब तक की सबसे बड़ी जीत आलोक संजर की रही है जो करीब तीन लाख 74 हजार वोटों की थी। पिछली बार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से लगभग तीन लाख 68 हजार मतों से हारे थे। लोकसभा चुनावों के परिणामों को देखकर यह सीट भाजपा का गढ़ कही जा सकती है जिसके कारण 2024 में कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चयन मुश्किल भरा लग रहा है।
तीन नाम की पैनल
सूत्रों के मुताबिक भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस की तीन नाम की पैनल बनाई गई है जिसमें सबसे बड़े अंतर से लोकसभा चुनाव हार चुके पीसी शर्मा का नाम प्रमुख है। शर्मा दो बार विधायक रहे हैं और कमलनाथ सरकार में मंत्री भी रहे थे। 2023 में विधानसभा चुनाव हार गए थे। दूसरा नाम पूर्व जिला शहर अध्यक्ष कैलाश मिश्रा का है जो नगर निगम के अध्यक्ष भी रहे हैं। तीसरा नाम डिप्टी कलेक्टर से रिटायर हुए प्रशासनिक अधिकारी जीपी माली का है। माली भोपाल के ही रहने वाले हैं और लगभग पूरी सरकारी नौकरी भोपाल जिले में बितायी है।
कई और भी दावेदार दौड़ में
बताया जाता है कि तीन नामों की पैनल के बाद भी कई ऐसे दावेदार हैं जिनको अभी भी आस है। उन्होंने कई राष्ट्रीय नेताओं व स्थानीय समीकरणों के आधार पर प्रदेश के बड़े नेताओं के माध्यम से दावेदारी पेश की है। इनमें प्रमुख नाम दीपचंद यादव, श्याममोहन श्रीवास्तव, ऋचा गोस्वामी, जितेंद्र सिंह बघेल हैं। दीपचंद यादव पूर्व महापौर रहे हैं और एक बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं तो श्याममोहन श्रीवास्तव पूर्व सैन्य अधिकारी हैं। ऋचा गोस्वामी कांग्रेस के धर्म प्रकोष्ठ की अध्यक्ष हैं और कथावाचक हैं। चुनाव की तैयारियों के लिए उन्होंने भोपाल की विधानसभाओं में करीब आधा दर्जन से ज्यादा कथाएं की हैं। जितेंद्र सिंह बघेल कोलार रोड के रहने वाले हैं और प्रदेश प्रभारी रहे दीपक बावरिया के निकट रहे थे।

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