कहानी घर-घर की के मशहूर कलाकार बृजेंद्र काला कहते हैं, ‘बोइचेक’ जीवन की वास्तविकताओं का प्रतिबिंबि

हिंदी फिल्मों में अपने किरदारों के लिए मशहूर अभिनेता बृजेंद्र काला ने वेब सीरीज और टेलीप्ले की दुनिया में भी अपनी छाप छोड़ी है। ‘मेरा पति सिर्फ मेरा है’ में एक छोटी सी भूमिका से शुरुआत करके वे ‘कहानी घर-घर की’ जैसे टीवी शो के लिए संवाद लिखते हुए आगे बढ़े और ‘हासिल’ (2003) से फ़िल्मी दुनिया में एक सशक्त कदम रखा। और फिर ‘जब वी मेट’, ‘मिथ्या,’ ‘अग्निपथ,’ ‘पान सिंह तोमर,’ ‘पीके,’ और ’83’ जैसी फिल्मों में उल्लेखनीय भूमिकाएँ निभा कर सिनेमा में अपनी पहचान स्थापित की।

हाल ही में उन्होंने काम किया ज़ी थिएटर के टेलीप्ले ‘बोइचेक’ में जो जर्मन लेखक कार्ल जॉर्ज बुचनर के ‘वॉयज़ेक’ के काम से प्रेरित था। काला का दृढ़ विश्वास है कि आज के उभरते मनोरंजन परिदृश्य में, एक अभिनेता को विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए, चाहे माध्यम कोई भी हो। “जब संतोष जी (संतोष सिवन) ने ‘बोइचेक’ में मेरी भूमिका के बारे में बताया, तो मैंने किसी विशेष तैयारी के बारे में नहीं सोचा। इसके बजाय, मैंने शूटिंग के वक़्त पर ही चरित्र की बारीकियों को समझ कर उन्हें व्यक्त करने का प्रयास किया। मैंने पहले भी पुलिस अधिकारियों को विभिन्न भूमिकाओं में चित्रित किया है, लेकिन यह किरदार अलग था – वह कठोर और गैर-जिम्मेदार है, व्यक्तिगत लाभ के लिए वो दूसरों का शोषण करता है,” काला कहते हैं.

अभिनेता ने खुलासा किया कि उन्हें बुचनर के ‘वॉयज़ेक’ नाटक को उन्होंने नहीं देखा हालांकि, वह स्वीकार करते हैं कि 19वीं शताब्दी में लिखी गई बुचनर की साहित्यिक कृति को सबसे शुरुआती ‘आधुनिक’ नाटकों में से एक माना जाता है।”समकालीन ब्रिटिश नाटककारों के लिए यह अभी भी एक प्रमुख दर्जा रखता है। यह नाटक पीड़ा की सामाजिक संरचना पर प्रकाश डालता है और दर्शाता है कि किस तरह सामाजिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों का असर किसी व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। ‘बोइचेक’ इसी बात को प्रतिबिंबित करता है और दिखाता है की कैसे एक केंद्रीय चरित्र सामाजिक और आर्थिक ताकतों का शिकार होता है,” काला कहते हैं।

उन्होंने टेलीप्ले की सफलता के लिए संतोष सिवन की निर्देशन शैली और एक छायाकार के रूप में उनकी शिल्प कौशल को भी श्रेय दिया। “संतोष जी ने दर्शकों के साथ एक मजबूत भावनात्मक संबंध स्थापित करने के लिए थिएटर और फिल्मों के सौंदर्य और विषयगत तत्वों को शामिल किया है। यदि आपने नाटक देखा है, तो आप देखेंगे कि निर्देशक ने दर्शकों को इसमें डुबोने के उद्देश्य से कैसे प्रकृति और मानवता का चित्रण किया है ताकि उन्हें लगे कि वे किरदार के साथ बिल्कुल जुड़ गए हैं। मेरा यह भी मानना है कि सभी कलाकारों सहित पूरी कास्ट ने मूल कहानी के साथ न्याय किया है , भले ही उसे भारत के ग्रामीण परिपेक्ष में पेश किया गया हो । टेलीप्ले को मिली अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया इस बात की पुष्टि करती है,” काला का कहना है । चंद्र शेखर दत्ता, सुगंधा गर्ग, शरद केलकर, राजपाल यादव और रूपेश टिल्लू की महत्वपूर्ण भूमिकाओं से सुसज्जित ‘बोइचेक’ 28 नवंबर को एयरटेल थिएटर, डिश टीवी रंगमंच एक्टिव और डी2एच रंगमंच एक्टिव पर प्रसारित किया जाएगा।

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