मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आवाज उठाने वाले संगठन जयस ने सिविल जज इंटरव्यू को लेकर भी बड़ा बयान दिया है। जयस ने कहा है कि इंटरव्यू में एक भी आदिवासी छात्र का चयन नहीं हुआ तो आरक्षण किस बात का है। आरक्षण केवल दिखावा है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में आदिवासियों का संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन जयस है जिसकी प्रदेश के सभी आदिवासी जिलों में पकड़ है। इस संगठन को कांग्रेस ने 2018 में अपने साथ लेकर चुनाव लड़ा था और उससे एक नेता डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट भी दिया था। तब कांग्रेस की भी बनी थी। अब इसी जयस संगठन ने एकबार फिर सिस्टम में आरक्षण की बातों को महज दिखावा बताने के लिए हाल ही के सिविल जज इंटरव्यू के आंकड़ों को पेश किया है। कहा है कि इंटरव्यू के लिए किसी भी आदिवासी छात्र का चयन नहीं हुआ तो फिर कैसी आरक्षण व्यवस्था है।
जयस के प्रदेश अध्यक्ष अंतिम मुझाल्दा ने यह सवाल खड़ा करते हुए आदिवासी समाज के अपने नेताओं, मंत्रियों, सांसद व विधायकों की चुप्पी को शर्मनाक बताया है। मुझाल्दा ने आरोप लगाया कि न्याय तंत्र में भी हमारी जगह है मगर प्रदेश सरकार को बताना होगा कि चयन प्रक्रिया में बार-बार आदिवासी युवाओं को बाहर क्यों किया जाता है। उन्होंने समाज के लोगों को जागरूक होने की अपील की और कहा कि वे अपने समाज की राजनीति करने वाले लोगों से पूछें कि आदिवासी सीटें क्यों खाली रह जाती हैं। समाज के युवाओं को न्यायिक सेवा से बाहर क्यों रखा जा रहा है। मुझाल्दा ने सवाल किया है कि जब आदिवासी छात्र एनएलयू में मेरिट में पास होकर एलएलएम करता है तो फिर सिविल जज की लिखित परीक्षा में फेल कैसे हो रहा है। उन्होंने आदिवासी युवाओं की सिविल जज परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को सार्वजनिक करने की मांग उठाई है। साथ ही सरकार से मांग की है कि अगर वह आदिवासियों के प्रति संवेदनशील है तो ऐसी परीक्षा को निरस्त करे।
Leave a Reply