जनहित याचिकाओं में छिपे गुप्त उद्देश्य का एक और मामला इंदौर हाईकोर्ट में सामने आया है जिसमें खरगोन पुलिस के रक्षित निरीक्षक यानी आरआई के कुत्ताकांड को लेकर पीड़ित नहीं अन्य व्यक्ति ने लगाई थी जनहित याचिका। हाईकोर्ट ने तमाम साबूतों को देखने के बाद पाया कि जिस मामले को जनहित का बताया जा रहा है, वह एक व्यक्ति से जुड़ा है और वह किसी भी तरह का मुकदमा नहीं चाहता है तो जनहित याचिका लगाने वाले के खिलाफ एक लाख रुपए अदालत में जमा करने के आदेश दिए। पढ़िये इस मामले पर एक रिपोर्ट।
तीन महीने पहले अगस्त में खरगोन पुलिस के आरआई सौरभ कुशवाह के कुत्ते के गुम होने और कथित रूप से उसकी देखभाल में लगे सिपाही राहुल चौहान की पुलिस अधिकारी द्वारा पिटाई किे जाने के मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। यह जनहित याचिका इंदौर हाईकोर्ट में सचिन सिसौदिया नामक व्यक्ति ने लगाई थी। इस याचिका पर दो न्यायाधीशों विजय कुमार शुक्ला व बिनोद कुमार द्विवेदी की बैंच जनहित याचिका को लगाने वाले सचिन सिसौदिया के खिलाफ फैसला सुनाया है।
जनहित से जुड़ी याचिका नहीं मानी
हाईकोर्ट ने सचिन सिसौदिया की याचिका को जनहित से जुड़ी नहीं मानते हुए टिप्पणी की कि इसमें गुप्त उद्देश्य छिपा है। जिस मामले को लेकर जनहित याचिका लगाई थी कि वह मध्य प्रदेश पुलिस के सिपाही राहुल चौहान से संबंधित बताते हुए अदालत ने पाया कि उसने जो याचिका लगाई थी, वह समझौते के बाद वापस ले ली गई है। उसने अपनी याचिका वापस लेते हुए यह भी कहा था कि वह मुकदमा नहीं चाहता है।
अदालत में राहुल के खिलाफ धमकी भरे पोस्ट पेश
सचिन सिसौदिया की राहुल चौहान से जुड़े मामले में लगाई गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई कुछ सामग्री अदालत के सामने पेश की। इसमें राहुल चौहान को डराए जाने-धमकाए जाने का संदेश छिपा था। अदालत ने इन तमाम साबूतों को देखने के बाद कहा कि जनहित याचिका का मामला किसी भी तरह से जनहित का नहीं है बल्कि इसका कोई गुप्त उद्देश्य है। इसलिए याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए अदालत में जमा कराने के आदेश किए हैं। इस धनराशि का उपयोग अदालत के चिकित्सालय के अपग्रेडेशन में इस्तेमाल करने का आदेश दिया गया है।
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