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मध्य प्रदेश में टोल की लागत से छह गुना राशि वसूली के बाद नहीं रोकी जा रही वसूली, सरकार का यह तर्क

मध्य प्रदेश में टोल नाकों की लागत से दो से छह गुना तक वसूली करने के बाद भी ठेकेदारों द्वारा वसूली की जा रही है। कई टोल के वसूली के अधिकारों में पांच साल की और वृद्धि कर दी गई है। सरकार तर्कों में ठेकेदारों के पक्ष में खड़ी है जिससे कई टोल पर आम नागरिक को अभी दस साल और टोल पर राशि चुकानी होगी और तब तक ठेकेदार लागत से दस-पंद्रह गुना ज्यादा राशि अपनी जेब में डाल चुके होंगे। पढ़िये प्रमुख नाकों की लागत व वसूली पर रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायक प्रताप ग्रेवाल ने प्रदेश के टोल की लागत और वहां अब तक हो चुकी वसूली पर लिखित सवाल पूछा तो जो आंकड़े जवाब में सामने आए, उससे किसी भी व्यक्ति की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। आंकड़ों पर नजर डालें तो भोपाल-इंदौर के बीच स्थित देवास टोल नाके पर 2010 से टोल की वसूली शुरू हुई थी जिसमें अब तक करीब 1342 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि ठेकेदार द्वारा वसूल की जा चुकी है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस टोल की लागत करीब 314 करोड़ रुपए ही आई थी। अभी इस टोल पर ठेकेदार को 2033 तक और वसूली करनी है।
लेबड़-जावरा फोरलेने पर छह गुना वसूली
देवास टोल से ज्यादा वसूली लेबड़-जावरा टोल पर हो चुकी है और यहां शासन ने ठेकेदार को वसूली के लिए छह साल का अतिरिक्त समय दे दिया है। इस टोल की लागत 309 करोड़ करीब था लेकिन यहां अब तक 1826 करोड़ रुपए से ज्यादा का टोल ठेकेदार ने वसूल कर दिया है। अभी उसे 2038 तक और वसूली करना है। तीसरा महत्वपूर्ण टोल जावरा-नयागांव है जिसकी लाग 486 करोड़ रुपए के लगभग आई थी लेकिन यहां टोल पर ठेकेदार ने अभी तक 2069 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली कर ली है। इसी तरह देवास बायपास छह लेने मार्ग को करीब 57 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था लेकिन यहां ठेकेदार टोल पर लगभग 158 करोड़ वसूल चुका है। सरकार ने लेबड़-जावरा मार्ग पर टोल ठेकेदार के अनुबंध को पांच साल बढ़ाए जाने के पीछे अनुबंध की शर्त बताया और इससे उपरोक्त सड़क पर अब तक लागत से करीब छह गुना ज्यादा वसूली के बाद भी लगभग 15 साल और ठेकेदार को वसूली के अधिकार दे दिए गए हैं।
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