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मध्य प्रदेश के आजीविका मिशन में कई सालों से एक पूर्व मुख्य सचिव के नजदीकी रहने वाले पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी व रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी के खिलाफ अवैधानिक रूप से नियुक्तियां करने और पद के दुरुपयोग, अनियमितताओं व खरीदी में हेरा-फेरी करने के आरोप लगाए जा रहे थे। ये आरोप युवा महिला आईएएस अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर और ज्यादा गंभीर माने जाने लगे जिसमें अदालत ने भी सख्त आदेश दिया। अब जाकर मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जानिये आरोपों में घिरे आला अधिकारियों के क्या रहे संबंध व किस युवा महिला अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन तैयार किया।
मध्य प्रदेश के आजीविका मिशन में कई सालों से एक पूर्व मुख्य सचिव के नजदीकी रहने वाले पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी व रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी के खिलाफ अवैधानिक रूप से नियुक्तियां करने और पद के दुरुपयोग, अनियमितताओं व खरीदी में हेरा-फेरी करने के आरोप लगाए जा रहे थे। ये आरोप युवा महिला आईएएस अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर और ज्यादा गंभीर माने जाने लगे जिसमें अदालत ने भी सख्त आदेश दिया। अब जाकर मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जानिये आरोपों में घिरे आला अधिकारियों के क्या रहे संबंध व किस युवा महिला अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन तैयार किया।
भाजपा की शिवराज सरकार के आखिरी कार्यकाल में मुख्य सचिव रहे इकबाल सिंह के नजदीकी पूर्व आईएफएस अधिकारी और आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ आखिरकार आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ यानी ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज हो गई है। इकबाल सिंह और बेलवाल के संबंधों के चर्चे आम थे जिसके चलते बेलवाल को रिटायरमेंट के बाद भी सीईओ पद मिलता रहा। जबकि उनके खिलाफ पद के दुरुपयोग, नियुक्तियों में अनियमितता, खरीदी में गड़ब़ड़ी के कई बार आरोप लगे। प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दल कांग्रेस ने भी लोकायुक्त संगठन में शिकायत कर 500 करोड़ के घोटाले के आरोप लगाए मगर तमाम शिकायतों के बाद भी बेलवाल को सीईओ की कुर्सी पर बैठाया जाता रहा। अब अदालत ने आदेश दिया, आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या द्वारा की गई जांच के प्रतिवेदन में कई बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट पेश और इसके बाद कैग ने भी रिपोर्ट में गड़बड़ियां बताई, इनके आधार पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है।
बिना अधिकार के नियुक्तियां
बेलवाल पर आरोप है कि अधिकार नहीं होने के बाद भी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में नियुक्तियां कीं। बेलवाल के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने पद का दुरूपयोग करते हुये सलाहकारों के पद पर अवैधानिक नियुक्तियां कीं। स्कूल गणवेश सिलाई एवं कम्युनिटी बेस्ड माइको बीमा योजना एवं विकास खण्ड स्तर पर मशीनों को खरीदने में भी हेरा-फेरी का आरोप भी उन पर लगा है।
कौन गया था अदालत
यहां उल्लेखनीय है कि भोपाल अदालत में राजेश कुमार मिश्रा ने यह मामला लगाया था। इसके आधार पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एवं सीजेएम भोपाल ने जांच एजेंसी को कार्रवाई कर जांच के लिए आदेशिक किया था।
नेहा की 2022 की जांच रिपोर्ट में यह था सच
अपर मुख्य कार्यपालन अधिकारी मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद रहीं श्रीमती नेहा मारख्या ने तब जांच की थी और उसमें कई गड़बड़ियां पाई थीं। नेहा मारव्या ने आठ जून 2022 को प्रमुख सचिव पंचायत व ग्रामीण विकास को अपना जांच प्रतिवेदन राज्य शासन को भेजा था जिसमें मारख्या ने पाया था कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी ललित मोहन बेलवाल द्वारा प्रतिनियुक्ति के समय वर्ष 2015 से 2023 के बीच अपने पद का दुरुपयोग करते हुये राज्य परियोजना प्रबंधक के पदों पर सलाहकारों की अवैध नियुक्तियां कीं। बेलवाल द्वारा सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के निर्देशों को दरकिनार करते हुये एवं संबंधित नस्तियों में छेड़छाड़ करते हुये तत्कालीन विभागीय मंत्री की आपत्तियों को भी नजरअंदाज किया और नियुक्तियां कर दीं। मारव्या की विस्तृत जांच रिपोर्ट में यह पाया गया था कि जिस मानव संसाधन मार्गदर्शिका के नियमों के आधार पर स्वीकृत पदों के विरूद्ध बेलवाल द्वारा नियुक्तियां की गई है वह मानव संसाधन मार्गदर्शिका तब अस्तित्व में नहीं थी। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अवैधानिक नियुक्तियों के साथ-साथ अन्य संवर्गों में लागू जीवन यापन लागत सूचकांक को बेलवाल द्वारा नजरअंदाज करते हुये इन अवैध नियुक्तियों के मानदेयों में 40 प्रतिशत तक की असम्यक बढ़ोत्तरी की गई। बेलवाल द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुये बिना अर्हता के श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला एवं उनके परिवार के सदस्यों देवेन्द्र मिश्रा, सुश्री अंजू शुक्ला, मुकेश गौतम, ओमकार शुक्ला एवं आकांक्षा पाण्डे की नियुक्तयां मिशन के विभिन्न पदों पर की गई। जांच रिपोर्ट में यह भी है कि बेलवाल द्वारा अवैधानिक तरीके से बिना शासन एवं वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के कम्युनिटी बेस्ड माईको इंश्योरेश बीमा योजना के अंतर्गत, बीमा कराने के नाम पर 81 हजार 647 महिलाओं से प्रति महिला 300 रूपये प्राप्त कर किसी भी तरीके की बिना बीमा पॉलिसी दिये हुये 1.73 करोड़ रूपये का गबन किया गया।
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