और कितने दिन अभी मेरी, ज़रूरत है तुम मुझे अनुयायियों से बात करने दो, लेखक संघ की गीत गोष्ठी में मयंक श्रीवास्तव ने सुनाया

मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा प्रादेशिक गीत गोष्ठी का आयोजन रविवार को भोपाल में दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि, वरिष्ठ गीतकार मयंक श्रीवास्तव ने सुनाया, “और कितने दिन अभी मेरी, ज़रूरत है तुम मुझे अनुयायियों से बात करने दो” वहीं वरिष्ठ साहित्यकार, सारस्वत आतिथि डॉ. राम वल्लभ आचार्य ने सुनाया “देते जो आभास नीर का मरुथल ऐसे हैं, मृग मारिचिका है मन में, या छल ऐसे हैं”। वरिष्ठ गीतकार, विशिष्ट आतिथि ऋषि श्रृंगारी ने सुनाया “घटा बन कर बरसना तुम, सजनवा प्यार करना तुम, किनारे जब उतरना तुम, सजनवा प्यार करना तुम”, संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र गट्टानी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि लेखक संघ के साथ युवा रचनाकारों को जोड़ना उनकी प्राथमिकता में है और बहुत से युवा संघ से जुड़ रहे हैं।

गोष्ठी में प्रदेश के चर्चित गीतकारों में रामराव वामनकर ने सुनाया, “मन लागा रे बलम सँग लागा, बीच न कोई धागा”…भोपाल के वरिष्ठ कवि अशोक कुमार धमेनियाँ ने पढ़ा, “दुनिया में दुख देखा जब से,नयनों अश्रु हैं छा जाते, भावों में ढलकर फिर तो वह, कविता रूप उतर आते”, भोपाल की वरिष्ठ कवयित्री ममता बाजपेयी ने सुनाया, “आँखों से नीदें उलीचने वाले दिन, कहाँ गए उल्लास सींचने वाले दिन”..मंच संचालक मनीष बादल ने सुनाया, “उम्मीदों की किरणें रूठीं और बुझी है बाती भी, फिर भी हँसकर काट रहा हूँ अपनी साढ़े साती भी”. दूसरी मंच संचालिका प्रार्थना पंडित ने सुनाया, “मैंने पूरा लिख लिख डाला,फिर भी पीड़ा शेष रही, आते जाते नये दिनों की, स्मृतियों का अवशेष रही₹…ग्वालियर से पधारी डॉ जयमाला मिश्रा ने पढ़ा, “मेरा बहुत पुराना गांव सखी शहरों में बदल गया, लेकर आया डाक डाकिया गलियां भटक गया” वहीं दतिया से आये डॉ राज गोस्वामी ने सुनाया, “हठधर्मी की अगर प्रकृति से, हारोगे बाजी, चल न सकेगी बंधु तुम्हारी यह नक्शेबाजी” शिवपुरी से आये मुकेश अनुरागी ने सुनाया, “जीवन की संध्या में मित्रो,सिमट सिमट कर बने इकाई, जिनकी गाथा कही उम्रभर, उनको पीर समझ नहीं आई” भोपाल की श्रीमती वीणा विद्या गुप्ता ने पढ़ा, “कैसे गीत खुशी के गाऊं साजन बिन, कैसे मन को धीर बंधाऊं साजन बिन”। कार्यक्रम में मुरैना से आये गीतकार कैलाश गुप्ता के गीत संग्रह पुस्तक, “भूख पर पहरे” का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम के अंत में मध्यप्रदेश लेखक संघ के आजीवन सदस्य
राकेश वर्मा हैरत जी एवं पहलगाम में आतंकियों द्वारा मारे गये लोगों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की गईं।

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