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पूर्व लोकायुक्त ने CR बिगाड़ी मगर CM ने ईमानदारी के प्रमाण में बढ़ाए थे नंबर, अब बनाए गए DGP

मध्य प्रदेश के एक पूर्व लोकायुक्त ने करीब डेढ़ साल पहले ईमानदारी की छवि वाले आईपीएस कैलाश मकवाना की सीआर बिगाड़कर जो धब्बा लगाया था, उसे सीएम डॉ. मोहन यादव ने नंबर बढ़ाकर साफ किया और अब एक दिसंबर 2024 से उन्हें डीजीपी की जिम्मेदारी दे दी है। प्रदेश के मूल निवासी मकवाना अब मुख्य सचिव अनुराग जैन के बाद दूसरे प्रमुख अधिकारी होंगे जिन्हें मोहन सरकार ने चयनित किया है। दौड़ में शामिल एक बैच सीनियर अधिकारी को मौका नहीं मिल सका है। पढ़िये रिपोर्ट।
भारतीय पुलिस सेवा के 1988 बैच के तीसरे नंबर के अधिकारी कैलाश मकवाना के डीजीपी बनाए जाने के आदेश शनिवार की रात को जारी हुए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने यूके और जर्मनी की यात्रा के पहले उनके नाम पर सहमति दी जिसके बाद अपर मुख्य सचिव गृह एसएन मिश्रा ने उनके एक दिसंबर से डीजीपी बनाए जाने के आदेश जारी किए हैं। मकवाना के 1988 बैच में उनसे सीनियर अरविंद कुमार और सुधीर कुमार शाही हैं जिनमें से अरविंद कुमार का नाम इस पद की पैनल में सबसे ऊपर था।मौजूदा डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना के 1987 बैच के दूसरे अधिकारी शैलेष सिंह अभी सेवा में हैं लेकिन उनका रिटायरमेंट भी फरवरी 2025 में ही है जिससे उनके नाम को पैनल में नहीं लिया गया। इस क्रम शामिल अरविंद कुमार और सुधीर कुमार शाही का रिटायरमेंट मई और जनवरी 2025 में होने से वे इस दौड़ में पिछड़ गए। मकवाना का रिटायरमेंट भी दिसंबर 2025 में है लेकिन वे मुख्यमंत्री मोहन यादव की पसंद थे और उनके डीजीपी बनाए जाने की औपचारिकताओं को शनिवार रात को आदेश जारी करके पूरा कर दिया गया।
पूर्व लोकायुक्त के सीआर खराब किए जाने पर दुखी हुए थे मकवाना
करीब डेढ़ साल पहले कैलाश मकवाना तब दुखी हुए थे जब उनकी ईमानदार छवि पर पूर्व लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता कई आरोप लगाते हुए उनकी सीआर को बिगाड़ा था। वे उस समय दुखी हुए थे लेकिन उन्होंने कभी सार्वजनिक रूप से इस पीड़ा को बयां नहीं किया। उन्हें खराब सीआर के नंबर दिए गए तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस पर आपत्ति करते हुए पत्र लिखा था लेकिन चौहान ने कुछ ही नंबर बढ़ाए थे। इसके बाद तत्कालीन लोकायुक्त फिर सीएम को पत्र लिखकर नंबर बढ़ाए जाने से रोकने की कोशिश की थी। मकवाना तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान को दिए गए रिप्रिजेंटेशन के बाद मिली राहत से भी संतोष था क्योंकि पूरे सेवाकाल में कभी उनकी इतनी खराब सीआर नहीं थी। इसके बाद मुख्यमंत्री बने डॉ. मोहन यादव के सामने उनका प्रकरण आया तो उन्होंने मकवाना की सीआर को सुधारते हुए नंबर बढ़ाकर उनकी छवि के अनुकूल कर दिया था।
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