भोपाल सहित मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के करीबी राजेश शर्मा के यहां आयकर के छापे के बाद सुर्खियों में आए उनके दोस्त महेंद्र गोयनका ने बड़ा खुलासा किया है कि सहारा की 1000 करोड़ रुपए की जमीन को पूर्व मंत्री व भाजपा नेता संजय पाठक ने 90 करोड़ में ली। वह पैसा भी सेबी में नहीं जमा करते हुए सहारा को दिया और गरीबों की मेहनत की कमाई के 910 करोड़ रुपए का खेल हो गया। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से आयकर-लोकायुक्त के छापों से राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा हुआ है। राजेश शर्मा के यहां मारे गए आयकर के छापों से यह सिलसिला शुरू हुआ और अभी परिवहन विभाग के कटर यानी प्रायवेट रूप से वसूली करने वाले दलालों सौरभ शर्मा और उसके साथियों चेतन सिंह गौड़ व शरद जायसवाल तक चलता आ रहा है। राजेश शर्मा वही हैं जो पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के करीबी रहे हैं और उनके भोपाल की बड़ी झील किनारे सूरजनगर से घुड़सवार अकादमी जाने वाले रास्ते के एक बड़े प्रोजेक्ट में बैंस ने बड़ा भूखंड पत्नी के नाम से लिया है। इसी राजेश शर्मा के एक मित्र हैं महेंद्र गोयनका जो आयकर कार्रवाई वाले दिन के आसपास दक्षिण अफ्रीका में सपरिवार थे। उनके बारे में कहा गया कि वे छापों के कारण देश छोड़कर विदेश भाग गए हैं, मगर वे यहीं थे। यह दावा करते हुए महेंद्र गोयनका कहते हैं कि उनके बारे में दुष्प्रचार पू्र्व मंत्री व भाजपा विधायक संजय पाठक ने किया। संजय पाठक ने यह क्यों किया वे एक वीडियो में इसका खुलासा करते हुए सुनाई दे रहे हैं।
गोयनका ने संजय पाठक को लेकर यह कहा
गोयनका ने संजय पाठक पर सहारा स्टेट की 1000 करोड़ रुपए की जमीन को 90 करोड़ में खरीदने का आरोप लगाया जबकि सहारा ने यह जमीन गरीबों के मेहनत की कमाई के पैसों से खरीदी थी। सहारा में उन गरीबों ने पैसा जल्द बढ़ने के लालच में जमा किया था लेकिन सहारा उन्हें लौटा नहीं पाया। सेबी उन गरीबों को सहारा की संपत्ति बेचकर लौटा रही है लेकिन संजय पाठक ने सेबी के इस प्रयास को दरकिनार कर भोपाल में सहारा की1000 करोड़ की जमीन को खरीद लिया। इस जमीन को संजय पाठक ने 1000 करोड़ में नहीं बल्कि 90 करोड़ की मामूली राशि में ले लिया। उस 90 करोड़ को भी उसने सेबी में जमा नहीं किया बल्कि सहारा को सीधे दे दिया। इस तरह सहारा की जमीन का 910 करोड़ तो संजय पाठक ने हजम कर ही लिया और साथ में जो 90 करोड़ दिए भी तो गरीबों को देने के बजाय सहारा को देकर उनके हितों पर चोट पहुंचाई है। गोयनका ने कहा कि वे यह सब जानते थे तो संजय पाठक डरा था और इसीलिए उसने बेवजह बदनाम करने के लिए देश से भाग जाने का प्रचार किया। उन्होंने कहा कि राजेश शर्मा उनके मित्र हैं और यह संजय पाठक जानता था तो उनके छापों से उनका नाम जोड़कर दुष्प्रचार किया।
सौरभ अब छिप रहा, जमानत कराने की कोशिश
वहीं, आयकर के बाद लोकायुक्त पुलिस ने परिवहन विभाग के जिस वसूली तंत्र पर चोट पहुंचाई, उसके अब तक के मुख्य सूत्रधार परिवहन के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा अब छिपते फिर रहे हैं। सौरभ ने अब अग्रिम जमानत की कोशिशें तेज कर दी हैं क्योंकि उसका लुक आउट नोटिस जारी होने की प्रक्रिया में तेजी लाइ जा रही है। इस कारण उसने अग्रिम जमानत के लिए अपने एक वकील राकेश पाराशर को कोर्ट में खड़ा किया। उन्होंने सौरभ शर्मा को लोकसेवक नहीं होने के तर्क से अग्रिम जमानत की याचिका पेश की लेकिन अदालत ने सौरभ शर्मा के अपराध की गंभीरता को बताते हुए याचिका को निरस्त कर दिया।
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