मध्य प्रदेश के नर्सिंग घोटाले में विधानसभा में पांच घंटे चर्चा के बाद भी विपक्ष सदन में सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के इस्तीफे की मांग खुद उनके द्वारा साफ तौर पर इनकार कर दिए जाने व विधानसभा की जांच कमेटी नहीं बनाए जाने पर विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों ने बहिगर्मन कर दिया। इस तरह प्रश्नकाल के बाद बजट सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही नर्सिंग घोटाले पर ध्यानार्कषण की चर्चा में ही समाप्त हो गया और दूसरे शसाकीय कार्य हंगामे के दौरान निपटा दिए गए। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के बाद दूसरे शिक्षा स्केम नर्सिंग फर्जीवाड़े को लेकर बजट सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही में ध्यानाकर्षण पर परंपरा से हटकर पांच घंटे चर्चा हुई। विपक्ष के कई सदस्यों ने इस मुद्दे पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जिसमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, जयवर्धन सिंह, लखन घनघोरिया, ओमकार मरकाम, भंवरसिंह शेखावत, झूमा सोलंकी, मधु भगत, राजेंद्र भारती, फूलसिंह बरैया, दिनेश जैन बोस, डॉ. विक्रांत भूरिया, सेना महेश पटेल, राजन सिंह मंडलोई, फुंदेलाल मार्को, नितेंद्र सिंह राठौर, नारायण सिंह पट्टा जैसे नेताओं ने विचार रखे। शेखावत को छोड़कर लगभग सभी कांग्रेस विधायकों ने तत्कालीन मंत्री सारंग को घेरते हुए घोटाले में उनकी सहभागिता के आरोप लगाए तो शेखावत ने अकेले सारंग को नहीं बल्कि पूरे तंत्र के कारण घोटाला होने की बात कही।
मध्य प्रदेश विधानसभा में किसी ध्यानाकर्षण पर एकसाथ कई विधायकों को बोलने का मौका दिया गया और चर्चा करीब पांच घंटे तक चली। विधानसभा की परंपरा से हटकर स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने यह व्यवस्था थी जिससे नर्सिंग घोटाले को लेकर न केवल विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका मिला। विपक्ष के विधायकों ने नर्सिंग घोटाले में तत्कालीन मंत्री विश्वास सारंग पर हमले करने के साथ आईएएस अधिकारी मोहम्मद सुलेमान से लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग संचालक, नर्सिंग कौंसिल के रजिस्ट्रार आदि को घेरा तो सारंग ने सफाई देते समय घोटाले का सूत्रधार कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को दोषी करार देने के लिए कई दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष रखा।
घोटाले की पांच घंटे की चर्चा के दौरान तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग के पूरे मामले में अपने आपको निर्दोष बताते हुए इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया तो अध्यक्ष की आसंदी से मामले में सदन की जांच कमेटी बनाए जाने की व्यवस्था नहीं मिलने पर विपक्ष असंतुष्ट रहा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने मामले में अपने दल के सदस्यों के साथ पहले गर्भगृह में जाकर विरोध दर्ज कराया और जब हंगामे के दौरान भी सदन की कार्यवाही चलती रही तो बहिगर्मन कर दिया।
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